सर्दी के मौसम में स्किन की एक्सट्रा केयर की जरूरत होती है, खासतौर से सोरायसिस से परेशान महिलाओं को इस मौसम में काफी सावधान रहना चाहिए। ठंडे और शुष्क मौसम के कारण सोरायसिस के मरीजों की त्वचा पर लाल रंग की सतह उभरकर सामने आती है और त्वचा बार-बार रूखी-सूखी, फटी और बेजान दिखाई देती है। लेकिन आप परेशान ना हो क्योंकि गुड़गांव स्थित आर्टेमिस हॉस्पिटल की डर्मटोलॉजी एवं कॉस्मेटोलॉजी एचओडी डॉक्टर मोनिका बाम्बरू ने सर्दियों में सोरायसिस की बीमारी पर काबू पाने के लिए उपाय सुझाए हैं। लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि सोरायसिस क्या है?
सोरायसिस एक ऑटो इम्यून अवस्था है, जिसमें सामान्य से कहीं ज्यादा तेजी से त्वचा की नए सेल्स बनने लगती हैं। हमारी बॉडी हर 10 से 30 दिनों के बीच त्वचा संबंधी नए सेल्स बनाती है, जो पुरानी सेल्स की जगह लेती हैं, जबकि सोरायसिस नामक रोग में नई स्किन सेल्स काफी तेजी से बनती हैं, जिससे बॉडी को पुरानी स्किन सेल्स छोड़ने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। इससे त्वचा या चमड़ी पर ही मोटी परत जम जाती है। त्वचा पर ये लाल रंग की सतह के रूप में उभरकर सामने आती है। इससे स्किन ड्राई हो जाती है। उस पर खुजली होने लगती है। शरीर पर लाल या सिल्वर रंग के धब्बों के रूप में चकत्ते उभर आते हैं।
एक कठोर साबुन स्किन के नेचुरल पीएच को बदल सकता है, जिससे सूखी त्वचा पर खुजली या अन्य परेशानी बढ़ जाती है। न्यूट्रल पीएच लेवल वाला सोप या बॉडी वॉश का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे स्किन में नमी बरकरार रहती है और त्वचा शुष्क नहीं होती। बॉडी वॉश का इस्तेमाल करते हुए लूफा साबुन का प्रयोग करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे आपकी त्वचा की परेशानी और बढ़ सकती है।
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ऊनी कपड़े त्वचा में जलन कर सकते हैं और इससे पपड़ियां जम सकती हैं। सर्दियों के दौरान सोरायसिस के रोगियों को ऊनी कपड़ों के नीचे कॉटन के पतले कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। इस तरह वे सर्दी को बिना किसी पपड़ी होने की चिंता किये बगैर मात दे सकते हैं।
दिन भर अपनी त्वचा को नमी से भरपूर रखें। इसके लिए आपको दिन में दो बार स्किन क्रीम या मॉश्चराइजर लगाने की सलाह दी जाती है।
इस तरह के स्नान के लिए एक कप ओटमील लेकर इसे गुनगुने पानी में डाल दें। इसमें कुछ बूंदें आप खुशबूदार तेल की मिला सकती हैं। इस गुनगुने पानी से नहाने से आपकी त्वचा को आराम पहुंच सकता है और ड्राई, लाल दानों या चकत्तों से भरी त्वचा, जिससे खुजली और जलन होती है, को ढीली या नरम पड़ने में मदद मिलती है। जब ओट्स पानी के संपर्क में आते हैं तो वह जिलेटिन जैसी फिल्म बनाते हैं, जिससे त्वचा सुरक्षित होती है और उसमें नमी भी आती है। नहाते समय त्वचा की रगड़कर सफाई करने से बचें क्योंकि इससे मरीज की त्वचा की खुजली और जलन बढ़ जाती है और लाल रंग की सतह भी तेजी से स्किन पर उभर सकती हैं।
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सर्दियों के दौरान उचित धूप नहीं मिलने से, किसी की त्वचा भी नीरस हो सकती है। धूप का अधिक से अधिक आनंद उठायें और घर के बाहर समय बितायें। इससे न सिर्फ विटामिन डी का लेवल बढ़ेगा बल्कि आपका मूड भी बेहतर होगा।
डॉक्टर मोनिका बाम्बरू ने कहा कि लाइफस्टाइल में इन बदलावों को करने के अलावा, अपने उपचार पर पूरा ध्यान दें और अपने डर्मटोलॉजिस्ट द्वारा बताई गईं दवाईयां समय पर लेती रहें।
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