आज World IVF Day है। हर साल 25 जुलाई को यह दिन सेलिब्रेट किया जाता है। आज के समय में कई कारणों से कपल्स नेचुरली माता-पिता बनने का सुख नहीं हासिल कर पा रहे हैं। ऐसे में, काफी लोग पेरेंट्स बनने का सपना आईवीएफ (IVF) के जरिए पूरा कर रहे हैं। इसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro fertilization) कहा जाता है। यूं तो यह तकनीक आजकल काफी आम हो गई है। लेकिन, फिर भी काफी लोगों को इससे जुड़ी पूरी जानकारी नहीं है। इसके चलते, इससे जुड़े कई मिथ्स भी लोगों के दिमाग में हैं। काफी लोगों को ऐसा लगता है कि आईवीएफ के जरिए, सिर्फ जुड़वां बच्चे ही होते हैं। क्या वाकई ऐसा है, इस बारे में हमने डॉक्टर से बात की और इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की। इस बारे में डॉक्टर दुर्गा जी.राव जानकारी दे रही हैं। वह, ओएसिस फर्टिलिटी की फाउंडर और मेडिकल डायरेक्टर हैं।
क्या आईवीएफ से हमेशा जुड़वा बच्चे ही पैदा होते हैं? (What Are The Chances Of Twins With IVF?)
- नेचुरल कंसीव करने की तुलना में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से एक से अधिक बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।
- आईवीएफ जैसी रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी के जरिए, ट्विन्स और ट्रिपलेट्स होने के ज्यादा चांसेज रहते हैं।
- एक्सपर्ट के मुताबिक, आईवीएफ के जरिए होने वाली लगभग 30 प्रतिशत प्रेग्नेंसीज से एक से ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं, जिनमें ज्यादातर ट्विन्स होते हैं।
- हालांकि, यह समझना जरूरी है कि आईवीएफ में ट्विन्स होने के चांसेज बेशक ज्यादा होते हैं। लेकिन, इसकी कोई गारंटी नहीं है कि आपको ट्विन्स ही होंगे।
- एक्सपर्ट के मुताबिक, आईवीएफ के बारे में सबसे बड़ी गलतफहमियों में से एक यही है कि इससे जुड़वां या अधिक बच्चे पैदा होते हैं। लेकिन, अब रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी में होने वाले विकास के कारण, अब यह कम हो गया है।
- पहले सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाने के लिए एक से अधिक भ्रूण को ट्रांसफर किया जाता था। इसकी वजह से मल्टीपल प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती थी।
- अब एम्ब्रयो सलेक्शन टेक्निक और प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग की मदद से, फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट सबसे सही भ्रूण की पहचान कर पाते हैं।
- इस तकनीक के कारण, ज्यादातर केस में सिंगल एम्ब्रयो ट्रांसफर होता है और ट्विन्स के चांसेज कम हो जाते हैं।
- आईवीएफ ट्रीटमेंट का मुख्य उद्देश्य मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा और हेल्थ का ध्यान रखना है और किसी भी तरह के रिस्क से बचना है।
- सिंगल एम्ब्रयो ट्रांसफर करना है या अधिक, इसका फैसला पेशेंट और डॉक्टर मिलकर करते हैं।
- इसमें पेशेंट की एज, मेडिकल हिस्ट्री और एम्ब्रयो की क्वालिटी का ध्यान रखा जाता हैं, जिससे प्रेग्नेंसी सक्सेसफुल हो सके और पेशेंट की हेल्थ भी सही रहे।
- एक्सपर्ट के मुताबिक, बेशक आईवीएफ से ट्विन्स या ट्रिपलेट्स के चांसेज होते हैं। लेकिन, अब टेक्नोलॉजी की मदद से ये काफी कम हो गए हैं।
यह है एक्सपर्ट की राय
अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है, तो हमें आर्टिकल के ऊपर दिए गए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम अपने आर्टिकल्स के जरिए आपकी समस्या को हल करने की कोशिश करेंगे।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit:Freepik, Shutterstock
यह भी पढ़ें- आईवीएफ से मां बनना है आसान, इसके 5 चरणों के बारे में जानें
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करें।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों