डायबिटीज में फूलती है आपकी भी सांस तो हो सकती हैं ये बीमारी

अगर आपको डायबिटीज है और आपकी सांसें फूलती है तो आपमें आरएलडी के विकसित होने का जोखिम ज्‍यादा होता है, आइए जानें कौन सी है ये बीमारी।  

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डायबिटीज यानि शुगर की बीमारी बहुत तेजी से बढ़ रही है। जी हां आज के समय में डायबिटीज और मोटापा दो सबसे बड़ी प्रॉब्‍लम्‍स है जिससे ज्‍यादातर महिलाएं परेशान रहती हैं। खराब लाइफस्‍टाइल और खान-पान की गलत आदतें इसके प्रमुख कारण है। इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है क्‍योंकि कई बार इस बीमारी का तब पता चलता है, जब इससे बॉडी के कुछ भागों (आंखों, किडनी, हार्ट) को नुकसान हो जाता है। डायबिटीज में ब्लड शुगर का लेवल बहुत बढ़ जाता है जिससे बॉडी की इंसुलिन उत्पादन क्षमता प्रभावित होने लगती है। कई बार ऐसा भी होता है कि बॉडी एक्टिव रूप से इंसुलिन का इस्तेमाल ही नहीं कर पाती हैं। इसके अलावा डायबिटीज से ग्रस्‍त कई महिलाओं की सांस फूलने लगती है। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो आपमें आरएलडी के विकसित होने का जोखिम ज्‍यादा होता है।

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क्‍या कहती है रिसर्च

जी हां डायबिटीज रहित लोगों की तुलना में टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्‍त लोगों में रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी (आरएलडी) विकसित होने का जोखिम ज्यादा होता है। आरएलडी की पहचान सांस फूलने से की जाती है। जर्मनी के हेडेलबर्ग अस्पताल यूनिवर्सिटी के स्टीफन कोफ ने कहा, "तेजी से सांस फूलना, आरएलडी व फेफड़ों की विसंगतियां टाइप-2 डायबिटीज से जुड़ी हैं।"

जानवरों पर किए गए पहले के निष्कर्षो में भी रिस्ट्रिक्टिव फेफड़े की बीमारी व डायबिटीज के बीच संबंध का पता चला था। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर पी. नवरोथ ने कहा, "हमे संदेह है कि फेफड़े की बीमारी टाइप-2 डायबिटीज का देर से आने वाला परिणाम है।"

एल्ब्यूमिन्यूरिया क्‍या है?

शोध से पता चलता है कि आरएलडी एल्बूमिन्यूरिया के साथ जुड़ा है। एल्ब्यूमिन्यूरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें यूरिन का एल्ब्यूमिन लेवल बढ़ जाता है। यह फेफड़े की बीमारी व किडनी की बीमारी के जुड़े होने का संकेत हो सकता है, जो कि नेफ्रोपैथी से जुड़ा है। नेफ्रोपैथी-डायबिटीज किडनी से जुड़ी बीमारी है।

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शोध के निष्कर्षो का प्रकाशन पत्रिका 'रेस्पिरेशन' में किया गया है। इसमें टाइप-2 डा‍यबिटीज वाले 110 मरीजों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। इसमें 29 मरीजों में हाल में टाइप-2 डायबिटीज का पता चला था, 68 मरीज ऐसे थे, जिन्हें पहले से डायबिटीज था व 48 मरीजों को डायबिटीज नहीं था।

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