अर्थराइटिस एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति जोड़ों में दर्द व सूजन का अहसास करता है। आमतौर पर, जब व्यक्ति की उम्र बढ़ने लगती है और उसकी हड्डियां कमजोर होती हैं तो उसे यह समस्या होने की संभावना अधिक हो जाती है। हालांकि, गठिया एक ऑटोइम्यून बीमारी के रूप में विकसित हो सकता है जिसे रूमेटोइड गठिया के रूप में जाना जाता है। वहीं, जब व्यक्ति के जोड़ों के कार्टिलेज पर नेगेटिव असर होता है और वे धीरे-धीरे टूटना शुरू हो जाते हैं, तो उसे ऑस्टियोआर्थराइटिस कहा जाता है।
अर्थराइटिस को मैनेज करने के लिए लोग कई तरह की दवाइयों व उपायों का सहारा लेते हैं। लेकिन इन सबके बीच वे इस बीमारी के जुड़े कई तरह के भ्रम या मिथ्स को ही सच मान लेते हैं। हो सकता है कि आपने भी इस बीमारी के बारे में काफी कुछ सुना हो। लेकिन आज हम आपको अर्थराइटिस से जुड़े कुछ मिथ्स और उनकी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं-
मिथ 1- केवल बुढ़ापे में ही होती है गठिया की समस्या
तथ्य- यह सच है कि गठिया(की समस्या) वृद्ध लोगों में अधिक आम है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि यह यंग लोगों को प्रभावित नहीं कर सकता है। वास्तव में, यह किसी भी उम्र के लोगों को अपनी जद में ले सकता है। कई बार चोट के कारण बेहद कम उम्र में अर्थराइटिस हो सकता है। इसके अलावा, 30 के दशक में जब महिलाओं के शरीर से कैल्शियम खोने लगता है तो उन्हें यह समस्या होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
मिथ 2- अगर अर्थराइटिस है तो आपको एक्सरसाइज करने से जोड़ों पर विपरीत असर होगा।
तथ्य- अक्सर लोग यह सोचते हैं कि अगर उन्हें अर्थराइटिसहै तो उन्हें व्यायाम नहीं करना चाहिए। यह जोड़ों को जल्दी घिसता है और इससे ज्वॉइंट्स को नुकसान होगा। जबकि यह बिल्कुल भी सत्य नहीं है। वास्तविकता तो यह है कि एक्सरसाइज करने से आपकी मसल्स डेवलप होती है, जो आपके ज्वॉइंट्स को सपोर्ट करती हैं। हालांकि, आपको यह अवश्य देखना चाहिए कि आपकी एक्सरसाइज से ज्वॉइंट्स पर अतिरिक्त दबाव ना पड़े।
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मिथ 3- ऑस्टियोआर्थराइटिस होने पर सर्जरी ही एकमात्र उपचार है।
तथ्य- गठिया एक प्रोगेसिव डिसीज है। जिसका अर्थ है कि इस बीमारी की शुरुआत हल्के दर्द और सूजन से शुरू होती है और इसके लक्षण समय के साथ खराब होते जाते हैं। हालांकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि इलाज के लिए केवल सर्जरी ही एकमात्र विकल्प है। अगर शुरुआत में ही इस समस्या की पहचान कर सही तरह देखभाल की जाए तो बिना सर्जरी के भी व्यक्ति एक बेहतर जीवन जी सकता है।
मिथ 4- अगर आपके जोड़ों में दर्द होता है, तो आपका अर्थराइटिस है।
सच्चाई- यह सच है कि अर्थराइटिस के प्रमुख लक्षणों में से एक जोड़ों में दर्दहै। लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि अगर आपको जोड़ों में दर्द हो रहा है तो आपको अर्थराइटिस ही है या फिर बाद में आपको यह समस्या होगी। जोड़ों में और उसके आसपास दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें टेंडिनाइटिस, बर्साइटिस और चोटें शामिल हैं। इसलिए, किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले एक बार डॉक्टर से अवश्य मिलें और जरूरी टेस्ट करवाएं।
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मिथ 5- गठिया को रोका नहीं जा सकता।
सच्चाई- यह भी पूरी तरह से सच नहीं है। गठिया के कुछ जोखिम कारक, जैसे कि बढ़ती उम्र में बदलाव नहीं किया जा सकता है। लेकिन फिर भी इससे काफी हद तक बचाव करने के लिए आप अतिरिक्त वजन को कम करने से लेकर, स्मोकिंग छोड़ने तक कई उपाय अपना सकते हैं।
तो अब आपके मन के भी कई मिथ्स दूर हो गए होंगे। इन मिथ्स की सच्चाई जानने के बाद आपके लिए अपनी सेहत का बेहतर तरीके से ख्याल रखना अधिक आसान हो गया होगा।
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Image Credit- freepik
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