हार्ट संबंधी रोगों के इलाज के अलावा कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवा स्टैटिन का इस्तेमाल आप न्यूरोडिजनरेटिव बीमारियों के विकास को रोकने में भी कर सकती हैं। यह बात हम नहीं कह रहे बल्कि एक नई रिसर्च से ये बात सामने आई हैं। जी हां क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन (क्यूएमयूएल) के शोधकर्ताओं द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार, मोटर न्यूरॉन डिजीज (MND) के विकास में हाई कोलेस्ट्रॉल को संभावित जोखिम कारकों में पाया गया है। एमएनडी एक लाइलाज बीमारी है, जिसका असर ब्रेन व नर्व पर पड़ता है और इसे एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस के नाम से भी जानते हैं।
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एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस एक तरह के विकारों का समूह हैं, जिसको मोटर न्यूरॉन रोगों के नाम से जाना जाता है। यह ब्रेन, रीढ़ की हड्डी और बॉडी की मसल्स के बीच तालमेल करने वाली सेल्स के नष्ट होने से होता है। जी हां न्यूरॉन्स ब्रेन, रीढ़ की हड्डी और सेंट्रल नर्वस सिस्टम का भाग हैं। सेन्सरी न्यूरॉन्स सेंसेस (साउंड, लाइट, टच) को पहचानकर, ये सिग्नल्स ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड तक पहुंचाते हैं। फिर मोटर न्यूरॉन्स ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड तक ये सिग्नल्स भेजते है और इसी के चलते मसल्स में मूवमेंट होती है। यह नर्व सेल्स से जुड़ी बीमारी है और इसके कई कारण हैं। इसमें इंसान के बॉडी की मसल्स जकड़ने और धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
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कुछ मामलों में लोगों ने अपनी सोच व व्यवहार में बदलाव महसूस किए हैं।
यूनिवर्सिटी के अलास्टेयर नॉयस ने कहा, "हमने देखा है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल) का हाई लेवल बीमारी के अत्यधिक जोखिम कारक से जुड़ा है।" नॉयस ने कहा, "हमारे पास अच्छी दवाएं हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम कर सकती हैं और हमें देखना चाहिए कि क्या वे इस भयावह बीमारी के खिलाफ रक्षा कर सकती हैं, जो वर्तमान में लाइलाज है।"
Source: IANS
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