जिन महिलाओं को गर्भधारण में समस्या आती है, उनमें पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम एक आम समस्या होती है। एक अनुमान के अनुसार 10 से में एक महिला पीसीओएस से पीड़ित है। यह समस्या किसी भी उम्र वर्ग की महिला को हो सकती है। लाइफ की अलग-अलग स्टेजेस में से किसी में भी महिलाओं के प्रजनन अंग इससे प्रभावित हो सकते हैं। हालांकि इससे सबसे ज्यादा समस्या उस समय में होती है, जब महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी प्लान कर रही होती हैं। शादीशुदा जिंदगी शुरू होने के कुछ ही सालों में महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करने लगती हैं, इस समय में उन्हें मातृत्व सुख का आनंद उठाने की इच्छा होती है। लेकिन पीसीओएस की वजह से उनकी गर्भधारण की प्रक्रिया में मुश्किल खड़ी हो जाती है। पीसीओएस के कारण ovulation की प्रक्रिया बाधित होती है और इससे रीप्रोडक्टिव हार्मोन्स भी प्रभावित होते हैं। इस बारे में हमने बात की Dr. Garima Sharma (FRM, M.S. OBGY, DNB OBGY) से और उन्होंने हमें महत्वपूर्ण जानकारियां दीं-
पीसीओएस होने का वास्तविक कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन ज्यादातर मामलों में पीसीओएस शरीर में मेल हार्मोन androgen के बढ़ जाने की वजह से होता है। हर महिला के शरीर में androgen का स्राव होता है, लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम होती है। लेकिन पीसीओएस में शरीर में इस हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है, जिसकी वजह से गर्भवती होने की चाह रखने वाली महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके कारण महिला के शरीर से एग रिलीज होने और ओवेरियन प्रक्रिया में बाधा पहुंचती है। इस समस्या से प्रभावित होने वाली महिलाएं हर महीने ovum यानी एग रिलीज नहीं कर पातीं।
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कई बार पीसीओएस का संबंध इंसुलिन रेसिस्टेंस से भी होता है। शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाने की वजह से मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। इससे शरीर का वजन बढ़ने लगता है और इसी कारण पीसीओएस के लक्षण भी बढ़ने लगते हैं।
जो महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं, वे भी मातृत्व सुख का आनंद ले सकती हैं। इसके लिए पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं अपने ovulation के पैटर्न को समझें, ताकि उन्हें गर्भधारण में सफलता मिल सके। अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं तो इस बारे में अपनी डॉक्टर से सलाह लें और जानने का प्रयास करें कि आपके केस में क्या-क्या विकल्प अपनाए जा सकते हैं। डॉक्टर एक आसान से ब्लड टेस्ट, फिजिकल एक्जामिनेशन और पेल्विक अल्ट्रासाउंड के जरिए आपका हार्मोन लेवल जांचेगा। इसके अनुसार वह आपकी ओव्युलेशन की प्रक्रिया को रेगुलेट करने का प्रयास करेगा। अगर दवाओं से स्थिति में सुधार ना हो पाए तो आप इन-वीट्रो फर्टिलाइजेशन का विकल्प अपना सकती हैं। हालांकि कुछ मामलों में शरीर का वजन काबू में रखने पर हार्मोन संतुलन बनाने और ओव्युलेटरी प्रोसेस को सही बनाए रखने में मदद मिलती है। आप अपनी तरफ से हेल्दी डाइट, रेगुलर फिजिकल एक्टिविटी बनाए रखें और अपने स्ट्रेस को कम करने का प्रयास करें। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और प्रेग्नेंसी में पीसीओएस की समस्या होने पर नियमित रूप से गायनेकोलॉजिस्ट सेसलाह लें।
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Reference:
https://www.womenshealth.gov/a-z-topics/polycystic-ovary-syndrome
https://www.webmd.com/infertility-and-reproduction/polycystic-ovary-syndrome-fertility#1
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