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साथी के दूर हो जाने का सदमा आपको बना सकता है बीमार

साथी से दूर होने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं तो बढ़ सकती हैं आपकी हेल्थ प्रॉब्लम। लगातार डिप्रेशन में रहने से भी बिगड़ सकती है आपकी स्थिति। <div>&nbsp;</div>
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-04-26, 17:07 IST

आप अपने जीवनसाथी के साथ हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात सबसे पहले शेयर करना पसंद करती हैं। उनके साथ आप जीने-मरने की कसमें खाती हैं, उनके साथ आपकी तमाम खुशियां जुड़ी होती हैं। उनके सामने होने से आपको बहुत सामान्य चीजें भी बहुत अच्छी लगने लगती हैं और उनके दूर होने पर आपको बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल करने की खुशी महसूस नहीं होती। अपने साथी के लिए ऐसा लगाव होना बहुत स्वाभाविक है फिर चाहे आप लिव-इन में हों या पति-पत्नी के रिश्ते में। एक दूसरे का साथ हमें जितनी खुशियां देता है, दूर जाने का गम उतना ही ज्यादा सताता है। आपने अक्सर सुना होगा कि किसी की मौत के बाद उनके साथी बीमार पड़ गए या साथी की मौत के कुछ ही वक्त बाद उनकी मौत हो गई। 

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Image courtesy : Imagesbazaar 

साथी के जाने का गम बर्दाश्त करना मुश्किल होता है

हाल की ही बात है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश अपनी पत्नी  के अंतिम संस्कार के अगले दिन हॉस्पिटलाइज हो गए। अगर हमारा साथी हमसे दूर चला जाए या उसकी मौत हो जाए, तो शरीर पर भी निश्चित रूप से उसका प्रभाव पड़ता है। किसी तरह का सदमा लगने पर हार्ट अटैक आ सकता है। इसे ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम भी कहते हैं। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि लंबे समय तक अपने साथी के साथ रहने के बाद उनके दूर होने पर साथी की मौत की आशंका बढ़ जाती है। वैसे इसमें टाइमिंग का भी बड़ा हाथ होता है। बुढ़ापे में कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम हो जाती हैं और साथी के बिछड़ने पर सदमा उन्हीं समस्याओं को और बढ़ा देता है। 

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Image courtesy : Imagesbazaar 

इमोशनल सपोर्ट की जरूरत

अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन के एनवाईयू लेंगन मेडिकल सेंटर के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ नीसा गोल्डबर्ग का कहना है, 'स्थिति चाहे जो भी हो, अपने साथी के गुजर जाने पर जीवित बचे साथी के लिए समय काफी खतरनाक होता है। यह भी बहुत जरूरी है कि अगर कोई व्यक्ति ऐसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है तो उसे बहुत सारा इमोशनल सपोर्ट मिले। जब लोग डिप्रेस होते हैं तो उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता। वो खाना नहीं खाना चाहते, वो अपना खयाल नहीं रख पाते और ना ही अपने दुख के बारे में बताना चाहते हैं। इससे उनका स्ट्रेस बढ़ता है और उन्हें आराम भी नहीं मिल पाता। इन सभी चीजों से उनकी स्थिति गंभीर हो जाती है।'

यह बात जानकर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। अपना खयाल रखें और स्थितियां अगर नाजुक भी हों तो खुद को सामान्य बनाने का प्रयास करें और रोजमर्रा की गतिविधियों में खुद को इन्वॉल्व करें। अगर आप खुद को बेहतर बनाने के लिए कोशिशें करती रहेंगी तो आप चाहें जितनी भी स्ट्रेस्ड हों, जल्द ही रिलैक्स हो जाएंगी।  

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