भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल, अव्यवस्थित जीवनशैली, काम का बढ़ता बोझ और मेंटल स्ट्रेस के बीच बुरी आदतें मौजूदा दौर में महिलाओं की परेशानी और बढ़ा रही हैं, क्योंकि इससे फिजिकल एनर्जी दिन-ब-दिन कम होती चली जाती है। विशेषज्ञ इसे गंभीर चिता का विषय बताते हैं। क्लिनिकल न्यूट्रीशियन, डाइटिशियन और हील योर बॉडी के संस्थापक रजत त्रेहन ने कहा कि लोगों यह सोचने की जरूरत है कि फिजिकल एनर्जी को कम करने वाली कौन सी बुरी आदतें हैं जिन्हें छोड़कर वह हेल्दी लाइफस्टाइल अपना सकते हैं।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत की कुल 130 करोड़ आबादी में से 28.6 फीसदी लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि करीब 18.4 फीसदी युवा न सिर्फ तंबाकू, बल्कि सिगरेट, बीड़ी, खैनी, बीटल, अफीम, गांजा जैसे अन्य खतरनाक नशीली चीजों का सेवन करते हैं।
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बीते साल आई डब्लयू.एच.ओ की ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट में भी कुछ ऐसे ही चिंताजनक आंकड़े सामने आए थे। 2017 में आई इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बीते 11 सालों में प्रति व्यक्ति शराब की खपत दोगुनी हुई है। जहां 11 साल पहले एक व्यक्ति 3 लीटर शराब पीता था वहीं बीते 11 वर्षो में बढ़कर इसकी खपत बढ़कर 6 लीटर हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस दशक में भारतीय युवाओं में तंबाकू और शराब के अलावा एक और नशीले पदार्थ की लत तेजी से बढ़ी है। वह नशीला पदार्थ है ड्रग्स। ड्रग्स और अन्य मादक पदार्थो के सेवन से शारीरिक कार्यक्षमता बनाए रखने में एनर्जी का अत्यधिक उपयोग होता है, जिसके चलते ये नशीले पदार्थ लीवर और फेफड़ों में विषाक्त पदार्थ के रूप में जमा होने लगते हैं ।
खान-पान की आदतें भी बीते कुछ वर्षो में काफी तेजी से बदली है। सपरफूड से लेकर जंक फूड न केवल शहरों बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी अब पांव पसारने लगे हैं। साल 2018 में आई क्लिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 35 फीसदी भारतीय हफ्ते से भी कम समय में एक बार फास्ट फूड खाते हैं।
इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 14 फीसदी स्कूली बच्चे मोटापे का शिकार हैं। जंक फूड में जरूरी पोषण तत्वों की कमी से मोटापा बढ़ता है, कम उम्र में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा और लीवर और खाना पचाने वाले अन्य पाचन अंगों को जंक फूड को पचाने के लिए बहुत अधिक एनर्जी और हार्मोनल स्राव की आवश्यकता होती है, क्योंकि इन फूड्स में काबोर्हाइड्रेट और वसा की उच्च मात्रा होती है।
बदलती लाइफस्टाइल और शहरी लाइफस्टाइल कम नींद का एक प्रमुख कारण है। काम का बोझ, शिक्षा का दबाव, रिश्तों में आती खटास, तनाव और अन्य समस्याओं के कारण लोगों को नींद नहीं आती है। युवा ज्यादातर समय मूवी देखने और रात में पार्टी करने में बिताते हैं।
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विशेषज्ञ बताते हैं कि नींद की कमी से तनाव के हार्मोन रिलीज होते हैं। यह टेस्टोस्टेरोन कम करता है। कम नींद से हृदय रोग और मोटोपे बढ़ने का खतरा बना रहता है। कम नींद की वजह से शरीर को और भी ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है ऐसे में वसा का संचय होता है, जिससे मधुमेह यानी डायबीटिज का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है।
योग, ध्यान और एक्सरसाइज ये तीनो चीजें शरीर और शरीर से जुड़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स से निजात पाने की संजीवनी हैं। ये सभी हमारे बॉडी के ब्लड सकुर्लेशन को नॉर्मल और हार्मोन्स को बैलेंस करते हैं इसके साथ ही फिजिकल एनर्जी और उसकी कार्य क्षमता को बनाए रखते हैं। फिजिकल एक्सरसाइज के दौरान हमारी बॉडी से फैट और कैलोरी बर्न होती है, जिससे बॉडी को अधिक एनर्जी मिलती है।
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