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एक नई तरह की मच्छरदानी आपको बचा सकती है मलेरिया जैसी बीमारी से

मच्छरों के काटने से कई तरह की बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। लेकिन अब एक नई तरह का नेट विकसित किया गया है जो मलेरिया जैसी बीमारी से आपको सुरक्षित रखेगा।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-04-16, 15:06 IST

रात में अक्सर आपको सोने में परेशानी होती है जब मच्छर मच्छरदानी के अंदर घुसकर भी आपका खून पी जाते हैं या मच्छरदानी से सट जाने पर बाहर से ही काट लेते हैं। ऐसे में एक तो आपकी नींद में खलल पड़ता है और दूसरा मच्छरों के काटने पर लाल निशान भी पड़ जाते हैं। आप आशंकित रहती हैं कि मच्छर के कारण आपको डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां ना हो जाएं। आप अक्सर सोचा करती हैं कि मच्छरों से सुरक्षित रहने के लिए क्या उपाय किए जाएं। अब आपके लिए अच्छी खबर यह है कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से सुरक्षा देने के लिए एक नई तरह का नेट विकसित किया गया है। 

अगर बात करें मलेरिया की, तो आजकल एक नई समस्या से परेशानी बढ़ गई है। दरअसल मलेरिया से लड़ने वाले मच्छरों में इंसेक्टिसाइड्स (मच्छर मारने वाले स्प्रे) से लड़ने की क्षमता तेजी से विकसित हो रही है और अफ्रीका में ऐसे मच्छरों की प्रजाति तेजी से बढ़ रही है। इससे लाखों लोगों की जिंदगी के लिए जोखिम बढ़ गया है। इस खतरे से लड़ने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तरह का बेड नेट विकसित किया है, जिसमें पाइपरोनिल ब्यूटॉक्साइड नाम के केमिकल का इस्तेमाल होता है, जो मच्छरों की कीटनाशक पाइरेथरॉइड से लड़ने की क्षमता को कमजोर कर देता है। दो साल के इस अध्ययन में तंजानिया के 15,000 बच्चों को शामिल किया गया। इन्हें नए नेट में सुलाने पर मलेरिया 44 फीसदी तक घट गया और पाइरेथ्रॉइड ट्रीटेड नेट लगाने से पहले साल में 44 फीसदी और दूसरे साल में 33 फीसदी कमी दर्ज की गई। 

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यह अध्ययन  The Lancet में प्रकाशित हुआ है। इन नए नेट्स से मिलने वाले अच्छे नतीजों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)उत्साहित है और उसने इसे व्यापक इस्तेमाल के लिए recommend भी किया है। इस अध्ययन की प्रमुख डॉ नताशा प्रोटोपोपॉफ, जो लंदन स्कूल ऑफ हाईजीन और ट्रॉपिकल मेडिसिन से जुड़ी हुई हैं, ने कहा है, 'हमारे लिए मच्छरों की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाने से एक कदम आगे रहना बेहद जरूरी है।'

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इंसेक्टिसाइड-ट्रीटेड बेड नेट्स से कुछ सालों में मलेरिया से होने वाली मौतों में कमी आई है, लेकिन हाल-फिलहाल में इस बीमारी के खिलाफ कुछ खास सफलता नहीं मिली है। WHO के ताजा आंकड़े बताते हैं कि साल 2016 में  लगभग 216 मिलियन लोग मलेरिया से प्रभावित हुए, जो इससे पिछले साल के आंकड़े की तुलना में 5 मिलियन अधिक है, जबकि इससे मरने वालों की संख्या 4,45,000 रही जो दोनों सालों में बराबर है। Sub-Saharan Africa के गरीब इलाकों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की सबसे ज्यादा मौत के मामले सामने आए।

 

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