साल आता है... चले जाता है। लेकिन अपने साथ कुछ लोगों को भी ले जाता है। ये लोग जाते हैं उन बीमारियों की वजह से जिनके कारण लोगों की जिंदगी बुरी तरह से तबाह हो जाती है। तो चलिए आज हम बात करते हैं ऐसी बीमारियों की जिन्होंने इस साल सभी की जिंदगी को नर्क बना दिया।
प्रदूषण का कहर
इस साल की सबसे बड़ी बीमारी रही- प्रदूषण, जिसका इलाज सरकार तक को समझ नहीं आया। साल दर साल प्रदूषण का कहर बढ़ते जा रहा है। केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया इसके गिरफ्त में जा रही है। दुख की बात तो ये है कि इसका समाधान किसी के पास नहीं है। साल दर साल प्रदूषण से मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2017 रिपोर्ट से ये भी खुलासा हुआ है कि भारत में 2015 में वायु प्रदूषण से 10.90 लाख लोगों की मौत हुई है। पीएम 2.5 कण प्रदूषण से बीमारियों की सबसे बड़ी वजह हैं। 1990 से अब तक भारत में प्रदूषण से मौत की दर 48 फीसदी बढ़ी है।
मतलब कि अब नहीं चेते तो फिर मौका नहीं मिलेगा। देखते आने वाले साल में प्रदुषण और कितना बढ़ता है।
इबोला ने बरपाया फिर से कहर
पश्चिम अफ्रीका में कोहराम मचाने वाले ईबोला वायरस ने इस साल फिर से कहर बरपाया। डेंगू का प्रकोप उतना देखने को नहीं मिला जितना की इस वायरस का देखने को मिला। सबसे बुरी खबर ये है कि इस वायरस का अब तक कोई एंटी वैक्सीन नहीं बना है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। केवल कोशिश की जाती है कि मरीज के शरीर में पानी की कमी ना हो और उसके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर और ब्लड प्रेशर सामान्य बना रहे। मई में इबोला का कहर फिर से बरपा था। भारत में इससे कोई मौत तो नहीं हुई लेकिन पश्चिम अफ्रीका में इसके कई मामले देखने को मिले। 2014 से 2016 के बीच में इसके 28,616 मामले और 11,310 मौतें देखने को मिली।
चिकनगुनिया ने भी ली जान
इस साल देश में डेंगू से ज्यादा चिकनगुनिया के मामले देखने को मिले। डेंगू की आशंका से तो हर कोई पपीते का रस और बकरी का दूध पीना शुरू कर देता है।
लेकिन चिकनगुनिया का इलाज कैसे हो? इस कारण चिकनगुनिया ने इस साल भी कहर बरपाया। 15 मई 2017 तक दिल्ली में चिकनगुनिया के 90 औऱ डेंगू के 36 मामले सामने आए थे। और ये मामले 9 जुलाई 2017 तक बढ़ते-बढ़ते 15,432 हो गए। पिछले साल की तुलना में इस साल कम मामले देखने को मिले।
दिल की बीमारी
वैसे तो किसी भी बीमारी के साथ एवरग्रीन नहीं लगना चाहिए... लेकिन अगर satire की तरह कहें तो दिन की बीमारी को एवरग्रीन बीमारी कह सकते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस साल भी हृदय रोग सबसे घातक बीमारी रही। दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में कमी नहीं हो रही। दो दशक से भी ज्यादा हो चुके हैं लेकिन इससे होने वाली मौतें रुकने का नाम नहीं ले रही। इस साल भी कई लोगों ने दिल की बीमारी के कारण अपनी जान गंवाई।
संक्रामक बीमारियां (Non-communicable diseases)
अंत में बात करते हैं देश की सबसे बड़ी बीमारी जिसके कारण 61% लोगों की देश में मौत हुई।
ये है संक्रामक बीमारी मतलब कि Non-communicable diseases जिसमें हार्ट डिसऑर्डर, कैंसर औऱ डायबीटिज शामिल है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इन बीमारियों के कारण premature death की आशंका 23% बढ़ जाती है। इसके कारण 15 मीलियन लोगों की मौत हुई जिनकी उम्र 30 से 70 के बीच की थी।
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