फिट रहने के लिए हम सभी तरह-तरह की एक्सरसाइज करते हैं। इन्हीं में से रनिंग को एक काफी अच्छी एक्सरसाइज माना जाता है। यह आपके दिल से लेकर फेफड़ों तक का ख्याल रखता है। जब आप रनिंग करते हैं तो इससे अतिरिक्त कैलोरी बर्न होती है और आपका वजन कम होने लगता है। इतना ही नहीं, इससे मसल्स और हड्डियों को भी मजबूती मिलती है। हालांकि, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह एक हाई इंपैक्ट वर्कआउट है और इसलिए अगर अर्थराइटिस के मरीज पूरी सावधानी के साथ रनिंग नहीं करते हैं तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बहुत तेज या बहुत देर तक रनिंग करने से आपके पैरों के ज्वॉइंट्स पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और ऐसे में दर्द की समस्या बद से बदतर हो जाती है। इसलिए, अर्थराइटिस होने पर आपको अपने शरीर की सुनते हुए थोड़ा मोडिफाई तरीके से रनिंग करनी चाहिए। चोट से बचने के लिए अपने रनिंग करने के तरीके से लेकर वार्म-अप और स्ट्रेचिंग आदि में थोड़ा अधिक ध्यान देने की जरूरत है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही छोटे-छोटे टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें एक अर्थराइटिस के मरीज को रनिंग करते हुए जरूर ध्यान रखना चाहिए-
डॉक्टर से करें बात
अगर आपको अर्थराइटिस की शिकायत है और आप पहली बार रनिंग करने वाले हैं तो ऐसे में आपको पहले एक बार अपने डॉक्टर या रुमेटोलॉजिस्ट से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। वे आपकी कंडीशन को समझकर आपको बेहतर सलाह दे सकते हैं। इसके अलावा, एक बार फिजियोथेरेपिस्ट से कंसल्ट करना भी आपके लिए लाभदायक हो सकता है।
सही हो बॉडी फॉर्म
जब भी आप रनिंग करते हैं तो आपको अपने बॉडी फॉर्म पर खासतौर से ध्यान देना चाहिए। इससे आपके ऊपरी और निचले दोनों ज्वाइॅटं्स पर कम तनाव पड़ता है और चोट लगने का खतरा भी काफी कम हो जाता है। जब भी आप रनिंग करें तो अपने सिर को 30 से 40 फीट आगे की ओर देखते हुए ऊंचा रखें। अपने कंधों को ऊपर न उठाएं क्योंकि इससे दौड़ते समय तनाव बढ़ सकता है। साथ ही, हाथों को आराम दें और कलाइयों को ढीला रखें। जब आपका पैर ज़मीन से टकराए तो अपने पैर को अपने घुटने के साथ एलाइन करें और अपने घुटनों को बहुत ऊपर न उठाएं। ध्यान दें कि आप हल्के से दौड़ें। बहुत तेज़ दौड़ने से बचें।
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हाई क्वालिटी जूतों में करें इनवेस्ट
अगर आप चाहते हैं कि रनिंग करते हुए आपके ज्वॉइंट्स पर अतिरिक्त दबाव ना पड़े, तो आपको हाई क्वालिटी जूतों को जरूर पहनना चाहिए। यह जूते अच्छी कुशनिंग और सपोर्ट प्रदान करते हैं। इससे आपके लिए रनिंग करना अधिक आसान हो जाता है और आपको जल्दी से पैरां में दर्द की भी शिकायत नहीं होती है। हो सकता है कि आपको डॉक्टर या फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह पर अतिरिक्त सपोर्ट और एलाइनमेंट के लिए कस्टम ऑर्थोटिक्स का इस्तेमाल करने की जरूरत महसूस हो।
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समझदारी से चुनें जगह
जब आप रनिंग करते हैं तो आपको यह भी अवश्य देखना चाहिए कि आप किस जगह पर रनिंग कर रहे हैं। कोशिश करें कि आप ट्रेडमिल से लेकर स्मूथ ट्रेल्स और रास्तों पर रनिंग करें। ऐसा करने से ज्वॉइंट्स पर दबाव कम पड़ता है। इसके अलावा, जब आप रनिंग कर रहे हैं तो उस दौरान छोटे कदम लें। इससे कई ज्वॉइंट्स जैसे कूल्हों, घुटनों, टखनों और पैरों पर वजन कम पड़ता है।
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