म्यूजिक का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। म्यूजिक पक्षियों के चहचहाने में है, तो बारिश की बुंदों के टपकने में भी है। म्यूजिक हवा के बहने में हैं, तो उससे हिलने वाले पत्तों से निकलने वाली सुरीली आवाज और जमीन पर पड़े सूखे पत्तों के टकराने से निकलने वाली ध्वनी हमारे तन-मन को उत्तेजित कर रही ध्वनि में भी म्यूजिक है। बच्चों के हंसने की आवाज में भी म्यूजिक है।
आयुर्वेद चिकित्सक अबरार मुल्तानी के अनुसार, संगीत का हमारे शरीर पर प्रभाव पड़ता है। कई खुबसूरत गानों को सुनकर हमारे अंदर एक खुशी की लहर दौड़ जाती है और कई बार कुछ गम भरे गाने सुनकर हम उदास हो जाते हैं। कुछ धुने सुनकर हम झल्लाकर उसे बंद करने के लिये कहते हैं तो कुछ को तो हम लम्बे समय तक सुनना चाहती हैं।
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कल्पना कीजिए, आप कार चला रहे हैं और आपकी बेटी आपके साथ है और कार में गाना बज रहा है किशोर कुमार का- ‘‘आ चल के तुझे मैं लेके चलूं इक ऐसे गगन के तले ...’’अब आप अपनी बेटी को देखकर बड़ा सूकून महसूस करेंगी। दूसरे सीन में आप कल्पना करें कि थोड़ी देर बाद गाना बदलकर महेन्द्र कपुर का- ‘‘होगा मसीहा सामने तेरे फिर भी न तू बच पाएगा, तेरा अपना खून ही कल फिर तुझको आग लगाएगा ...।" यकिन मानियें इन दोनों गीतों को सुनते समय आपका मन बिल्कूल अलग अवस्था में होगा। इस उदाहरण से आप म्यूजिक का हेल्थ में महत्व समझ गये होंगे। आपका गम सुकून बख्शने वाले गाने को सुनकर कम होगा और दर्द भरे गानों से बढ़ेगा।
बचपन में ही आपने यह अनुभव कर लिया होगा कि म्यूजिक का आपकी बॉडी और ब्रेन पर कितना अधिक प्रभाव पड़ता है। सोते समय आपकी मां जो लोरियां गाती थीं जिसे सुनकर आप सुकून की नींद सो जाते थी। आयुर्वेद बॉडी और ब्रेन को बैलेंस करने के लिए म्यूजिक को थेरेपी के रूप में मान्यता देता है। म्यूजिक थेरेपी बॉडी में बदलाव लाने का सबसे अच्छा तरीका है। अगर आप अपने ब्लड प्रेशर को कम करना चाहती हैं तो हल्के, मंद शास्त्रीय संगीत को सुनना अधिक अच्छी चिकित्सा होगी।
टेस्ट, कलर और गंध की तरह ही कई दोष निश्चित स्वरों से बैलेंस किया जा सकता है। लेकिन यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन सा म्यूजिक सुबह, दोपहर, शाम के लिये सही हैं और कौन से दूसरे समयों के लिये। दोपहर के बाद वात अपने शिखर पर पहुंच जाता है उस समय शांत संगीत शरीर की थकावट को दूर कर सकता है और ब्रेन के तनाव को भी कम कर सकता है। अगर सही तरीके से म्यूजिक बजाया जाये तो कई रोगों में शानदार परिणाम प्राप्त होते हैं। हमारे शरीर उन परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया कर रहे हैं जो प्रकृति की भिन्न लयों को प्रतिबिंबित करते हैं।
जिस प्रकार मौसमों में बदलाव के साथ ही हमारे दोष असंतुलन के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते है, इसी प्रकार हमारा शरीर भी दिन के विभिन्न कालों के प्रति संवेदनशील होता है। कुछ घंटे शरीर का काम बहुत तेजी से होता है कुछ घंटों में बहुत स्लो होता है। म्यूजिक थेरेपी इनके बीच बहुत ज्यादा उतार-चढाव को बैलेंस करती है। जैसे अगर आप सोने की कोशिश करते हैं लेकिन आपका ब्रेन में कुछ-कुछ चल रहा है और आप नींद न आने से परेशान हैं तो म्यूजिक थेरेपी से इसका समाधान किया जा सकता है।
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म्यूजिक सुनने से आप लंबे समय तक हेल्दी रहने में हेल्प मिलेगी। तो देर किस बात की आप भी हेल्दी रहना चाहती हैं तो आज से ही म्यूजिक को अपनी लाइफ का हिस्सा बनाएं।
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