असम की ट्रेडिशनल साड़ी बेहद खूबसूरत हैं। यहां आपको सिर्फ मूंगा सिल्क साड़ी ही नहीं बल्कि मेखला-सादर भी मिलेगी। प्रियंका चोपड़ा असम पर्यटन की ब्रांड एंबेसडर हैं। मेखला चादर पहनकर प्रियंका चोपड़ा ने जब असम फेस्टीवल में हिस्सा लिया था तो ये साड़ी और भी पॉपुलर हो गयी थी। इतना ही नहीं अब कई ऐसे इंडियन फैशन डिज़ाइनर्स भी हैं जो असम की ट्रेडिशनल साड़ी को अपना कलेक्शन बनाकर रैम्प पर शोकेज़ करते हैं।
असम में हर साल 15 जनवरी को माघ बीहू फेस्टीवल होता है जिसमें यहां कि महिलाएं असम की मेखला सादर पहनकर ट्रेडिशनल डांस करती हैं। हर राज्य की अपनी खूबसूरती और खासियत है। असम घूमने के लिए तो बेहद शानदार जगह है ही लेकिन यहां से आप साड़ियों की शॉपिंग भी कर सकती हैं। लेकिन आप असम की साड़ी खरीदने से पहले उसकी खासियत जान लें कि ये साड़ियां इतनी महंगी क्यों होती हैं और इसमें क्या खास होता है।
बीहू फेस्टीवल में के दिन मे असम महिलाएं इस तरह से मेखला सादर पहनकर डांस करती हैं। ये साड़ी दो पीस में आती है जिसे नीचे प्लेट्स बनाकर अलग से स्कर्ट की तरह पहना जाता है और दूसरे पीस को कमर पर बांधकर कंधे पर इस तरह से सेट करती हैं।
असम की मूगा सिल्क साड़ी आजकल काफी ट्रेंड में है। असम सिल्क ने लोगों के बीच अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हुई है। इसमें कोई शक नहीं कि ये सदियों से मूंगा सिल्क यूरोपिअन देशों के ट्रेड का एक अहम हिस्सा रहा है। ये सिल्क भारतीय फैब्रिक्स, हैंडलूम्स और बुनकरों की स्पेशलिटी में से एक है। जिसे अब बॉलीवुड की देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा भी प्रमोट करती हैं।
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मूगा सिल्क साड़ी को रेशम के कीड़े से बनाया जाता है लेकिन रेशम का धागा लेने के लिए कीड़े को मारा नहीं जाता। मूगा सिल्क साड़ी जितनी पुरानी होती जाती है उतनी ही इसकी शाइन भी बढ़ती ही जाती है। आप इन साड़ियों को फिर भी इतना नाजुक ना समझें क्योंकि आप इन्हें घर पर ही वॉश कर सकती हैं। मूंगा सिल्क साड़ी की केयर करना बेहद ही आसान है।
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प्लेन मूगा सिल्क साड़ी को बनाने में ही कम से क 15-45 दिन का समय लग जाता है। फिर इस पर कारीगरी होती है और फिर इसे फिनिशिंग टच दिया जाता है। पीली सी दिखनी वाली मूगा सिल्क, उम्दा सिल्कों में से एक है। मूगा सिल्क को इतनी कीमती इसकी शानदार चमक और मज़बूती बनाती है। समय के साथ इस सिल्क की चमक और कीमत दोनों ही बढ़ती गई। इसकी और एक खासियत है कि इस पर किसी तरह की कढ़ाई आसानी से की जा सकती है। जैसा कि इसके ऊपर पीले रंग की खूबसूरत परत चढ़ी होती है इसलिए इसे किसी तरह के डाई की ज़रूरत नहीं पड़ती है, लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी तो किसी डाई का इस्तेमाल करने में भी कोई हर्ज नहीं होता है।
असम में मूगा सिल्क ज़्यादातर वहां के पश्चिम इलाकों में मौजूद गारोह हिल्स में तैयार की जाती है। हर किसान 1000 कॉकून्स पर 125 ग्राम सिल्क तैयार कर पाता है। एक मूगा सिल्क साड़ी को तैयार करने में 1000 ग्राम सिल्क का इस्तेमाल होता है। इसे काफी मुश्किल टेक्निक से तैयार किया जाता है इसलिए एक साड़ी तैयार होने में कम से कम दो महीने का समय लगता है। मूंगा सिल्क को असम का परंपरिक पहनावा ‘मेखला-सादर’ को तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन बदलते ट्रेंड की वजह से मूगा सिल्क का इस्तेमाल कर कई डिज़ाइनर्स मॉर्डन आउटफिट भी तैयार कर रहे हैं। वैसे आपको ये भी बता दें कि 2007 में मूगा सिल्क को Geographical Indication भी मिल चुका है।
आज कई डिज़ाइनर्स इस सिल्क का इस्तेमाल कर कई खूबसूरत आउटफिट्स तैयार कर रहे हैं, जिनमें सबसे पहला नाम आता है मुंबई की डिज़ाइनर वैशाली शादानगुले का। जब बात मूगा सिल्क के ज़रिए बेहतरीन कट्स और सिलुएट्स की आती है तो वैशाली का कोई मेल नहीं। इनके अलावा, अब्राहम, ठाकोर और पायल प्रताप भी ऐसे डिज़ाइनर्स हैं जो इस सिल्क के शानदार इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं और इंडियन फैब्रिक में इनका योगदान काबिले तारीफ है।
अगर आप साड़ियों की दीवानी हैं और अपने लिए कुछ अलग लेकिन बेहद खास खरीदना चाहती हैं तो आपको असम साड़ी के बारे में जरुर सोचना चाहिए। वैसे मेरी राय मानें तो हर महिला से वार्डरोब में एक मूगा सिल्क साड़ी तो जरुर होनी चाहिए ये आपको बेहद रॉयल और क्लासी लुक देती है।
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