कहते हैं एक महिला के लिए आभूषण से बढ़कर और कुछ नहीं होता। आभूषण आपके आउटफिट में चार चांद लगाता है। वहीं जब भारतीय ज्वेलरी की बात आती है, तो उनका इतिहास हमारे देश की तरह ही प्राचीन है। आपने बहुत-सी महिलाओं को अक्सर कलरफुल बोहेमियन ज्वेलरी को स्टाइल करते देखा होगा? क्या आपको पता है इस तरह की ज्वेलरी को मीनाकारी कहते हैं और यह राजस्थान की एक पुरानी और पारंपरिक ज्वेलरी है।
भारतीय दुल्हनें भी इस ज्वेलरी को अपने लहंगे के साथ स्टाइल करने के लिए जानी जाती है। इसकी बारीक तकनीक जो ज्वलेरी को एक रॉयल और एलिगेंट टच देती है, अपने आप में एक्जिक्यूजिट है। इसके इतिहास से लेकर स्टाइल करने के खास तरीके के बारे में आइए आपको इस आर्टिकल में बताएं-
मीनाकारी डिजाइनिंग मूल रूप से कलर्ड एनेमल के साथ ज्वेलरी में कोट या एन्ग्रेव की जाती है। इसके लिए कई अलग तरह के मेटल का उपयोग किया जा सकता है जिसमें पीतल, तांबा, चांदी और सोना शामिल हैं। गहनों में आमतौर पर एक लोकप्रिय डिजाइन या जानवरों की मूर्तियों या देवी-देवताओं की छवियां होती है। इसके पीछे विचार एक तस्वीर का रूप देना है। इनेमल को भरकर चित्रों के रूप को बढ़ाया जाता है। विभिन्न विषयों और अवसरों को खूबसूरती से व्यक्त करने और इसे उत्तम रूप देने के लिए मीनाकारी गहनों का उपयोग किया जाता है। यह मीनाकारी तकनीक की सबसे प्रशंसित विशेषताओं में से एक है जो इसे दूसरों से अलग करती है।
इस अद्भुत आर्ट की उत्पत्ति पर्शिया में हुई थी, जिसके बाद मुगल आक्रमणकारियों द्वारा इसे भारत लाया गया। मीनाकारी आभूषण काफी देशी शैली के आभूषण थे, जो भारत में मेवाड़ के राजा मान सिंह के कारण लोकप्रिय हुए। शुरुआती दौर में राजा मान सिंह ने इसे अपने चित्रों और दरबार समारोहों के में दिखाना शुरू किया था। इसी के बाद 16वीं शताब्दी के जयपुर में, बाजार में मीनाकारी के आभूषणों की मांग में बढ़ गई।
लाहौर के शिल्पकारों, जिन्हें मेवाड़ के राजा मान सिंह द्वारा भारत लाया गया था, ने मीनाकारी के आभूषणों की मांग को पूरा करने में मदद करने के लिए जयपुर और उसके आसपास अपना बेस स्थापित किया और फिर इनके डिजाइन्स को तैयार किया गया।
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वैसे तो मीनाकारी आभूषणों की मांग पूरे देश में है, लेकिन जयपुर में 16वीं शताब्दी से मीनाकारी आभूषणों का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, राज्य के कुछ अन्य हिस्से दुनिया भर में मीनाकारी आभूषणों के उत्पादन और व्यापार में प्रमुख हैं।
यह जानना दिलचस्प है कि सोने में बने मीनाकारी आभूषण ज्यादातर जयपुर, दिल्ली और बनारस के क्षेत्रों में पाए जा सकते हैं, जबकि चांदी में की गई मीनाकारी सबसे ज्यादा बीकानेर, उदयपुर और नाथद्वारा शहरों में की जाती है। मीनाकारी के आभूषणों की शीशे की एनामेलिंग प्रतापगढ़ के क्षेत्र से आती है, इसकी सस्ती कीमत के लिए अत्यधिक मांग है (मॉर्डन ब्राइड लुक के लिए मिनिमल ज्वेलरी सेट)।
नई-नई दुल्हन हैं, तो अपनी बनारसी साड़ी के साथ मीनाकारी चोकर के साथ रानी हार पहनकर तैयार हो सकती हैं। अपने हेयरस्टाइल को स्लीक स्ट्रेट रखें या फिर करें। आप मीनाकारी प्रिंसेस नेकलेस का ऑप्शन भी चुन सकती हैं।
अगर आप ट्रेडिशनल सूट पहन रही हैं, तो उसके साथ भी मीनाकारी झुमके पहन सकती हैं। अनारकली और ब्रोकेड सूट्स के साथ भी यह ज्वेलरी कॉम्बिनेशन शानदार लगेगा। चूंकि इयररिंग्स अपने आप में हैवी होते हैं और वह आपके सिंपल अटायर को भी शानदार बना सकते हैं (ट्रेंडी सलवार सूट डिजाइन)।
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आप ब्राइडल से हटके भी मीनाकारी ज्वेलरी को स्टाइल कर सकती हैं। जरूरी नहीं कि इसे सिर्फ ब्राइड्स ही पहनती हैं। आप मीनाकारी वाली चांदबालियों को अपने साधाराण सूट या एथनिक स्टाइल के साथ पहनें।
हमें उम्मीद है मीनाकारी के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इस लेख को लाइक और शेयर करें। भारतीय ज्वेलरी के बारे में और जानने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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