साड़ी बेशक एक 6 गज का कपड़ा हो मगर इसमें आपको अनेक डिजाइंस, पैटर्न्स और प्रकार मिल जाएंगे। साड़ी को भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है, जिस तरह से हर 100 कदम पर लोगों की भाषा और पहनावा बदल जाता है ठीक वैसे ही आपको साड़ी में भी अलग-अलग स्थान की परंपरा और लोक कला देखने को मिल जाएगी।
आज हम एक ऐसी ही साड़ी के इतिहास और उससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालने वाले हैं। इस साड़ी का नाम है ‘धर्मावरम’। यह साड़ी सदियों पुरानी कला और परंपरा खुद में समेटे हुए हैं। इस साड़ी के बारे में ज्यादातर लोग जानते भी नहीं हैं क्योंकि यह साड़ी आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में अनंतपुर जिले के ग्रामीण हिस्सों में स्थित, छोटे से कस्बे धर्मावरम में बनाई जाती हैं।
स्थानीय लोगों की इससे साड़ी से कई आस्थाएं और भावनाएं जुड़ी हुई हैं। यहां पीढ़ियों से लोग इस साड़ी को बनाते हुए आ रहे हैं। ऐसी भी मान्यता है कि, इस साड़ी का संबंध तमिलनाडु से आए एक कारीगर से है, जिसका नाम देवंगा था। इस साड़ी को धर्मावरम इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें धामिर्क पात्र और कथाओं को चित्रित किया जाता है।
चलिए आज हम आपको इस साड़ी से जुड़ी कुछ बेहद रोचक बातें बताते हैं-
साड़ी से जुड़ी है धार्मिक आस्था
आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की महिलाओं की साड़ी से धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है। इस साड़ी को खासतौर पर ब्राह्मण महिलाएं पहनती हैं। किसी बड़े धार्मिक अनुष्ठान में इस साड़ी को पहनना बहुत ही शुभ माना गया है। इस साड़ी को टेम्पल साड़ी भी कहा जाता है क्योंकि इस साड़ी में आपको मंदिरों के चित्र रेशम के धागों से तगे हुए मिल जाएंगे, वहीं हिंदू धार्मिक की कथाओं का वर्णन आप साड़ी के बॉर्डर पर दिख जाएगा। इस साड़ी का बॉर्डर और पल्लू ही खास होता है। इसमें आपको धार्मिक पात्र भी कढ़े हुए मिल जाएंगे। साथ ही इसमें धार्मिक चिन्हों के मोटिफ भी देखने को मिल जाएंगे।
इसे जिस फैब्रिक से तैयार किया जाता है उसे ‘कोट्टन पट्टू ’ कहा जाता है यानि कि कॉटन का कपड़ा। आपको बता दें कि हिंदू धर्म में कॉटन के कपड़े को बहुत ज्यादा पवित्र माना गया है और पूजा पाठ के अवसरों में इस फैब्रिक की साड़ी पहनी जाए, तो यह और भी ज्यादा शुभ होता है।
धर्मावरम साड़ी भारतीय संस्कृति में महिलाओं की एक प्रमुख परिधान है, विशेष रूप से तमिलनाडु राज्य में। यह साड़ी विशेष रूप से ब्राह्मण महिलाओं द्वारा पहनी जाती है और धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग की जाती है।
कैसे बनती हैं ‘धर्मावरम साड़ी’?
यह साड़ी उच्च गुणवत्ता के कॉटन कपड़े से तैयार की जाती है। इस साड़ी में जो कॉटन कर कपड़ा इस्तेमाल होता है वह बहुत ही हल्का मगर गफ होता है। इसका बॉर्डर और पल्लू बहुत ज्यादा सुंदर होते हैं और इनमें हिंदू धर्म से जुड़ी चीजों को रेशम के धागों से काढ़ा जाता है। इसमें आपको वाद्य यंत्र, मंदिर, फूल और पक्षियों के मोटिफ देखने को मिल जाएंगे। इनका बॉर्डर भी चमकीला होता है। इसमें कहीं-कहीं आपको गोलडन धागों का काम भी मिल जाएगा। इस साड़ी में नेचुरल रंगों का प्रयोग किया जाता है। इन रंगों में लाल, नारंगी, गुलाबी और नीला रंग आपको खूब देखने को मिल जाएगा।
इसका बॉर्डर बारीक, अलंकृत और संगीतमय होता है। बॉर्डर में चमकदार रंग और विशेष चित्रों का प्रयोग होता है। धर्मावरम साड़ी के डिजाइन बारीक होते हैं और धार्मिक भावनाओं से जुड़े होते हैं। इस साड़ी की बुनाई भी बहुत खास होती है, इसलिए पहनने के बाद यह बहुत ही खूबसूरत लगती हैं।
कहां और कितने मूल्य में मिलेगी ‘धर्मावरम साड़ी’?
इस साड़ी की बुनाई हाथ से की जाती है, इसलिए यह साधारण कॉटन साड़ी से आपको महंगी मिलेंगी। धर्मावरम साड़ी की जानकारी आम लोगों को नहीं होती है। साथ ही यह साउथ इंडियन साड़ी है, इसलिए आपके हैंडलूम शॉप, मेले एक्सपो और साउथ इंडियन साड़ी शॉप्स में ही मिल सकती है।
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