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difference between jutti mojri and nagra

जूती, मोजरी और नागरा...क्या आप जानते हैं इन तीनों के बीच का असली फर्क?

जब फैशन में फुटवियर की बात आती है, तो हमारे पास कई तरह के ऑप्शन होते हैं। लेकिन जूती, मोजरी और नागरा के बीच क्या अंतर है इसको जानना काफी दिलचस्प है। 
Editorial
Updated:- 2025-04-14, 15:49 IST

आमतौर पर ट्रेडिशनल पहनावे की जब आती है, तो हम जूती, मोजरी और नागरा के बारे में एक बार जरूर सोचते हैं। यह ट्रेडिशनल जूते केवल पहनने के लिए नहीं हैं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, कारीगरी और विरासत से जुड़े हुए हैं। जूती, मोजरी और नागरा का इस्तेमाल एक-दूसरे की जगह अक्सर हम कर लेते हैं, लेकिन सच में इन तीनों में बारीक फर्क होता है। फिर चाहे वो डिजायन का हो, पहनने का तरीका हो या बनाने का प्रोसेस हो। इन ट्रेडिशनल जूतों का इतिहास मुगल दरबारों से लेकर राजस्थान की रेत तक फैला हुआ है। 

आज हम आपको जूती, मोजरी और नागरा में अंतर बताने वाले हैं और ये एक-दूसरे से कैसे अलग हैं ये भी बताएंगे। 

जूती(Jutti)

जूती एक ऐसा ट्रेडिशनल जूता है, जिसे खासकर भारत के पंजाब राज्य में खूब पहना जाता है। जूती शब्द उर्दू भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब है कि ऐसा जूता जिसका ऊपरी हिस्सा बंद और जो तलवे से सिला हुआ हो। जूती आज भारतभर में स्टाइल स्टेटमेंट बन चुकी है। 

जूती का इतिहास

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जूती की शुरुआत मुगल काल से मानी जाती है। उस समय इन जूतों को राजा और रानियों द्वारा पहना जाता है और इन पर बारीक कढ़ाई, गोटा, मिरर वर्क और कीमती पत्थर जड़ा होता था। ये जूती चमड़े से बनाई जाती थीं और रॉयल लुक के लिए इन्हें बेहतरीन तरीके से सजाया जाता था। समय के साथ यह जूती पंजाब के कारीगरों द्वारा बनाई जाने लगी और उन्होंने इसमें नई डिजायन और लोक कलाएं जोड़ दीं। 

कैसे बनती है जूती?

जूती को बनाने के लिए चमड़े की जरूरत होती है। पहले जूती का बेस चमड़े से तैयार किया जाता है। फिर, इस चमड़े को खूबसूरत रंगों से रंगा जाता है और जूती को आकर्षक बनाया जाता है। फिर, मोची जूती के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ते हैं और सिलाई करते हैं। आखिरी में, इस पर कढ़ाई और सजावट की जाती है।

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मोजरी(Mojari)

यह राजस्थान का ट्रेडिशनल और रॉयल जूता है, जिसे खुस्सा या सलीम शाही भी कहा जाता है। मोजरी को हाथ से बनाया जाता है और इसके तलवे फ्लैट होते हैं। आमतौर पर मोजरी चमड़े से निर्मित होती है और इस पर कढ़ाई की जाती है। 

मोजरी का इतिहास

माना जाता है कि मुगल काल में ही मोजरी की शुरुआत हुई थी और उस समय जहांगीर का शासन था, जिन्हें सलीम शाह भी कहा जाता था। यही वजह है कि मोजरी को सलीम शाह के नाम से भी जाना जाता है। शुरुआत में यह केवल पुरुषों द्वारा पहनी जाती थी और इसमें आगे नोक हुआ करती थी। समय के साथ, इसकी डिजायन में बदलाव हुआ और मोजरी को महिलाएं भी पहनने लगीं। 

मोजरी कैसे बनती है?

How jutti and mojari are made

मोजरी को बनाने के लिए, सबसे पहले बेस्ट क्वालिटी का चमड़ा चुना जाता है, जो काफी समय तक टिका रहे और पैरों को आराम दे। कारीगर इस पर ट्रेडिशनल डिजायनों की स्केचिंग करते हैं, जो आमतौर पर मुगलकालीन हस्तशिल्प से प्रेरित होते हैं। पहले चमड़े को सही आकार में काटा जाता है और हाथ से सिला जाता है। आखिरी में, मोजरी पर शीशे, धागों और मोतियों से सजाव की जाती है। आजकल लोग मोजरी को शादी-बारात, तीज-त्योहार में खूब पहनते हैं।

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नागरा(Nagra)

नागरा भी एक पारंपरिक जूता है, जो जूती और मोजरी से काफी मिलता-जुलता है। नागरा में आगे तरफ नोकदार हिस्सा लगा होता है जिसे नोख कहा जाता है। 

नागरा का इतिहास

नागरा को फारसी और मध्य एशियाई स्टाइल से प्रभावित माना जाता है। मुगल दरबारों में दरबारियों के बीच इसे खूब पहना जाता था। उस समय नागरा को दरबारी बैठकों और समारोह में पहना जाता है। नागरा में नोख वाला डिजायन इसे शाही लुक देता था। 

नागरा कैसे बनता है?

नागरा बनाने के लिए कारीगर हल्का और लचीला चमड़े का इस्तेमाल करते हैं, ताकि आगे की तरफ इसे मोड़ सकें। इस जूते को आगे की तरफ मोड़ने के लिए कुशल कारीगर की जरूरत होती है। नागरा दिखने में बहुत खूबसूरत होता है, क्योंकि इस पर रंग-बिरंगे धागों से कढ़ाई की जाती है। इन जूतों को शीशे और जरी से सजाया जाता है। आजकल फ्यूजन फैशन की वजह से नागरा को खूब पहना जा रहा है।

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image credit- freepik 


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