बंगाल की लोकप्रिय कॉटन 'तांत की साड़ी' से जुड़े रोचक तथ्‍य जानें

बंगाली तांत की साड़ी से जुड़ी कुछ बेहद महत्‍वपूर्ण बातें जानने के लिए आपको भी यह लेख पूरा पढ़ना पड़ेगा। 

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भारत विभिन्‍न संस्‍कृतियों का देश है, साथ ही यहां विविध कलाओं का संगम देखने को मिलता है। यहां कदम-कदम पर जहां लोगों की भाषाएं बदल जाती हैं, वहीं कदम-कदम पर कला के नए रंग ढंग भी देखने को मिलते हैं। यह कलाएं कभी कैनवास पर बिखरी नजर आती हैं तो कभी इन्‍हें कपड़ों पर संजोया जाता है।

आज हम ऐसी ही एक कला के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे फैशन की दुनिया में विशेष स्‍थान दिया गया है। आज हम आपको बंगाल की लोकप्रिय तांत के काम वाली कॉटन साड़ी के बारे में बताएंगे।

आप सोच रहे होंगे कि इस कॉटन की साड़ी की क्‍या खासियत है और यह कैसे एक साधारण कॉटन के कपड़े से अलग है। तो चलिए पूरा अर्टिकल पढ़ें और इस साड़ी की खासियत के बारे में जानें।

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तांत की साड़ी का इतिहास

साड़ी बुनने का इतिहास भारत में काफी पुराना है। यहां आपको अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग से बुनकरों द्वारा साड़ी बुनने की अनोखी कला देखने को मिल जाएगी। बंगाल की लोकप्रिय साड़ी को भी हाथों से ही बुना जाता है। हां इसकी बुनाई अलग प्रकार की होती है, जो केवल आपको बंगाल और बांगलादेश में ही देखने को मिलेगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि जब देश का विभाजल हुआ और बांगलादेश पाकिस्‍तान का हिस्‍सा हो गया, तब बांगला देश के कई बंगाली बुनकर भारत में आकर बस गए और साथ ही अपनी पैतृक बुनाई परंपरा को भी साथ ले आए। इस कला का सबसे ज्‍यादा उत्‍थान मुर्शिदाबाद, तंगेल, ढाका आदि में हुआ।

कैसे प्रसिद्ध हुई यह साड़ी

यह बहुत ही लाइट वेट कॉटन होता है। इसे शुद्ध सूती धागों से बनाया जाता है और इसे बंगाली महिलाएं आमतौर पर डेलीयूज में पहनती हैं। मगर जब से तांत को फैशन का हिस्‍सा बनाया गया है तब से इसमें कई बदलाव देखने को मिले हैं। पहले इसे हथकरघा से तैयार किया जाता था और अब इसे पावर लूम की मदद से तैयार किया जाता है। इस साड़ी एक खासियत यह भी है कि इसमें स्‍टार्च लगाकर यदि आप इसे पहनेंगी तो यह हमेशा ही नई जैसी नजर आएगी। गर्मियों के मौसम में आपको तांत की साड़ी बाजार में 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक मिल सकती है।

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किस अवसर में पहनी जा सकती है यह साड़ी

अब तो तांत की साड़ी में डिजाइनर बुनाई भी देखी जा रही है, मगर बावजूद इसके इसे पार्टीवियर साड़ी की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इसमें आपको भौरा, राजमहल, अर्धचंद्र, हाथी और फूल आदी की बुनाई ही नजर आएगी। साड़ी को बुनते वक्‍त ही यह डिजाइंस उसमें डाल दी जाती हैं। आप इसे घर और बाहर कहीं भी कैरी कर सकती हैं। आमतौर पर बंगाली महिलाएं इसे किसी भी अवसर पर पहन लेती हैं, मगर इस देसी साड़ी को पहनने का सबसे ज्‍यादा मजा तब है जब आप इसके साथ बोल्‍ड स्‍टोन ज्‍वेलरी भी पहनें।

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