Pattachitra Saree: आलिया भट्ट की इस महंगी साड़ी पर की गई अनोखी पट्टचित्र चित्रकला के बारे में जानें

पट्टचित्र कला के बारे में कुछ रोचक तथ्‍यों के बारे में जानना चाहती हैं, तो एक बार यह लेख पूरा पढ़ें। 

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हर ओर आजकल एक ही नाम की चर्चा है और वो नाम है श्री राम का। आज पूरा भारत श्री राम के नाम में रम चुका है। 22 जनवरी को अयोध्या में हुए रामलला मंदिर के उद्घाटन समारोह में भी यह देखने को मिला। मगर सबसे ज्यादा जिसकी चर्चा हुई, वो थी एक्ट्रेस आलिया भट्ट की साड़ी। दरअसल, आलिया ने रामायण की कथा पर आधारित साड़ी पहनी थी। इस साड़ी में उड़ीसा की पारंपरिक पट्टचित्र कला को बहुत ही खूबसूरती से संजोया गया था और राम कथा के प्रमुख दृश्यों का चित्रण किया गया था। चलिए आज हम आपको इस साड़ी की खासियत और पट्टचित्र कला के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।

आलिया की साड़ी की खासियत

आलिया की साड़ी खास इसलिए है क्‍योंकि इसके बॉर्डर पर शिव धनुष को तोड़ना, राजा दशरथ का वचन, गुहा के साथ नाव में स्वर्ण मृग, सीता हरण, राम सेतु, भगवान हनुमान द्वारा मां सीता को अंगूठी भेंट करना और राम पट्टाभिषेक, जैसे रामायण के लगभग सभी प्रमुख दृश्यों को चित्रित किया गया है। इस कला को "पट्टचित्र" कहा जाता है। मधुर्या क्रिएशन द्वारा डिजाइन की गई इस साड़ी को 100 घंटे में तैयार किया गया है और यह हैंड पेंटेड है। यह साड़ी मैसूर सिल्‍क से तैयार की गई, जो बेहद मुलायम और लाइटवेट का होता है।

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मैसूर सिल्क के बारे में जानें

मैसूर सिल्क भी भारत के शिल्प कौशल का बहुत ही अच्छा नमूना है। महाराजाओं के शासनकाल में उनके वस्त्र मैसूर सिल्क से ही तैयार किए जाते थे। सिल्क फैब्रिक में बहुत सी वैरायटी उपलब्ध हैं, जिनमें मैसूर सिल्क को लग्जरी फैब्रिक की श्रेणी में रखा जाता है।

पट्टचित्र कला के बारे में जानें

आलिया की साड़ी पर की गई पट्टचित्र कला कोई आम और सरल कला नहीं है। यह कला भारत के एक ऐसे गांव से आती हैं, जो अपने आप में अनोखा है। इस गांव में लगभग 100 परिवार रहते होंगे और हर घर में आपको एक कलाकार मिल जाएगा, जो पट्टचित्र बनाता होगा। यह गांव है उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्‍वर से मात्र 50 किलोमीटर पर स्थित रघुराजपुर। इस गांव में घुसते ही आपको हर घर के बाहर दीवारों पर पट्टचित्र बने दिख जाएंगे। हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि पट्टचित्र कला पारंपरिक रूप से बांस, केले के पत्ते और नारियल के पत्तों पर होती है। अब इसे कपड़े पर भी किया जाने लगा है।

पट्टचित्र में आपको कृष्ण लीलाएं और राम कथाओं के साथ ही नृत्य एवं राजाओं की कहानियां भी खूबसूरत चित्रों के माध्यम से देखने को मिलेंगी। इन चित्रों में नेचुरल कलर्स भरे जाते हैं। ज्यादातर पट्टचित्र कला को टसर सिल्‍क पर किया जाता है, मगर आलिया ने मैसूर सिल्‍क साड़ी पहनी थी जिस पर यह कला देखने को मिली थी।

पहले यह कला दीवारों और लकड़ी के खिलौना पर भी की जाती थी, मगर अब यह फैशन इंडस्ट्री का हिस्सा बन चुकी है और इसे फिर से लोगों के जेहन में लाने के लिए बहुत सारे फैशन डिजाइनर्स इसके साथ प्रयोग कर रहे हैं।

फैशन में है पट्टचित्र साड़ी और अन्य आउटफिट्स

साड़ी में पट्टचित्र आर्ट के साथ-साथ आपको अब सलवार सूट, दुपट्टे, लहंगे और शॉल आदि में भी यह कला देखने को मिल जाएगी। यदि आप रघुराजपुर या फिर पीपल में मौजूद हैं, जो भुवनेश्‍वर से बहुत ही करीब है, तो आपको बेडशीट, कुर्तियों और अन्‍य फैब्रिक्स में भी यह कला देखने को मिल जाएगी और यहां तो आप आर्टिस्ट को ऑर्डर देकर अपने मनमाफिक किसी धार्मिक कथा को चित्रण फैब्रिक पर करवा सकती हैं। आप जैसा काम कराएंगी वैसे ही आपको दाम भी चुकाने होंगे। वैसे यदि आप पट्टचित्र कला कृति वाला एक दुपट्टा भी खरीदती हैं, तो उसके लिए आपको 500 रुपये से 1000 रुपये तक कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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