आजकल हेल्दी खाने को लेकर बहुत सारी बातें कही और सुनी जा रही हैं। इंस्टाग्राम पर इंफ्लूएंसर्स बहुत सारे वीडियोज के जरिए डाइट टिप्स देने लगे हैं। हेल्दी डाइट को लेकर ग्रीन और ब्राउन दो ही रंगों को महत्व दिया जा रहा है जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां और ब्राउन ब्रेड, ब्राउन राइस, ब्राउन पास्ता आदि। होल ग्रेन्स से बने आइटम्स को बहुत पसंद किया जा रहा है, लेकिन क्या वाकई ये सभी के लिए अच्छे हैं? आजकल ये ट्रेंड बनता जा रहा है कि हम अपनी तरफ से अपनी डाइट में अलग-अलग एक्सपेरिमेंट्स करते जाते हैं।
हर किसी का शरीर अलग होता है और ऐसे में एक जैसे डाइट ट्रेंड्स को फॉलो करना ना तो सही माना जाएगा और ना ही अलग-अलग डाइटीशियन इसे अप्रूव करते हैं। एक तरह से देखा जाए तो हम सिर्फ पॉपुलर ट्रेंड्स को फॉलो करने की कोशिश करते हैं और इंस्टाग्राम रील्स की तरह डाइट में भी सामने वाला क्या कर रहा है उसमें ज्यादा इंटरेस्ट दिखाते हैं पर ये सही नहीं है। चलिए सिर्फ ब्राउन राइस की बात करते हैं। ब्राउन राइस को आजकल नॉर्मल राइस की तुलना में ज्यादा पसंद किया जाने लगा है, लेकिन क्या वाकई ये आपके लिए है?
डायटीशियन और होलिस्टिक न्यूट्रिशनिस्ट और डाइट पोडियम की फाउंडर शिखा महाजन से हमने बात की और इस बारे में और जानने की कोशिश की।
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इससे पहले कि हम ब्राउन राइस के फायदे और नुकसान के बारे में बात करें हम ये जान लेते हैं कि असल में ब्राउन राइस होता क्या है?
क्या होता है ब्राउन राइस?
वैसे तो ब्राउन राइस को उगाने का तरीका भी अलग-अलग वैरायटी के हिसाब से बदल जाता है, लेकिन अगर साधारण समझने वाली भाषा में बताया जाए तो ब्राउन राइस में राइस हस्क यानी चावल की भूसी भी मिली होती है। नॉर्मल व्हाइट राइस में इसे प्रोसेस करके पूरी तरह से हटा दिया जाता है, लेकिन ब्राउन राइस में इसका कुछ हिस्सा मौजूद होता है जिसके कारण इसमें एक्स्ट्रा मिनरल्स होते हैं। इसका टेक्सचर भी इसी कारण ज्यादा स्टिकी होता है और साथ ही साथ इसका स्वाद भी नॉर्मल चावल की तुलना में थोड़ा अलग होता है। पर इसे कुछ और समझने की गलती ना करें क्योंकि इससे ज्यादा ये कुछ नहीं है।
ब्राउन राइस के फायदे क्या हैं?
चलिए अब हमने ये जान लिया कि ब्राउन राइस क्या होता है तो उसके फायदों के बारे में भी जान लेते हैं।
ग्लाइसेमिक इंडेक्स में होता है लो
ब्राउन राइस को हेल्दी इसलिए ही माना जाता है क्योंकि इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स लो होता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वह पैमाना है जो बताता है कि कोई खास खाद्य पदार्थ कितनी तेजी से और कितनी मात्रा में शरीर में शुगर को बढ़ाता है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला खाना ब्लड शुगर लेवल को कम रखने में मदद करता है। इसलिए ब्राउन राइस को व्हाइट राइस की तुलना में थोड़ा हेल्दी माना जा सकता है।
कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा होती है
ब्राउन राइस में क्योंकि हस्क कुछ हद तक मौजूद होता है इसलिए इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स की मात्रा ज्यादा होती है और ये हड्डियों के लिए अच्छा होने के साथ-साथ स्ट्रेस को भी कम करता है।
फाइबर और प्रोटीन कंटेंट
व्हाइट राइस के मुकाबले ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा ज्यादा ही होती है। इसके कारण ना सिर्फ आपके बाउल मूवमेंट ठीक होते हैं बल्कि पेट ज्यादा भरा रहने का अहसास होता है जिसके कारण ये वेट लॉस के लिए अच्छा माना जाता है।
स्ट्रेस और थकान के लिए अच्छा है
कुछ साइंटिफिक स्टडीज में ये बताया गया है कि ब्राउन राइस खाने से स्ट्रेस लेवल कम होता है और साथ ही साथ ये दिल के लिए भी अच्छा होता है।
ये सभी ब्राउन राइस के फायदे हैं। पर क्या आप जानती हैं कि ब्राउन राइस से जुड़े कई नुकसान भी होते हैं जिनके बारे में अधिकतर लोगों को नहीं पता होता है।
क्या हैं ब्राउन राइस के नुकसान?
ब्राउन राइस हर किसी के लिए नहीं होता है और इसलिए ये लगातार खाने के बाद कुछ लोगों को दिक्कत भी महसूस होने लगती है।
ब्राउन राइस डाइजेस्ट करने में आसान नहीं है
जिन लोगों को पाचन संबंधित समस्याएं हैं उनके लिए ब्राउन राइस नहीं है। ये आसानी से डाइजेस्ट नहीं होता है और ये ज्यादा देर तक पेट के अंदर रहता है। प्रोटीन कंटेंट ज्यादा होने के कारण कई लोगों को ये नुकसान भी पहुंचा सकता है और ऐसे में कॉन्स्टिपेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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Phytic एसिड होता है ब्राउन राइस में
ये पौधों में पाया जाने वाला एक कम्पाउंड है जो शरीर में मिनरल्स को आसानी से एब्जॉर्ब नहीं होने देता। ब्राउन राइस में भरपूर मात्रा में फाइटिक एसिड होता है। इसी के साथ, इसमें कुछ मात्रा में फर्टिलाइजर वाले कम्पाउंड्स भी पाए जाते हैं।
एक स्टडी मानती है कि ब्राउन राइस में काफी मात्रा में आर्सेनिक सब्सटेंस पाया जाता है क्योंकि इसमें चावल की भूसी भी मिली होती है।
ब्राउन राइस में कम होता है फोलिक एसिड
व्हाइट राइस में फोलेट या फोलिक एसिड मौजूद होता है जो शरीर के लिए अच्छा होता है, लेकिन ब्राउन राइस में जरूरी मात्रा में फोलेट नहीं होता है। फोलेट प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होता है।
पकने में बहुत ज्यादा समय लगता है
ब्राउन राइस को पकने में बहुत ज्यादा समय लगता है और इस हिसाब से व्हाइट राइस रोजाना खाने के लिए प्रैक्टिकल भी माना जा सकता है।
इसके अलावा ये एक मिथक है कि ब्राउन राइस में व्हाइट राइस की तुलना में कैलोरी कम होती है क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है। ब्राउन राइस और व्हाइट राइस कैलोरीज के मामले में लगभग बराबर ही होते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि अगर आप अपनी डाइट में ब्राउन राइस शामिल करने के बारे में सोच रही हैं तो उसे रेगुलर बेसिस में ना लें और नॉर्मल चावल भी शामिल रखें। इसके साथ ही किसी डाइटीशियन से बात करना ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि वो आपकी हेल्थ के हिसाब से आपको सलाह दे पाएगा।
आप कौन सा चावल खाना पसंद करती हैं? हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik/ Pride Foods
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