अगर आपसे पूछा जाए कि स्किन और बालों को बेहतर बनाने के लिए किस विटामिन की जरूरत सबसे ज्यादा होती है तो शायद आपका भी जवाब होगा विटामिन-ई। विटामिन-ई का उपयोग अधिकतर इसी काम के लिए किया जाता है और विटामिन-ई कैप्सूल्स तो ब्यूटी ब्लॉगर्स के लिए किसी सोने की खदान की तरह होते हैं क्योंकि लगभग हर DIY नुस्खे में उनका इस्तेमाल हो जाता है। पर क्या इनका इतना इस्तेमाल सही है? क्या वाकई विटामिन-ई कैप्सूल जितने अच्छे दिखाए जाते हैं उतने ही अच्छे होते हैं?
दरअसल, सबसे बड़ी बात जो विटामिन-ई के लिए होती है वो ये कि ये फैट सॉल्युबल होता है यानी इसे स्किन एब्जॉर्ब कर सकती है। पर कई लोग इन्हें सप्लीमेंट्स के तौर पर भी ले लेते हैं जो शायद उनकी सेहत के लिए उतने अच्छे ना हों।
डर्मेटोलॉजी एक्सपर्ट डॉक्टर निकिता सोनावने ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर इससे जुड़ी जानकारी शेयर की है। विटामिन-ई यकीनन काफी अच्छा हो सकता है, लेकिन सप्लीमेंट्स के तौर पर इसे लेना सभी के लिए अच्छा ऑप्शन नहीं होगा।
डॉक्टर निकिता का कहना है कि विटामिन-ई एक एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर से फ्री रेडिकल्स को कम करता है और लोग जो इसे लेते हैं वो यूथफुल बने रहते हैं और उनकी स्किन भी ग्लो करती है। उनकी इम्यूनिटी भी स्ट्रांग रहती है और याददाश्त भी तेज रहती है।
पर इसका मतलब ये नहीं कि सप्लीमेंट्स के तौर पर विटामिन-ई कैप्सूल खाया जाए क्योंकि ये नुकसानदेह साबित हो सकता है।
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आखिर क्यों विटामिन-ई कैप्सूल नहीं खाना चाहिए?
अगर हम सप्लीमेंट्स की बात करें तो इसमें सिर्फ एक ही फॉर्म का विटामिन-ई होता है और वहीं अगर हम फूड सोर्स को देखें जैसे नट्स, सीड्स आदि तो उनमें 8 अलग तरह का विटामिन-ई पाया जाता है।
अगर आप किसी एक तरह का विटामिन-ई बहुत ज्यादा खा लेंगे तो शरीर बाकी अन्य तरह के विटामिन-ई को एब्जॉर्ब करना बंद कर देगी और ऐसे में सप्लीमेंट्स लेने के बाद भी उल्टा असर होगा।
अगर आप इसे बार-बार लेते रहेंगे तो इसका ओवरडोज हो सकता है जिससे नाखूनों का टूटना, बालों का झड़ना और ऐसे ही अलग-अलग लक्षण दिखेंगे।
विटामिन-ई एक फैट सॉल्युबल विटामिन है जिसे आपका शरीर नेचुरली भी स्टोर करता है। अगर आप विटामिन-ई कैप्सूल ले भी रहे हैं तो उससे समय-समय पर ब्रेक लेते रहें क्योंकि अगर ऐसा नहीं करेंगे तो आपके शरीर में इसकी अधिकता हो जाएगी।
कई लोगों को इससे जी-मिचलाने, रैश पड़ने, उल्टी होने, चक्कर आने, गैस होने जैसे साइड इफेक्ट्स भी दिखते हैं।
विटामिन-ई के नेचुरल सोर्स-
अब बात करते हैं विटामिन-ई के नेचुरल सोर्स की जिसे आप फूड से आसानी से पा सकते हैं। आपकी डाइट में ये होना चाहिए और अगर ये नहीं है तो फिर हो सकता है कि इसकी कमी के कारण डॉक्टर आपको कुछ दिनों के लिए विटामिन-ई सप्लीमेंट्स लेने को कहे। ये प्लांट बेस्ड ऑयल है जो नट्स, सीड्स, फ्रूट्स और सब्जियों में पाया जाता है।
- व्हीट जर्म ऑयल
- सरसों का तेल और सोयाबीन तेल
- राई
- बादाम
- मूंगफली और पीनट बटर
- बीट ग्रीन, कोलार्ड ग्रीन, पालक आदि सब्जियों
- कद्दू
- लाल शिमला मिर्च
- शतावरी (एस्पैरेगस)
- आम
- एवोकाडो
- आदि में आपको ये आसानी से मिल जाएगा।
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क्या है विटामिन-ई की दैनिक लिमिट?
RDA(Recommended Dietary Allowance) की बात करें तो विटामिन-ई पुरुषों और महिलाओं के लिए लगभग एक ही जैसा होता है और 14 साल की उम्र के किसी भी इंसान को 15 मिलिग्राम प्रति दिन से ज्यादा इसे नहीं लेना चाहिए। ये उन महिलाओं के लिए भी है जो प्रेग्नेंट हैं। हां, ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाएं इसे थोड़ा ज्यादा ले सकती हैं क्योंकि उनको थोड़ा सा ज्यादा चाहिए होता है जो 19 मिलिग्राम प्रति दिन तक जा सकता है। पर अगर आप बात करें नेचुरल लिमिट की तो इसमें से अधिकतर आपकी डाइट से ही पूरा हो सकता है।
सप्लीमेंट्स लेने का सोच भी रहे हैं तो ध्यान रखें कि बिना डॉक्टर की सलाह के ये ना लें। ऐसा इसलिए क्योंकि सप्लीमेंट्स कई लोगों को बिल्कुल सूट नहीं करते हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुडे़ रहें हरजिंदगी से।
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Image Credit: Freepik
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