जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्या है? शायद आपका जवाब होगा अच्छा स्वास्थ, जी हां, अगर आप आपकी सेहत अच्छी है तो आप एक स्वस्थ और लंबी जिंदगी जी सकती हैं। मगर, इसके लिए जरूरी है कि आप अच्छा भोजन लें और साफ पानी पीएं। एक रिसर्च के मुताबिक बेशक आप कुछ दिन भोजन न करें तो तब भी आप जी सकते हैं मगर पानी पीना जिंदा रहने के लिए बेहद जरूरी है क्योंकि पानी से हमरे शरीर को ऑक्सीजन और ढेरों मिनरल्स मिलते हैं। इस बारे में वॉटर रिसर्चर एवं इंडिया वॉटर पोर्टल के संपादक केसर सिंह कहते हैं, ‘पीने का पानी साफ न हो तो ढेरों बीमारियां शरीर को जकड़ लेती हैं और आजकल नदियां, जो पीने के पानी का सबसे बड़ा सोर्स हैं, उनका पानी इस लायक नहीं रहा कि उसे पीया जा सके।’ ऐसे में घरों में वॉटर फिल्टर का होना बहुत जरूरी है। मगर, बाजार में कई तरह के वॉटर फिल्टर उपलब्ध हैं और कौन सा वॉटर फिल्टर लेना चाहिए इसमें लोगों को बहुत कंफ्यूजन रहता है। वॉटर एक्सपर्ट केसर सिंह आज आपको बताएंगे कि घर में किस तरह का वॉटर प्योरीफायर लगा होना चाहिए। अगर आप इस फेस्टिव सीजन में वॉटर प्योरीफायर खरीदने जा रही हैं तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।
शुद्ध पानी की चाहत सभी को होती हैं। क्योंकि नल का पानी ऐसा नहीं होता कि उसे डायरेक्ट पिया जा सके। आजकल बाजार में बहुत सारे वॉटर फिल्टर्स आ रहे हैं। अगर आप भी अपने घर के लिए वॉटर फिल्टर खरीदने जा रही हैं तो पहले यह जान लें कि बाजार में तीन तरह के वॉटर प्योरीफायर आते हैं RO, UV, UF और यह तीनों ही अलग-अलग तकनीक पर काम करते हैं आपके लिए किस तकनीक का वॉटर प्योरीफायर ठीक रहेगा यह जानना बहुत जरूरी है।
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आरओ यानी रिवर्स ऑस्मोसिस। यह एक ऐसी वॉटर प्योरिफिकेशन टेक्नीक है जिसमें प्रेशर डालकर पानी को साफ किया जाता है। इस तकनीक में पानी में मौजूद इम्प्योरिटीज, टॉक्सिक पार्टिकिल्स और हेल्थ को नुकसान पहुंचाने वाले मेटल खत्म किया जाता है। आरओ प्योरिफायर्स का इस्तेमाल ज्यादातर उन इलाकों में करना चाहिए जहां पानी में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व्ड सॉल्ट) की मात्रा ज्यादा होती है। यानी जहां का पानी खारा होता है उन इलाकों में रहने वाले लोगों को आरओ वाले वॉटर फिल्टर का इस्तेमाल करना चाहिए। मसलन, आपके घर में बोरवेल का पानी आता हो या फिर आप तटीय इलाकों जैस मुंबई, केरल, चिन्नई जैसी जगह पर रहते हैं तो आपके लिए आरओ प्योरिफायर सही है।
क्या हैं आरओ के प्लस प्वाइंट्स
क्या हैं आरओ फिल्टर के माइनस प्वाइंट्स
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यूवी यानी अल्ट्रावॉयलट तकनीक। सिर्फ त्वचा ही नहीं पानी में भी अल्ट्रा वायलेट किरणों से बैक्टीरिया और वायरस पहुंच जाते हैं। ऐसे में उन्हें पानी से बाहर निकालने के लिए वॉटर फिल्टर की जरूरत पड़ती है। इसलिए बाजार में अल्ट्रा वायलेट प्योरिफिकेशन वाले फिल्टर भी आते हैं। यह फिल्टर्स पानी में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस खत्म कर देते हैं। मगर यह फिल्टर्स पानी में घुले क्लोरीन और आर्सेनिक साफ नहीं कर पाते। इस लिए इस फिल्टर का इस्तेमाल उन इलाकों में ही होना चाहिए जहां का ग्राउंड वॉटर पहले से मीठा हो और पानी में से सिर्फ बैक्टरिया को खत्म किए जाने की जरूरत हो। मसलन, जो पहाड़ी इलाके हैं या फिर जिन इलाको में कम प्रदूषण है। जैसे, हिमाचल प्रदेश, नॉर्थ ईस्ट के कुछ पहाड़ी इलाकों में यह फिल्टर बहुत अच्छे से काम करता है।
अल्ट्रा वायलेट प्योरिफिकेशन के प्लस प्वाइंट्स
अल्ट्रा वायलेट प्योरिफिकेशन के माइनस प्वाइंट्स
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यूएफ प्योरिफिकेशन सिस्टम एक फिजिकल तकनीक है। यह एक लेयर है जिसमें पानी को डालने से घुली हुई अशुद्धियां साफ हो जाती हैं।
अल्ट्रा फिल्ट्रेशन के प्लस प्वाइंट्स
अल्ट्रा फिल्ट्रेशन के माइनस प्वाइंट्स
अत: आप अगर मेट्रो सिटी में रह रहे हैं तो जाहिर है कि वहां का पलूशन लेवल ज्यादा होगा। इसलिए ऐसा प्योरीफायर लें जिसमें आरओ, यूवी, यूएफ तीनों तकनीक हो। इसके साथ ही पानी में मौजूद मिनरल्स पनी में बने रहें इसलिए बाजार में उपलब्ध टीडीएस(टोटल डिसॉल्व्ड सॉल्ट) कंट्रोलर तकनीक से लैस प्योरिफायर ही लें।
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