सर्दियों का मौसम हो और चाय के साथ गरमा-गरम समोसे हो जाएं तो बात ही क्या है। सच में आपमें से ज्यादातर लोगों के मुंह में समोसे का नाम सुनकर ही पानी आ गया होगा और सर्दियों की शाम के साथ इसका स्वाद जरूर याद आ गया होगा। क्यों है न ? जी हां, चाहे चाय के साथ समोसे की बात की जाए या फिर हरी चटनी के साथ इसका चटखारा लिया जाए, इसकी बात ही निराली होती है।
आप सभी के मन में कभी न कभी समोसे को लेकर एक ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर स्वाद से भरा ये समोसा कैसे हमारे स्नैक्स का हिस्सा बना और कैसे इस चटपटी डिश ने हमारे टी टाइम को अमेजिंग बनाना शुरू कर दिया। आइए आपके इस सवाल का जवाब देते हैं और आपको बताते है कि कैसे ये चटपटा स्नैक्स भारत में आया और क्या है इसकी कहानी।
समोसे के इतिहास की बात की जाए तो यह समोसा फारसी शब्द 'सम्मोकसा' से बना है।जब बात इसकी उत्पत्ति की आती है तो इसकी उत्पत्ति मुगलों के काल से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि समोसा की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले कहीं मध्य पूर्व में हुई थी। बात उस समय की है जब मुगलों का आगमन भारत में होता था। दरअसल, 21 अप्रैल, 1526 को महान मुगल पाक कला की एक श्रृंखला के साथ समोसे को लेकर भारत आए। जब 16वीं शताब्दी का मुगल दस्तावेज आइन-ए-अकबरी की बात की जाती है तो यह अपने समय में इन स्वादिष्ट व्यंजन की उपस्थिति की कहानी बयां करती है। मुगलों के साथ ही समोसा भारत आया और लोगों की जुबान पर इसका स्वाद कुछ ऐसा चढ़ा कि आज भी इसे निकाल पाना नामुमकिन ही है। आज के समय में यही समोसा हर एक गली और चौराहे में सजने लगा है और लोगों ने इसका स्वाद उठाना शुरू कर दिया है।
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हमारी चाय में चटपटा स्वाद जोड़ने वाला ये स्नैक्स आज हर एक घर में अपने स्वाद के लिए मशहूर है। छोटे से ढाबे से लेकर फाइव स्टार होटल तक में आसानी से अपनी जगह बना चुका समोसा दरअसल ईरान से भारत आया। जब इसके इतिहास की बात आती है तो इसकी एक ऐसी कहानी प्रचलित है कि यह दसवीं सदी के दौरान महमूद गजनवी के दरबार में एक शाही व्यंजन की तरह पेश किया जाता था, जिसमें कीमा स्टफिंग होती थी। यह काफी हद तक समोसे जैसी ही होती थी। लेकिन समोसे को नया रूप तब मिला जब ये आलू की स्टफिंग के साथ अस्तित्व में आया।(जानें गोलगप्पा का इतिहास)
मुगलों के समय से अस्तित्व में आने वाला ये समोसा अगले दो सौ वर्षों में लगभग सभी भारतीय व्यंजनों का नायक बन गया। इसने हमारे नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने के रूप को बदल दिया और हर संभव तरीके से शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजनों के बीच अपनी एक अलग जगह बना ली। आधुनिक समय में यह समोसा मैश किए हुए आलू, हरी मटर, प्याज, हरी मिर्च और मिश्रित मसालों के मिश्रण के साथ एक बेहद स्वादिष्ट नाश्ता है जो किसी भी समय हमारी भूख को शांत करने का काम करता है।
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आमतौर पर समोसे में आलू भरकर इसे तिकोने आकार का बनाया जाता है, लेकिन जगह के हिसाब से इसके स्वाद और आकार में भी परिवर्तन हो जाता है। जहां पंजाब में अक्सर पनीर भरा समोसामिलता है, वहीं दिल्ली में कई जगह उसमें काजू किशमिश भी डाले जाते हैं। यही नहीं कुछ जगहों पर समोसे को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें हरी मटर भी भरी जाती है। इसकी फिलिंग भी हर जगह अलग तरीके से तैयार की जाती है। जहां दिल्ली और मुंबई में एक तरफ आलू को उबालकर और मैश करके इसमें स्टफ किया जाता है, वहीं उत्तर प्रदेश में कुछ जगह पर छिलके वाले आलू को छोटे आकार में काटकर इसे फ्राई करके समोसे के अंदर भरा जाता है।
तो ये थे स्वाद भरे चटपटे समोसे की दिलचस्प कहानी, उम्मीद है इसकी कहानी सुनकर आपके मुंह में भी पानी जरूर आ गया होगा, तो देर किस बात की आप भी आज ही लीजिये स्वादिष्ट समोसे का स्वाद और अगर आपको ये लेख अच्छा लगा तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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