दादी की रसोई में 5 रुपये में 500 लोगों को मिलता है खाना

खाना ऐसा कि खुशबू से ही भूख लग जाए। दादी की रसोई में खाना सिर्फ देसी घी में बनाया जाता है। सिर्फ 5 रुपये में लोगों को भरपेट खाना खिलाया जाता है। गरीब हो या फिर अमीर हर किसी को दादी की रसोई में बने इस खाने की खूशबू अपनी ओर खींच लाती है।

  • Inna Khosla
  • Her Zindagi Editorial
  • Updated - 2018-02-01, 19:44 IST
dadi ki rasoi article

खाना ऐसा कि खुशबू से ही भूख लग जाए। दादी की रसोई में खाना सिर्फ देसी घी में बनाया जाता है। सिर्फ 5 रुपये में लोगों को भरपेट खाना खिलाया जाता है। गरीब हो या फिर अमीर हर किसी को दादी की रसोई में बने इस खाने की खूशबू अपनी ओर खींच लाती है। एक बार आपने अगर यहां खाना खा लिया तो आप फिर बार-बार यहीं पर खाना खाने के लिए आएंगी। कहते हैं जिस घर में बड़े-बुज़ुर्गों का आशीर्वाद होता है वहां हमेशा खुशियां रहती हैं और जिस खाने में दादी के हाथों का स्वाद हो तो आप समझ ही जाइए कि वो कितना स्वादिष्ट होगा। अब आप अपने घर पर खाना खाते-खाते bor हो चुकी हैं तो दादी की रसोई में आपका भी स्वागत है।

वैसे दादी की रसोई गरीब और जरुरतमंद लोगों के लिए है। ऐसे लोग जिन्हें दिन में पेटभर खाना भी नसीब नहीं होता। समाजसेवी अनूप खन्ना दादी की रसोई में बना खाना लोगों को खिलाने के लिए नोएडा सेक्टर 29 में आते हैं। यहां लोग उन्हें सिर्फ 5 रुपये देते हैं और वो उन्हें इन पैसों में भरपेट खाना खिलाते हैं। आपको ये भी बता दें कि दादी की रसोई आज कल से नहीं बल्कि पिछले 2-3 सालों से ये काम कर रही है। अनूप खन्ना 500 लोगों का खाना बनाकर नोएडा के सेक्टर 29 के गंगा कॉम्प्लेक्स में लेकर आते हैं। टेबल पर खाना लगाते हैं और फिर खाना खाने वालों की लंबी लाइन लग जाती है। 5 रुपये दो और दादी की रसोई में बना खाना खाओ। दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच में अनूप खन्ना का सारा खाना खत्म हो जाता है। कभी-कभी तो उससे पहले भी।

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Image Courtesy: @Dadikirasoi/Facebook.com

अनूप खन्ना का कहना है कि वो चाहते हैं की दादी की रसोई सिर्फ नोएडा में ही नहीं बल्कि भारत के कई और शहरों में भी होनी चाहिए वो इसके लिए मेहनत भी कर रहे हैं। वैसे यहां दादी की रसोई का खाना खाने वाले लोग अनूप खन्ना को सैंटा मानते हैं क्योंकि वो गरीबों को खिलाने के नाम पर या सस्सा खाना देने के नाम पर लोगो के स्वाद को बनाए रखने की हमेशा ही कोशिश में लगे रहते हैं।

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कैसे हुई दादी की रसोई की शुरूआत?

अनूप खन्ना ने दादी की रसोई की शुरूआत साल 2015 में की थी। एक खास बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी दादी सिर्फ खाने में खिचड़ी ही खाती थी और हमेशा कहती थी कि मैं सिर्फ खिचड़ी खाती हूं मेरे खाने के जो पैसे बचते हैं उससे गरीबों को खाना खिलाया करो। आज भी समाज में गरीब और जरुरतमंद लोगों की कमी नहीं है दिन में भरपेट खाना मिल जाए इसकी जंग करते आज भी हज़ारों लोग आपको सड़कों पर मिल जाएंगें। खाने के नाम पर पेट भरने के लिए वो कुछ भी खा लेते हैं ऐसे में अनूप खन्ना भले ही 5 रुपये लेते हैं लेकिन वो 5 रुपये में लोगों को भरपेट देसी घी में बना स्वादिष्ट खाना ही खिलाते हैं।

dadi ki rasoi CM Mulayam Singh Yadav

Image Courtesy: @Dadikirasoi/Facebook.com

अनूप खन्ना की इस कोशिश के लिए उन्हें उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी सराह चुके हैं। 2015 से शायद ही ऐसा कोई दिन बीता हो जब अनूप खन्ना की दादी की रसोई का खाना यहां ना आया हो। उनकी सच्ची निष्ठा और लोगों के लिए उनका ये प्यार उन्हें समाज में एक नयी पहचान दे रहा है। लोगों से उन्हें इतना प्यार और आशीर्वाद मिल रहा है कि वो अपने इस काम को और भी मेहनत से अच्छी तरह से कर पाने में कामयाब हो रहे हैं।

दादी की रसोई में क्या खिलाया जाता है?

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Image Courtesy: @Dadikirasoi/Facebook.com

आप सोचते होंगे की 5 रुपये ही तो ले रहे हैं खिचड़ी खिला देते होंगे। लेकिन नहीं ऐसा नहीं है। दादी की रसोई में खाने के लिए कई लजीज़ पकवान हैं। देसी घी में तड़का लगायी हुई दाल, अच्छी क्वालिटी के चावल, रोटी, आचार, सलाद सब्जी सब होता है। दादी की रसोई में मिलने 5 रुपये में मिलने वाले खाने में स्वाद के साथ साथ आपकी सेहत का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।

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अनूप खन्ना की इस कोशिश के लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। तो अब आप भी अगर नोएडा के आसपास है तो एक बार दादी की रसोई का स्वाद चखने के लिए गंगा कॉम्पलेक्ट जा सकती हैं।

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