लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। बड़ी संख्या में फिल्मी कलाकार राजनीति के मैदान में उतर रहे हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सात फिल्मी हस्तियों को मैदान पर उतारा है। आपको बता दें कि विधानसभा उपचुनाव प्रत्याशी के रूप में एक अभिनेता को उतारा गया है। वही भाजपा ने दो और माकपा ने एक कलाकार को टिकट दिया है। फिल्मी हस्तियों का राजनीति से बहुत पुराना रिश्ता है। पर्दे पर अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके एक्टर राजनीति के अखाड़े पर उतरते रहे हैं। खासतौर से साउथ के राज्यों में। क्या आपको पता है कि राजनीति के मैदान पर कदम जमाने वाले पहले एक्टर कौन थे। इस लेख में आज हम आपको उस एक्टर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने इस अखाड़े में पहली बार कदम रखा था।
ममता बनर्जी ने इस कलाकारों पर लगाया था दांव
साल 2019 में ममता बनर्जी ने कई सितारों पर दांव लगाया था, जिसमें मिमी चक्रवर्ती जादवपुर और नुसरत जहां बशीरहाट से जीत हासिल की थी। लेकिन इनका राजनीतिक करियर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाया। साल 2024 के चुनाव के लिए उन्हें टिकट नहीं मिला। आपको बता दें कि चुनाव घोषित होने से पहले मिमी ने अपना त्यागपत्र सौंप दिया था।
बंगाल में सहायक भूमिका में उतरे ये फिल्मी कलाकार
तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण के राज्यों के सितारों के पास मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है। तो बंगाल में फिल्मी कलाकार केवल एक सहायक भूमिका के रूप में देखने को मिलें। दक्षिण में कमल हासन,पवन कल्याण व विजयकांत जैसे कलाकार न केवल पर्दे पर बल्कि रीयल सियासी लाइफ में नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभा रहे हैं।
तमिल फिल्म के इस कलाकार ने रखा था राजनीति में कदम
तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन पहले ऐसे फिल्मी कलाकार थे, जिन्होंने राजनीति में सबसे पहले कदम रखा था। साल 1953 में डीएमके से जुड़े इसके बाद करुणानिधि से मतभेद होने के कारण, साल 1972 में अपनी एक अलग पार्टी अन्नाद्रमुक का गठन किया। कुछ समय बाद बाद वह तमिलनाडु की राजनीति में इस तरह से छाए कि साल 1977 में राज्य के मुख्यमंत्री बनकर सामने आए। उन्होंने 2 बार लगातार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर राज किया। साल 1987 में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उनका निधन हो गया।
करुणानिधि का भी रहा फिल्मों से रिश्ता
एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद उनकी पत्नी जानकी रामचंद्रन ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली। अगले दो वर्षों में एमजीआर की राजनीतिक विरासत का कार्यभार अभिनेत्री जयललिता को स्थानांतरित हो गया। जयललिता न केवल मुख्यमंत्री रही बल्कि देश की राजनीति में निर्णायक की भूमिका निभाई। करूणानिधि का राजनीति के साथ-साथ फिल्मी दुनिया से भी नाता रहा। वे तमिल फिल्मों के सुप्रसिद्ध पटकथा लेखक थे।
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