हिंदू धर्म में हवन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह न केवल आध्यात्मिक शुद्धि लाता है बल्कि वातावरण को भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है। हवन के दौरान प्रज्वलित अग्नि में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियां और सामग्री अर्पित की जाती हैं, जिससे निकलने वाला धुआं और सुगंध मन और तन दोनों को शांत करती है। हवन संपन्न होने के बाद, इस कुंड को ऐसे ही कहीं भी नहीं रख देना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हवन कुंड को सही स्थान पर रखने से हवन से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को घर में बनाए रखने में मदद मिलती है। अब ऐसे में वास्तु के अनुसार, हवन को किस दिशा और स्थान पर रखने से व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
हवन के बाद कुंड को कहां रखना चाहिए?
हवन कुंड को अग्नि का आसन माना जाता है, जिसमें देवी-देवताओं को आहुतियां समर्पित की जाती हैं। यह अत्यंत पवित्र होता है और हवन के दौरान इसमें दिव्य ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए हवन के बाद भी इसकी पवित्रता बनाए रखना आवश्यक है। यदि आपका हवन कुंड धातु जैसे कि तांबा, पीतल का बना है और आप उसे भविष्य में दोबारा उपयोग करना चाहते हैं, तो उसे अच्छी तरह से साफ करके और किसी स्वच्छ कपड़े से ढककर पूजा घर में या किसी सुरक्षित स्थान पर रख सकते हैं। ध्यान रहे कि इसे किसी अपवित्र वस्तु के संपर्क में न आने दें। आप पूजा स्थान या फिर सूर्य की दिशा यानी कि पूर्व दिशा में हवन कुंड को रख सकते हैं। इससे घर में शुभता का संचार होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।
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हवन के बाद कुंड को रखने के नियम
- हवन कुंड केवल एक पात्र नहीं है, बल्कि यह वह स्थान है जहां अग्नि देवता का आह्वान किया जाता है और देवी-देवताओं को आहुतियां समर्पित की जाती हैं। हवन के दौरान इसमें ऊर्जा का संचार होता है और यह सकारात्मकता का केंद्र बन जाता है।
- हवन कुंड को रखने के लिए सबसे शुभ दिशा अग्नि कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा मानी जाती है। यह दिशा अग्नि तत्व से संबंधित है और ऊर्जा तथा समृद्धि का प्रतीक है। इस दिशा में कुंड को रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है और समृद्धि आती है।
- जिस स्थान पर हवन कुंड को रखा गया है, उस जगह की नियमित रूप से साफ-सफाई करें। धूल-मिट्टी या गंदगी कुंड की पवित्रता को कम कर सकती है।
- हवन कुंड को कभी भी पश्चिम या दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। ये दिशाएं नकारात्मक ऊर्जा से संबंधित मानी जाती हैं और इनमें कुंड को रखने से अशुभ परिणाम मिल सकते हैं।
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