हमारे शास्त्रों में न जाने कितनी ऐसी बातें लिखी हुई हैं जिनका पालन हमारे जीवन में समृद्धि बनाए रखता है। मान्यता है कि शास्त्रों में लिखी हर बात का कुछ न कुछ मतलब होता है और ये हमारे जीवन से संबंध रखती हैं।
ऐसे ही आपके शरीर से जुड़ी कई बातें भी शास्त्रों में बताई गई हैं, इनमें से एक है खुले बालों के साथ रात के समय घर से बाहर न निकलना। आपने न जाने कितनी बार घर के बड़े बुजुर्गों को ऐसा कहते हुए सुना होगा कि रात में जब भी घर से बाहर निकलें बालों को बांध लें।
खासतौर पर महिलाओं के लिए यह बात लागू होती है और उन्हें इस नियम का पालन करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और किसी भी बुरी नजर का प्रभाव नहीं पड़ता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें शास्त्रों में लिखी इस बात का क्या है मतलब और ऐसा करने की मनाही क्यों है।
ज्योतिष और कई पारंपरिक विश्वास प्रणालियों का मानना है कि रात के समय नकारात्मक ऊर्जाएं और बुरी आत्माएं सबसे ज्यादा सक्रिय होती हैं। खुले बालों को नकारात्मक शक्तियों के प्रति अधिक संवेदनशील माना जाता है।
मान्यता है कि बाल किसी भी व्यक्ति के शरीर का एक शक्तिशाली हिस्सा होने की वजह से किसी भी नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं जिसकी वजह से आपको शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
इसी वजह से आपको मुख्य रूप से बालों को बांधकर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दी जाती है। बालों को बांधना किसी के लिए भी एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। यदि आप बालों को खोलकर रात के समय किसी ऐसे स्थान पर प्रवेश करती हैं जहां नकारात्मक ऊर्जा बहुतायत में तो तो ये बालों के माध्यम से जल्दी ही आपके शरीर में प्रवेश कर जाती है।
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प्राचीन काल से ही खुले बालों को क्रोध और गुस्से से जोड़ा जाता रहा है। रामायण काल में भी जब कैकेई क्रोधित अवस्था में थीं तब वो कोप भवन में खुले बालों के साथ बैठी थीं। उसी समय से बालों को खोलकर रखना क्रोध और दुःख से जोड़ा जाता है।
इसलिए ही घर की महिलाओं को मुख्य रूप से रात के समय बाल खोलकर घर से बाहर निकलने से मना किया जाता है। कुछ संस्कृतियों में, खुले बालों को पारंपरिक रूप से भी जोड़ा जाता है और महिलाएं अक्सर शोक की अवधि में दुःख की निशानी के रूप में अपने बाल खुले रखती हैं। ज्योतिष की मानें तो महिलाओं का रात के समय खुले बालों के साथ घर से बाहर जाना दुख और दुर्भाग्य को आमंत्रित कर सकता है और जाने अंजाने नकारात्मक प्रतीकवाद के साथ जोड़ता है।
ज्योतिष में रज सूक्ष्म-घटक क्रिया और जुनून से जुड़ा माना जाता है और यह सूक्ष्म-घटक ही गति के लिए जिम्मेदार है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, आमतौर पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक रजोगुणी होती हैं और इसकी एक अभिव्यक्ति यह है कि वे स्वभाव से अधिक भावुक होती हैं।
जब कोई महिला अपने बालों को खुला रखती है तो उसके बालों में रज तत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। रज सूक्ष्म-घटक में वृद्धि से व्यक्ति का मन अधिक चंचल हो जाता है और उनकी फिजूलखर्ची की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। मन की इस चंचलता का फायदा अनिष्ट शक्तियां किसी महिला को प्रभावित करने के लिए उठा सकती हैं और उससे वो काम करवा सकती हैं जो उचित न हो।
जब महिलाएं अपने बाल खुले रखती हैं तो वे अपनी पांचों इंद्रियों और अपने शरीर के प्रति अधिक सचेत हो जाती हैं। बहुत जल्दी, रज घटक को अनिष्ट शक्तियों द्वारा तम घटक में परिवर्तित किया जा सकता है।
इससे शरीर में अवसाद और चिंता जैसी भावनाओं में वृद्धि होती है। ऐसे में छोटे बाल वाली महिलाओं को नुकसान भी हो सकता है। उन्हें आम तौर पर अपने बाल खुले रखने पड़ते हैं। जिसके परिणामस्वरूप, पर्यावरण से कष्टकारी शक्तियां लगातार खुले बालों की ओर आकर्षित होती हैं।
जिस तरह से खुले बालों के साथ रात में बाहर निकलने से मना किया जाता है उसी प्रकार से सोते समय भी बाल खोलने की मनाही होती है। जब एक महिला अपने बालों को खुला रखकर सोती है, तो बालों के सिरे उजागर हो जाते हैं। सोते समय हम अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि रात्रि में वातावरण में रज-तम के बढ़े हुए स्पंदनों के कारण वे अधिक सक्रिय होती हैं।
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रात के समय बाल खोलकर बाहर न निकलने के वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन ऐसा करने से इसलिए मना किया जाता है क्योंकि रात के समय घर से बाहर रोशनी कम होती है और जब हम खुले बालों के साथ बाहर निकलते हैं तो हवा में बाल उड़ने लगते हैं और ये आंखों के सामने आ सकते हैं जिससे आपको चलने में या फिर गाड़ी चलाने में असुविधा भी हो सकती है, इसी वजह से खुले बालों में घर से बाहर निकलने की मनाही होती है।
यदि हम ज्योतिष की मानें तो रात के समय बाल खोलकर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए जिससे किसी भी नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह शरीर के भीतर न हो सके। हालांकि विज्ञान इस बात की पुष्टि नहीं करता है।
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