आजतक आप सभी ने मंदिरों में घंटा और घंटियां बंधी हुई जरूर देखी होगी। लोग मंदिर में प्रवेश करते हुए और मंदिर से निकलते वक्त घंटी या घंटा जरूर बजाते हैं। मंदिरों में घंटा और घंटी की विशेष महत्व है, मंदिरों की घंटी की धार्मिक महत्व है। लेकिन क्या आपको पता है कि वृंदावन में एक ऐसा मंदिर है जहां घंटा या घंटी नहीं है। बता दें कि वृंदावन के बांके बिहारी जी के मंदिर में एक भी घंटी या घंटा नहीं है, बहुत से लोगों को इसके बारे में नहीं पता है, तो चलिए इस रहस्य के बारे में जानते हैं कि आखिर क्यों बांके बिहारी मंदिर में घंटा और घंटी क्यों नहीं है।
बिहारी जी के मंदिर के बारे में
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है, जहां सुबह शाम भक्तों की लंबी कतारें होती है। बांके बिहारी जी का मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में रमण रेती के पास है। वृंदावन में ठाकुर जी के कई प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है, जहां रोजाना हजारों की भीड़ बिहारी जी के दर्शन के लिए जाते हैं।
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बांके बिहारी जी के मंदिर का निर्माण 1864 में हरिदास जी ने करवाया था, जो कि कृष्ण जी के बाल स्वरूप को समर्पित है। कथाओं में यह बताया गया है कि हरिदास जी ने निधिवन में बैठकर अपनी साधना से बांके बिहारी जी को बुलाया था। हरिदास जी बांके बिहारी जीके बाल स्वरूप को बहुत चाहते थे। बिहारी जी के बाल स्वरूप को किसी भी तरह की परेशानी और कष्ट न हो इसलिए वे न तो आरती के वक्त घंटी बजाते थे और न ही ताली बजाते थे।
बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं है घंटा?
बांके बिहारी मंदिर में घंटा न होने का रहस्य कान्हा के जन्म से जुड़ा हुआ है। बांके बिहारी जी के मंदिर में घंटा, घंटी और घड़ियाल न होने के पीछे यहां के संत और पुजारियों का कहना है कि बांके बिहारी जी के मंदिर में कान्हा के बाल स्वरूप विराजमान हैं। बिहारी जी के मंदिर में लाल (भगवान श्री कृष्ण) की बाल रूप में सेवा और पूजा होती है। कान्हा के बाल रूप यानी बिहारी जी को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसलिए मंदिर में किसी भी तरह के घंटी, घंटा और घड़ियाल नहीं लगाए गए हैं। जब भी कोई भक्त मंदिर में लाला के दर्शन के लिए आएंगे, वे बार-बार घंटा, घंटी बजाएंगे, जिससे लाला की नींद खराब होगी, इसलिए मंदिर में इस तरह के यंत्रों का प्रयोग नहीं किया गया है, जिससे बिहारी जी को परेशानी हो। मथुरा, वृंदावन या ब्रजधाम में अधिकतर मंदिरों में घंटा और घंटी है, एक मात्र बिहारी जी के मंदिर में ही घंटा या घंटी नहीं है।
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Image Credit: Herzindagi
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