Hariyali Teej Solah Shringar: हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाओं को क्यों करना चाहिए सोलह श्रृंगार, जानें महत्व

किसी भी सुहागिन महिला के लिए सोलह श्रृंगार करना बहुत जरूरी माना जाता है और इसे सौभाग्य का प्रतीक भी कहा जाता है। यदि आप हरियाली तीज के दिन सोलह श्रृंगार करती हैं तो जीवन में खुशहाली बनी रहती है। 

 

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हरियाली तीज सावन के महीने में मनाया जाने वाला एक ऐसा पर्व है जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए उपवास रखती हैं और शिव-पार्वती का पूजन करती हैं। मुख्य रूप से यह पर्व सुहागिन स्त्रियों के लिए होता है, लेकिन कुंवारी लड़कियां भी इस दी अच्छे पति की चाह में व्रत रखती हैं और माता पार्वती का पूजन करती हैं।

एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए लंबे समय तक कठोर तपस्‍या की थी और उनकी तपस्या को शिव जी ने सावन माह के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी कि हरियाली तीज के दिन ही स्वीकार किया था। यही नहीं इसी दिन शिव जी ने पार्वती माता को अर्धांगिनी के रूप में अपनाने का वचन भी दिया था। उसी समय से हरियाली तीज का व्रत कुंवारी लड़कियां यह व्रत अच्छे पति की इच्छा में रखने लगीं और सुहागिन स्त्रियां पति की दीर्घायु की कामना में।

किसी भी सुहागिन महिला के लिए इस दिन सोलह श्रृंगार करना जरूरी माना जाता है और इससे उनकी पूजा स्वीकार्य होती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें हरियाली तीज में सोलह श्रृंगार करने के महत्व के बारे में।

हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार करना जरूरी क्यों माना जाता है

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हरियाली तीज के दिन सोलह श्रृंगार करके पूजा करने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है और पूजन स्वीकार्य माना जाता है। इस दिन सोलह श्रृंगार करने के बहुत से लाभ हैं। इससे वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है और पूरे साल समृद्धि बनी रहती है।

समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है सोलह श्रृंगार

सोलह श्रृंगार का एक पारंपरिक महत्व यह है कि इससे समृद्धि, खुशी और विवाहित जीवन की सामंजस्य बना रहता है। ऐसा माना जाता है कि सोलह श्रृंगार की इस प्रक्रिया से को लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद बना रहता है। सोलह श्रृंगार करने से महिलाओं को सौहार्दपूर्ण और समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए देवी पार्वती का आशीर्वाद मिलता है।

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वैवाहिक बंधन को मजबूत बनाता है सोलह श्रृंगार

हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार करना केवल एक प्रथा नहीं है, बल्कि वैवाहिक बंधन को मजबूत करने का भी एक तरीका भी है। सोलह श्रृंगार का प्रत्येक अलंकरण एक महिला के जीवन और उसके जीवनसाथी के साथ उसके रिश्ते के एक अलग पहलू का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसा करने से विवाहित जोड़े के बीच प्यार और सम्मान को मजबूत करने में मदद मिलती है, जिससे अधिक लचीला और प्रेमपूर्ण रिश्ता बनता है।

व्यक्तिगत आभा और आत्मविश्वास को बढ़ाता है सोलह श्रृंगार

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सोलह श्रृंगार का प्रयोग एक महिला की व्यक्तिगत आभा और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। विस्तृत रूप से श्रंगार, जिसमें सिंदूर, मंगलसूत्र, चूड़ियां, मेहंदी और अन्य चीजें शामिल होती हैं। यह सभी चीजें एक महिला के आत्म-सम्मान को बढ़ाती हैं और उसे विशेष महसूस कराती हैं। बढ़ा हुआ आत्मविश्वास उसके जीवनसाथी और परिवार के साथ उसकी बातचीत और रिश्ते पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

सोलह श्रृंगार में क्या-क्या चीजें होती हैं

1- स्नान- सोलह श्रृंगार का सबसे पहला चरण स्नान को माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाओं को प्रातः जल्दी उठकर स्नान करने की सलाह दी जाती है। यदि इस दिन आप हल्दी का उबटन लगाकर स्नान करती हैं तो इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। हल्दी का उबटन लगाकर स्नान करने से महिलाओं को समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

2- बिंदी- बिंदी को सोलह श्रृंगार का एक और प्रमुख हिस्सा माना होता है। माथे पर कुमकुम की बिंदी लगाने से महिलाओं के चेहरे में रौनक बनी रहती है और बिंदी की चमक से उनका चेहरा और ज्यादा खिल उठता है।

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3- सिंदूर- सिंदूर को विवाहित महिलाओं के लिए सबसे मुख्य श्रृंगार माना जाता है। यह किसी भी स्त्री के विवाहित होने का संकेत होता है। एक हिंदू विवाहित महिला के लिए कोई भी श्रृंगार सिंदूर के बिना पूरा नहीं होता है।

4- काजल - आंखों पर काजल लगाए बिना श्रृंगार अधूरा होता है। इसके बिना आंखों का मेकअप अधूरा माना जाता है। हरियाली तीज के दिन खूबसूरती बढ़ाने के लिए महिलाएं आंखों को काजल से सजाती हैं।

5- मेहंदी- सावन में मुख्य रूप से मेहंदी लगाने की परंपरा है, लेकिन हरियाली तीज के दिन मेहंदी लगाना अनिवार्य माना जाता है। इस दिन महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार में मेहंदी लगाना जरूरी माना जाता है और इससे शुभता बनी रहती है।

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6- चूड़ियां - किसी भी विवाहित महिला के लिए रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनना महत्वपूर्ण माना जाता है। हरियाली तीज के दिन महिला का श्रृंगार चूड़ियों के बिना अधूरा माना जाता है।

7- मंगलसूत्र- मंगलसूत्र को महिलाओं के विवाहित होने की निशानी के रूप में देखा जाता है। महिलाएं इसे प्रेम और सद्भावना के प्रतीक के रूप में धारण करती हैं और ये शादी की रस्मों के दौरान दुल्हन को पहनाया जाता है।

8- नथ - सोलह श्रृंगार में से एक है नथ। इसे नाक में पहना जाता है और इसे सुहागिन स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण गहना माना जाता है। मान्यता है कि नथ पहनने से बुध ग्रह के प्रभावों को दूर करने में मदद मिलती है।

9- गजरा- गजरा किसी भी फूल से तैयार किया जाता है और यह बालों में सजाया जाता है। हरियाली तीज के दिन बालों पर गजरा लगाना भी जरूरी होता है क्योंकि ये सोलह श्रृंगार का एक हिस्सा है।

10- मांग टीका- मांग टीका महिलाएं माथे पर लगाती हैं और इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है। यदि आप हरियाली तीज के दिन मांग टीका लगाती हैं तो ये आपके सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

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11- बालियां या झुमके- झुमके सोलह श्रृंगार का एक प्रमुख हिस्सा माने जाते हैं। राहु और केतु के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए दोनों कानों में झुमके पहने जाते हैं।

12- अंगूठी- अंगूठी को भी सोलह श्रृंगार में से एक माना जाता है। सगाई के समय लड़का और लड़की एक-दूसरे को अबगुठि पहनाते हैं और इसे विवाह का प्रतीक माना जाता है। शादी के बाद भी सुहागिन स्त्रियों को अपनी सगाई की अंगूठी पहनने की सलाह दी जाती है, जिससे जीवन में खुशहाली बनी रहती है।

13- बाजूबंद- बाजूबंद को भी सोलह श्रृंगार का एक हिस्सा माना जाता है और इसे हाथों के ऊपरी हिस्से में पहना जाता है। क प्रकार का कंगन। इसे धन और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।

14- करधनी- करधनी या कमरबंद को कमर में पहना जाता है। हरियाली तीज के दिन सोलह श्रृंगार में इसे पहनने की भी सलाह दी जाती है।

15- बिछिया- बिछिया को सुहाग की निशानी के रूप में देखा जाता है। इसे पैर की उंगलियों में पहना जाता है। इसे शादी की निशानी के रूप में देखा जाता है।

16- पायल - पायल को भी सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है और विवाहित महिलाएं इसे सोलह श्रृंगार के रूप में जरूर शामिल करती हैं। हरियाली तीज के दिन इसे पहनना भी जरूरी माना जाता है।

अगर आप हरियाली तीज का उपवास कर रही हैं तो आपको सोलह श्रृंगार करके की शिव-पार्वती का पूजन करना चाहिए। इससे आपके वैवाहिक जीवन में सदैव समृद्धि बनी रहती है।

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Images:Freepik.com

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