importance of Dhruv Tara in marriage

शादी की रस्मों के बीच वर वधू को ध्रुव तारा क्यों दिखाया जाता है?

हिंदू धर्म में होने वाली शादियों में एक या दो नहीं बल्कि कई सारी रस्में होती है। सभी का अपना महत्व होता है, इन्ही में से एक है ध्रुव तारा देखने की रस्म। चलिए जानते हैं इसके बारे में... <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-05-20, 16:06 IST

हिंदू धर्म में लड़की और लड़के की शादी पक्की होने के बाद कई तरह की रस्में निभाई जाती है। सभी तरह के रस्मों और रिवाजों के अपने अलग-अलग महत्व और मान्यताएं हैं। तिलक, फलदान, गोद भराई से लेकर कन्यादान सिंदूरदान और फेरे तक, सभी रस्में शादी ब्याह की जरूरी रस्म हैं। सभी जगह की रस्में रिवाज अलग होती है, क्षेत्र और राज्य बदलते ही शादी के रस्म बदल जाते हैं। लेकिन एक रस्म ऐसा है, जो सभी हिंदू शादियों में होता है। यह रस्म है ध्रुव तारा देखने की रस्म जिसमें वर वधू को शादी के अन्य रस्मों के साथ ध्रुव तारा दिखाता है। क्या आपको पता है कि यह रस्म क्यों किया जाता ह? अन्य तारा दिखाने के बजाए ध्रुव तारा ही क्यों दिखाया जाता है? यदि नहीं तो चलिए जानते हैं इसके बारे में...

शादी में ध्रुव तारा क्यों दिखाया जाता है?

Why do we see the Dhruv tara in wedding

विवाह के सभी रस्मों के बीच ध्रुव तारा दिखाने का रस्म भी होता है। इस रस्म को 7 फेरेके बाद किया जाता है, जिसमें वर वधु को आसमान में सप्त ऋषियों के साथ ध्रुव तारा का दर्शन करवाता है। शादी में ध्रुव तारा दर्शन को लेकर यह कहा जाता है कि जिस प्रकार आसमान में ध्रुव तारा स्थिर है उसी तरह वर और वधू के बीच प्रेम और सुहाग, स्थिर एवं सदैव बना रहे। साथ ही पति और पत्नी दृढ़ता से अपनी खुशहाल दांपत्य जीवन के कर्तव्य को निभा सकें।

इसके अलावा ध्रुव तारा को शुक्र का तारा भी कहा जाता है। बता दें कि शुक्र पति पत्नी के बीच के मधुर संबंधों का परिचायक है। जब फेरे के बाद दूल्हा दुल्हन को ध्रुव तारा के दर्शन करते हैं, तब वे दोनों उसी तरह से अक्षय एवं मधुर संबंधों का आशीष मांगते हैं।

इसे भी पढ़ें: Vivah Muhurat 2024: इस साल किन तिथियों में हो सकती है शादी और कौन से मुहूर्त हैं शुभ? पंडित जी से जानें 

सात फेरे के बाद ही क्यों दिखाया जाता है ध्रुव तारा?

हिंदू विवाह में सात फेरे के बाद विवाह आधी संपन्न हो जाती है। सात फेरे के बाद सिर्फ मंगलसूत्र पहनाना और सिंदूरदानकी रस्म बचती है। सात फेर के बाद ही ध्रुव तारा इसलिए दिखाया जाता है क्योंकि शादी लगभग संपन्न हो जाती है, जिसके बाद ध्रुव तारा देख पति-पत्नी अपने जीवन में स्थिरता लाएं और एक दूसरे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकें।

ध्रुव तारा किसका प्रतीक है?

Which star is seen in marriage

उत्तर सितारा जिसे ध्रुव तारा के नाम से जाना जाता है। यह तारा उत्तर दिशा को इंगित करता है इसलिए इसे उत्तर तारा कहा जाता है। ध्रुव तारा को एक संकेतक के रूप में दिशाओं को खोजने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ध्रुव तारा को पोल स्टार और उत्तर तारा के नाम से जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता है कि इस ध्रुव तारा को भगवान विष्णु ने आकाश में सबसे पहला तारा माना था।

इसे भी पढ़ें: Wedding Rituals: शादी में कुंवारी कन्या का सिंदूरदान की रस्म देखना क्यों है वर्जित?

 

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit: weddingwire.in, atlhea.in  

 

 

 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।

;