महाभारत काल का अपना अलग इतिहास है और हर एक पात्र की कुछ अलग ही कहानी है। कई ऐसे पात्र भी हैं जिनके बारे में हम बहुत ज्यादा नहीं जानते हैं। ऐसे ही पात्रों में से एक हैं अर्जुन की सास और द्रौपदी की मां पृषती। यही नहीं अर्जुन की द्रौपदी के साथ अन्य 3 पत्नियां भी थीं जिनका नाम सुभद्रा, उलूपी,चित्रांगदा था। आप सभी ने महाभारत काल में अर्जुन के साथ उनकी पत्नियों के बारे में तो जरूर सुना होगा, लेकिन सभी पत्नियों की माताओं और अर्जुन की सास के बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे। दरअसल उन सभी का जिक्र महाभारत में मिलता है, लेकिन उनकी कई ऐसी बातें हैं जिससे अभी भी लोग अनजान हैं। आइए आपको बताते हैं महाभारत काल के इन सभी पात्रों से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में विस्तार से।
कौन थीं अर्जुन की सास?
महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें धर्म, कर्म, न्याय और रिश्तों की जटिलताओं की अनगिनत बातें सामने आती हैं। इस महाकाव्य के हर एक पात्र का अपना विशिष्ट स्थान और महत्व है और उनके जीवन की कथाएं हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण बातें सिखाती हैं। ऐसे ही पांडवों में सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माने जाने वाले अर्जुन, अपनी वीरता, पराक्रम और भगवान कृष्ण के अनन्य मित्र के रूप में जाने जाते हैं। यही नहीं उनकी सभी पत्नियां- द्रौपदी, सुभद्रा, उलूपी और चित्रांगदा के बारे में भी कई लोग जरूर जानते हैं। ऐसे ही हमारे मन मस्तिष्क में एक सवाल यह भी आता है कि आखिर अर्जुन की सास कौन थीं और उनकी सभी पत्नियों की माताएं कौन थीं? आइए यहां जानें-
अर्जुन की पत्नी द्रौपदी की माता- महारानी पृषती
महाभारत में एक बहुत महत्वपूर्ण पात्र द्रौपदी, पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री थीं। उनका विवाह पांच पांडवों के साथ हुआ था, जिसमें अर्जुन प्रमुख माने जाते हैं, क्योंकि द्रौपदी स्वयंवर में अर्जुन ही विजयी हुए थे और मुख्य रूप से वो अर्जुन की ही पत्नी थीं। इस प्रकार, द्रौपदी के माता-पिता, राजा द्रुपद और उनकी पत्नी महारानी पृषती, अर्जुन के सास-ससुर के रूप में जाने जाते थे। ऐसा माना जाता है कि अर्जुन की पहली पत्नी की सास महारानी पृषती एक शक्तिशाली और प्रतिष्ठित रानी थीं।
हालांकि उनका चरित्र महाभारत में बहुत प्रमुखता से वर्णित नहीं है, लेकिन द्रौपदी के पालन-पोषण और उनके जीवन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही होगी। एक माता के रूप में, उन्होंने अपनी पुत्री को धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी होगी। द्रौपदी के स्वयंवर और उसके बाद की घटनाओं में पृषती की उपस्थिति का उल्लेख मिलता है, जो उनके मातृत्व और संस्कारों का आईना दिखाता है।
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अर्जुन की दूसरी पत्नी सुभद्रा की माता-महारानी रोहिणी
अर्जुन का दूसरा विवाह द्वारका के राजा वासुदेव की बहन सुभद्रा के साथ हुआ था। सुभद्रा को भगवान कृष्ण की बहन के रूप में जाना जाता है और अपनी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और धार्मिक स्वभाव के लिए भी प्रसिद्ध थीं। सुभद्रा के माता-पिता, वासुदेव और उनकी पत्नी रोहिणी थीं और इस प्रकार रोहिणी अर्जुन की दूसरी सास थीं।
महाभारत काल में महारानी रोहिणी का चरित्र एक शांत और ममतामयी माता के रूप में वर्णित है। वह बलराम और सुभद्रा की माता थीं और अपने पुत्र और पुत्री दोनों से गहरा स्नेह रखती थीं। ऐसा कहा जाता है कि जब अर्जुन ने सुभद्रा का हरण करके उनसे विवाह किया, तो रोहिणी ने इस घटना को सहजता से स्वीकार किया और अपनी पुत्री और दामाद को खुशी-खुशी आशीर्वाद भी दिया।
अर्जुन की तीसरी पत्नी उलूपी की माता-नागमाता
अर्जुन का तीसरा विवाह एक नाग कन्या उलूपी के साथ हुआ था। उलूपी नागराज कौरव्य की पुत्री थीं और नागलोक की राजकुमारी भी थीं। एक बार जब अर्जुन अपने बारह वर्ष के वनवास के दौरान गंगा नदी में स्नान कर रहे थे, तब उलूपी ने उन्हें नागलोक में खींच लिया और उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा। इस प्रकार, नागराज कौरव्य और उनकी पत्नी उन्हें नाग माता के रूप में जाना जाता है वो ही अर्जुन के सास-ससुर थे। हालांकि अर्जुन की तीसरी सास का जिक्र महाभारत ग्रंथ में कहीं भी नहीं मिलता है।
अर्जुन की चौथी पत्नी चित्रांगदा की माता-मणिपुर की महारानी
अर्जुन का चौथा विवाह मणिपुर के राजा चित्र वाहन की पुत्री चित्रांगदा के साथ हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि चित्रांगदा एक वीर और सुंदर राजकुमारी थीं, जिन्होंने अपने पिता के राज्य की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जब अर्जुन अपने वनवास के दौरान मणिपुर पहुंचे, तब उन्हें चित्रांगदा से प्रेम हो गया और उन्होंने राजा चित्रवाहन से उनकी बेटी के साथ विवाह करने का प्रस्ताव रखा। राजा ने इस शर्त पर विवाह स्वीकार किया कि उनकी पुत्री चित्रांगदा का पुत्र ही आगे चलकर मणिपुर का उत्तराधिकारी होगा और अर्जुन सदैव उनके साथ ही रहेंगे। इस प्रकार राजा चित्रवाहन और उनकी पत्नी जो कि मणिपुर की महारानी थीं, वो आगे चलकर अर्जुन के सास-ससुर बने। हालांकि महाभारत में इनका जिक्र बहुत कम मिलता है, लेकिन उनका पात्र अपने आप में ही उल्लेखनीय है।
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