What is the benefit of ringing bell in temple

मंदिर में कब बजानी चाहिए घंटी? जानें क्या है सही तरीका

क्या आप जानते हैं कि घंटी भी हर समय नहीं बजाई जाती है। कुछ विशेष समय के दौरान ही घंटी बजाना शास्त्रों में उचित माना गया है नहीं तो इससे दोष लग सकता है।
Editorial
Updated:- 2025-05-13, 15:04 IST

घर में पूजा करते समय या फिर बाहर मंदिर जाते समय घंटी बजाने का विशेष महत्व माना गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि घंटी भी हर समय नहीं बजाई जाती है। कुछ विशेष समय के दौरान ही घंटी बजाना शास्त्रों में उचित माना गया है नहीं तो इससे दोष लग सकता है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर मंदिर में कब घंटी बजानी चाहिए, कब नहीं बजानी चाहिए, क्या है घंटी बजाने का सही तरीका और क्या हैं इससे मिलने वाले लाभ।

मंदिर में घंटी कब बजाएं?

मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजानी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से आप अपनी उपस्थिति भगवान को दर्ज कराते हैं और उनका ध्यान आकर्षित करते हैं। यह एक तरह से भगवान को नमस्कार करने का भी तरीका है। जब मंदिर में भगवान की आरती की जाती है, तो उस दौरान लयबद्ध तरीके से घंटी बजाना भी शुभ माना जाता है। भगवान को भोग लगाते समय और उन्हें सुलाते समय भी घंटी बजाना शुभ होता है।

mandir mein ghanti kab bajani chahiye

कुछ विशेष पूजाओं और अनुष्ठानों के दौरान भी घंटी बजाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्रों में बताया गया है कि जब भी कभी कोई शुभ कार्य होता है तो नकारात्मक ऊर्जाएं उसे रोकने का प्रयास करती हैं, ऐसे में घंट नाद करने से उसकी ध्वनि के प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और पूजा में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं लग पाता है। इसके अलावा, पूजा-पाठ या हवन-अनुष्ठान निर्विघ्न संपन्न होता है।

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मंदिर में घंटी कब न बजाएं?

शास्त्रों में दी गई जानाकरी के अनुसार, रात के समय घंटी नहीं बजानी चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि सिर्फ शयन आरती हेतु घंटी बजाना बाहरी मंदी एवं घर के मंदिर में मान्य है। एक बार भगवान शयन क्र लें फिर इसके बाद आप किसी भी प्रकार का पूजा-पाठ क्यों न करें लेकिन घंटी नहीं बजानी चाहिए। कई लोग जागरण करवाते हैं तो रात के समय या भोर में आरती करते हुए घंटी बजाते हैं जो कि पूर्णतः गलत है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर से बाहर निकलते समय भी घंटी बजाना उचित नहीं माना जाता है। ऐसा करने से मंदिर में व्यक्ति द्वारा प्राप्त की गई सकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जाती है। घंटी को लगातार या बहुत तेज आवाज में नहीं बजाना चाहिए। इसे धीरे और लयबद्ध तरीके से बजाना चाहिए ताकि इसकी ध्वनि मधुर लगे। घंटी जब तक लयबद्ध हो तब तक सकारात्मक प्रभाव डालती है, नहीं तो बुरा असर दिखता है।

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मंदिर में घंटी कैसे और क्यों बजाएं?

घंटी हमेशा श्रद्धा और भक्ति भाव से बजानी चाहिए। यह केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि भगवान के प्रति अपना सम्मान और प्रेम व्यक्त करने का एक तरीका है। घंटी की आवाज इतनी होनी चाहिए कि वह मंदिर के वातावरण में गूंजे, लेकिन इतनी तेज न हो कि मंदिर परिसर केबाहर तक जाए। मंदिर की घंटी बजाते समय भगवान का नाम या उनके मंत्र का जाप करना चाहिए। घंटी हमेशा सीधे हाथ से बजानी चाहिए तभी शुभदायक होती है।

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माना जाता है कि घंटी की ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियां दूर होती हैं। घंटी की आवाज वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है, जिससे मन शांत और प्रसन्न रहता है। यह माना जाता है कि घंटी की ध्वनि देवताओं को जागृत करती है और भक्तों की प्रार्थनाओं को उन तक पहुंचाती है। घंटी की लयबद्ध ध्वनि मन को एकाग्र करती है। स्कंद पुराण के अनुसार, मंदिर में घंटी बजाने से मनुष्य के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

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घर में मंदिर में कौन सी घंटी रखनी चाहिए?
घर के मंदिर में गरुड़ घंटी रखना सबसे शुभ माना जाता है।
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