हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। यह एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा व्यक्ति ईश्वर से जुड़ने का प्रयास करता है। पूजा करते समय मन को शुद्ध और स्थिर रखना बहुत आवश्यक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब आपका मन स्थिर होता है तभी आप सीधे ईश्वर से सामंजस्य बना सकते हैं।
हालांकि, कई बार ऐसा होता है कि पूजा करते समय आपका मन विचलित होता है और ईश्वर को छोड़कर अन्य बातों की तरफ झुकने लगता है। यही नहीं कई बार पूजा के समय आपको नींद या उबासी भी आने लगती है। यह घटना भले ही आपको साधारण प्रतीत हो सकती है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसका गहरा अर्थ और प्रभाव होता है।
पूजा के समय यदि आपको नींद आ जाए तो ये इस बात की तरफ संकेत हो सकता है कि आपका मन पूरी तरह से ईश्वर की आराधना में नहीं है बल्कि किसी कारणवश बार-बार विचलित हो रहा है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें कि अगर आपको पूजा के समय बार-बार नींद आए तो इसके क्या संकेत हो सकते हैं और क्या यह किसी भविष्य की घटना की तरफ इशारा हो सकता है।
पूजा के दौरान नींद आने के कारण
यदि व्यक्ति पूजा करने से पहले शारीरिक या मानसिक रूप से थका हुआ हो, तो नींद आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है । पूजा के दौरान शांति और स्थिरता का वातावरण होने के कारण मन और शरीर विश्राम की अवस्था में आ जाते हैं, जिससे नींद आने लगती है। वहीं एक और कारण के रूप में पूजा का मुख्य उद्देश्य ईश्वर के प्रति ध्यान केंद्रित करना है।
यदि मन में अन्य विचार चल रहे हों, तो ध्यान भटक सकता है। यह स्थिति मन को थका देती है और परिणामस्वरूप नींद आ जाती है।
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पूजा के दौरान नींद ऊर्जा के असंतुलन की वजह से आ सकती है
पूजा के दौरान नींद आना ऊर्जा के असंतुलन का संकेत हो सकता है। शास्त्रों के अनुसार, हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, जो ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब इन चक्रों में असंतुलन उत्पन्न होता है, तो इसका प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है। ऐसे में पूजा के दौरान व्यक्ति का मन स्थिर नहीं रह पाता और शरीर नींद की अवस्था में जा सकता है।
यह स्थिति दर्शाती है कि आपकी ऊर्जा प्रवाह में बाधा है, जिसे ध्यान और साधना के माध्यम से संतुलित किया जा सकता है। पूजा से पहले मानसिक और शारीरिक तैयारी करके आप इस समस्या से बाहर निकल सकते हैं। शरीर के सात चक्रों की ऊर्जा संतुलित रहने पर पूजा अधिक प्रभावी होती है और व्यक्ति भक्ति में गहराई से जुड़ पाता है।
पूजा करते समय नींद आने का कारण भक्ति में कमी
शास्त्रों के अनुसार, पूजा करते समय नींद आना यह संकेत देता है कि व्यक्ति की भक्ति पूर्ण रूप से ईश्वर में नहीं है। पूजा के लिए श्रद्धा और एकाग्रता का होना आवश्यक माना जाता है। यदि इन दोनों में कमी होती है, तो इसका असर पूजा के दौरान देखने को मिलता है और पूजा के बीच में ही नींद या उबासी आने लगती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा के दौरान नींद आना हमारे पिछले पापों का प्रभाव भी हो सकता है। यह ईश्वर द्वारा हमें संकेत हो सकता है कि आत्मा को शुद्ध करने की आवश्यकता है। क्योंकि जिस क्षण भी हम पूजा के समय नींद में आ जाते हैं उस समय की पूजा का पूर्ण फल आपको नहीं मिल पाता है। पूजा के समय नींद आना यह भी दर्शाता है कि व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा काफी कमजोर है। यह स्थिति बताती है कि साधक को अपनी साधना और तप को और अधिक मजबूत करना चाहिए।
पूजा करते समय नींद आत्मा की शांति का संकेत
ऐसा हमेशा जरूरी नहीं है कि पूजा के समय नींद आना आपके लिए कोई नकारात्मक संकेत ही है। कई बार ऐसा भी होता है कि पूजा करते समय नींद आना आत्मा की शांति का संकेत भी हो सकता है। शास्त्रों में कहा गया है कि जब व्यक्ति का मन और आत्मा एक विशेष स्थिति में पहुंचते हैं, तो शरीर विश्राम की अवस्था में चला जाता है। आमतौर पर जब हम पूजा में पूरी तरह से लीन होते हैं और ईश्वर की तरफ ध्यान केंद्रित करते हैं तो ये आपकी आत्मा और मन को शांति प्रदान करती है। जिसके कारण नींद आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।
पूजा के दौरान नींद आने के दुष्प्रभाव क्या हो सकते हैं
यदि व्यक्ति किसी भी पूजा के दौरान सो जाता है, तो उसकी साधना का प्रभाव कम हो जाता है। यह स्थिति व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति में बाधा डाल सकती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि पूजा के समय मन और शरीर का सतर्क रहना आवश्यक है। यदि नींद आती है, तो यह दर्शाता है कि व्यक्ति ईश्वर की कृपा से दूर हो सकता है। वहीं दूसरी तरफ पूजा के माध्यम से व्यक्ति अपने कर्मों को सुधारने और आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करता है। लेकिन नींद आने से यह प्रक्रिया अधूरी रह सकती है, इसलिए पूजा के दौरान आपको सजग रहने की सलाह दी जाती है।
पूजा के दौरान नींद आने से बचने के उपाय
यदि आपको अक्सर ऐसा होता है कि पूजा के समय नींद आने लगती है तो आप ऐसे समय का चयन करें जब मन और शरीर दोनों सक्रिय हों। इसी वजह से प्रातःकाल या संध्याकाल में पूजा करना अधिक प्रभावी होता है। पूजा करने से पहले स्नान करें और अपने मन को शांत करें। स्नान और ध्यान करने से मन और शरीर दोनों ही तैयार हो जाते हैं, जिससे नींद आने की संभावना कम हो जाती है। ध्यान करने से मन एकाग्र होता है और व्यक्ति पूजा में पूरी तरह से जुड़ पाता है।
पूजा के दौरान सही मुद्रा में बैठना भी आवश्यक है। पीठ सीधी रखें और आंखें खुली रखें। इससे शरीर सक्रिय रहता है और नींद आने की संभावना कम हो जाती है। वहीं पूजा के दौरान सक्रिय रहने के लिए आप पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें या भजन गाएं। इससे मन सक्रिय रहेगा और नींद नहीं आएगी।
पूजा के समय कभी-कभी नींद आना एक स्वाभाविक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यदि आपके साथ अक्सर ऐसा होता है तो ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको ध्यान केंद्रित करने और भक्ति बढ़ाने में मदद करें।
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