What is the story of Bhringi rishi

कौन थे 3 पैरों वाले श्रापित ऋषि? क्या था शिव जी से इनका नाता

हमारे शास्त्रों में एक ऐसे ऋषि का उल्लेख किया गया है जिनकी 2 नहीं बल्कि 3 टांगें थीं। ये ऋषि एक श्राप और एक वरदान के कारण 3 पैरों पर चलते थे। इन ऋषि का संबंध भगवान शिव से भी है।
Editorial
Updated:- 2025-06-06, 16:00 IST

पौराणिक धर्म ग्रंथों में ऐसे कई ऋषियों का उल्लेख मिलता है जिनसे जुड़े कई रहस्य हैं और कई रोचक कथाएं भी मौजूद हैं। ठीक ऐसे ही हमारे शास्त्रों में एक ऐसे ऋषि का उल्लेख किया गया है जिनकी 2 नहीं बल्कि 3 टांगें थीं। ये ऋषि एक श्राप और एक वरदान के कारण 3 पैरों पर चलते थे। इन ऋषि का संबंध भगवान शिव से भी है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आखिर कौन थे ये ऋषि जिनके 3 पैर थे और किस श्राप के कारण इन्हें यह दंड भोगना पड़ा था।

कौन थे 3 पैरों वाले ऋषि और क्या है उनके श्राप का रहस्य?

भृंगी ऋषि भगवान शिव के एक महान भक्त थे, लेकिन उनकी भक्ति में एक अनोखा पहलू था। वे केवल भगवान शिव की ही पूजा करते थे और माता पार्वती को उतना महत्व नहीं देते थे, क्योंकि वे शिव को ही सब कुछ मानते थे।

Nandi Bhringi Shiva

जब वे कैलाश पर्वत पर शिव और पार्वती के दर्शन के लिए जाते थे, तो वे केवल शिव की ही परिक्रमा करते थे, पार्वती की नहीं। एक दिन, जब भृंगी ऋषि हमेशा की तरह केवल शिव की परिक्रमा कर रहे थे, तो माता पार्वती ने सोचा कि उन्हें ऋषि को यह सिखाना चाहिए कि शिव और शक्ति एक ही हैं, उन्हें अलग नहीं किया जा सकता।

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इसलिए, अगली बार जब भृंगी आए, तो पार्वती शिव के साथ इस प्रकार बैठीं कि भृंगी को दोनों की परिक्रमा करनी पड़े। लेकिन भृंगी अपनी भक्ति में इतने दृढ़ थे कि उन्होंने एक भौंरे (भृंग) का रूप धारण किया और शिव और पार्वती के बीच से उड़कर केवल शिव की ही परिक्रमा करने की कोशिश की।

माता पार्वती इस अभूतपूर्व अनादर से अत्यंत क्रोधित हुईं। उन्होंने भृंगी ऋषि को श्राप दिया कि उनके शरीर का वह हिस्सा जो उन्हें अपनी माता से मिला है यानी कि मांस और रक्त, वह नष्ट हो जाएगा। इस श्राप के कारण भृंगी ऋषि केवल हड्डियों के ढांचे के रूप में रह गए, इतने कमजोर कि वे खड़े भी नहीं हो सकते थे।

अपने प्रिय भक्त की ऐसी दशा देखकर भगवान शिव को उन पर दया आई। उन्होंने भृंगी ऋषि को एक तीसरा पैर प्रदान किया ताकि वे उस पर सहारा लेकर खड़े हो सकें। इसी कारण से भृंगी ऋषि को तीन पैरों वाले ऋषि के रूप में जाना जाता है।

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इस घटना से भृंगी ऋषि को यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि शिव और शक्ति वास्तव में अभिन्न हैं और उन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता। उन्होंने अपनी भूल स्वीकार की और तब से वे शिव और पार्वती दोनों की समान रूप से पूजा करने लगे।

Rishi bhringi in Hindi

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FAQ
कौन हैं सप्त ऋषि?
सप्तऋषि वे सात महान ऋषि-मुनि हैं जिन्हें हिंदू धर्म में विशेष स्थान दिया गया है। वेदों और पुराणों में इनका उल्लेख मिलता है। इनके नाम हैं- कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, भारद्वाज।
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