गंगाजल को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार, गंगाजल में पाप धोने और शुद्धि करने की शक्ति होती है। लोग इसे मंदिरों में पूजा के लिए इस्तेमाल करते हैं और इसे घरों में रखते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हालांकि, शास्त्रों में गंगा स्नान से लेकर गंगाजल को घर में रखने तक के कई नियम बताये गए हैं जिनका पालन आवश्यक माना गया है तभी सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। इसी कड़ी में आज हम ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानेंगे कि क्या वाकई घर में गंगाजल से स्नान करना या फिर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना सही है।
क्या घर में गंगाजल से स्नान करना सही है?
गंगाजल को गंगा मैया का स्वरूप माना जाता है, जो अपने आप में एक देवी हैं। जब हम इसे घर के सामान्य नहाने के पानी में मिलाते हैं तो ऐसा माना जाता है कि हम इसकी पवित्रता को कम कर रहे हैं। जिस तरह किसी देवता को हम सामान्य तरीके से नहीं छूते या उनके साथ सामान्य व्यवहार नहीं करते उसी तरह गंगाजल के साथ भी बहुत श्रद्धा और नियमों का पालन करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार, गंगा नदी में स्नान करने का अर्थ केवल शरीर को धोना नहीं है बल्कि मन और आत्मा की शुद्धि भी है। गंगा में डुबकी लगाने से एक आध्यात्मिक अनुभव मिलता है जिसमें व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित करता है और खुद को शुद्ध महसूस करता है। घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलाने से वह आध्यात्मिक जुड़ाव और पवित्रता का अनुभव नहीं हो पाता है।
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गंगाजल को अत्यंत शुद्ध माना जाता है और इसे कभी भी अशुद्ध हाथों से या अपवित्र स्थान पर नहीं रखना चाहिए। घर में स्नान करते समय शरीर की गंदगी और साबुन आदि का उपयोग गंगाजल की पवित्रता को दूषित कर सकता है। शास्त्रों में ऐसी चीजों से बचने को कहा गया है जो गंगाजल की शुद्धता को प्रभावित कर सकती हैं जैसे प्लास्टिक के बर्तन में रखना या गंदे हाथों से छूना।
अक्सर लोग कहीं से पढ़कर या सुनकर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करते हैं विशेष रूप से किसी पर्व या त्यौहार पर। ऐसा करना शास्त्रों में वर्जित माना गया है क्योंकि जब आप घर पर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाते हैं तो नहाते समय वह पानी नाली में जाता है। गंगाजल का नाली में जाना जहां उल्टा प्रभा डालता है और नकारात्मकता को बढ़ाता है तो वहीं, यह मां गंगा का अपमान भी है।
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