Shani Dev Puja: शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है, जो हिन्दू धर्म में न्याय और कर्मों के फल के देवता माने जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव की पूजा से जीवन की सभी बाधाएं और कष्ट दूर होते हैं। यदि शनिदेव रुष्ट हो जाएं, तो व्यक्ति को हर काम में असफलता और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति जीवन को कष्टमय बना सकती है। अगर आपकी कुंडली में शनि कमजोर हैं या आप शनि की साढ़े साती से गुजर रहे हैं,तो इससे राहत पाने के लिए उपाय और पूजा-पाठ अत्यंत आवश्यक है। ऐसा करने से आपका जीवन सुखमय हो सकता है। शनिदेव को प्रसन्न करने और उनके दोषों से मुक्ति पाने के लिए सही विधि और नियमों का पालन करते हुए पूजा और व्रत करना बेहद जरूरी है। इससे सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शनिवार का दिन शनिदेव की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना गया है। इस दिन आप सच्चे मन से पूजा और व्रत आदि नियम कर सकते हैं। चलिए आचार्य उदित नारायण त्रिपाठी से जानते हैं कि शनिवार पूजा की सही विधि
शनिवार पूजा विधि (Shanivar ki Puja Vidhi)
शनिवार सुबह जल्दी उठकर पहले पूरी घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद जल्दी उठकर स्नान करें और साफ स्वच्छ वस्त्र हो सके तो काले या गहरे नीले रंग का धारण करें। अब घर के किसी साफ स्थान पर या मंदिर में चौकी रखें। इस पर काले रंग का वस्त्र बिछाएं। इस पर शनिदेव की प्रतिमा स्थापित करें। यदि लोहे की प्रतिमा है, तो उसे पंचामृत से स्नान कराएं और चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें। आप भगवान शिव और हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं, क्योंकि शनिवार को उनकी पूजा भी की जाती है। वेदी के सामने बैठकर पूरी श्रद्धा से व्रत और पूजा का संकल्प लें। अब शनिदेव की प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने के बाद काले तिल, काली उड़द दाल, नीले फूल, शमी के पत्ते, पीपल के पत्ते और काले वस्त्र अर्पित करें।
पूजा के अंत में शनिदेव की आरती करें और उनसे अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। पूजा के बाद गरीब और जरूरतमंद लोगों को काले वस्त्र, तिल, उड़द दाल या भोजन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। चींटियों को आटा डालना भी लाभकारी होता है। यदि आप शनिवार का व्रत रखते हैं, तो पूरे दिन फलाहार पर रहें। शाम के समय उड़द की दाल की खिचड़ी का सेवन कर सकते हैं।
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शनिवार का व्रत कब शुरू करें?
हिंदू धर्म मेंशनि देवको कर्मों का न्यायाधीश माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वे न तो किसी से अन्याय करते हैं, और न ही पक्षपात। शनि देव अपने भक्त को वही देते हैं जो उनके कर्मों के अनुसार होता है। शनिवार का व्रत कभी भी शुरू किया जा सकता है। लेकिन श्रावण मास में पड़ने वाले शनिवार से अगर आप व्रत रखते हैं, तो उसका महत्व है। इसके अलावा इस व्रत को किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि शनिवार का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सेहत से लेकर नौकरी तक हर चीज में लाभ मिल सकती है।
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