सावन सोमवार का हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और खासकर सावन के हर सोमवार को शिवजी की पूजा और व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इसी महीने में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इस दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है, अविवाहित लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।
सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है इसलिए सावन के सोमवार को शिव पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। सावन का तीसरा सोमवार 28 जुलाई को पड़ रहा है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि सावन के तीसरे सोमवार पर क्या है पूजा, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त। साथ ही, जानेंगे सावन सोमवार की पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में।
सावन तीसरा सोमवार पूजा शुभ मुहूर्त 2025
सावन के तीसरे सोमवार पर अगर आप सामान्य रूप से भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं तो ऐसे में पूजा के लिए सबसे ज्यादा शुभ समय होगा रवि योग में जो 28 जुलाई को सुबह 5 बजकर 40 मिनट से शाम 5 बजकर 35 मिनट तक है।
इसके अलावा, आप अभिजीत मुहूर्त में भी शिवलिंग पूजन कर सकते हैं जो दोपहर 12 बजे से आरंभ होगा और इसका समापन दोपहर 12 बजकर 55 मिनट पर होगा। इस शुभ समय में शिवलिंग पूजन करने से चौगुना फल प्राप्त होगा।
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सावन सोमवार जलाभिषेक शुभ मुहूर्त 2025
सावन के तीसरे सोमवार पर शिवलिंग जलाभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रहा है और जो दोपहर 3 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगा। इस शुभ समय में शिवलिंग जलाभिषेक करने से शुभ कार्य संपन्न होते हैं।
सावन सोमवार रुद्राभिषेक मुहूर्त 2025
सावन के तीसरे सोमवार पर अगर आप शिवलिंग रुद्राभिषेक करना चाहते हैं तो शाम 7 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 36 मिनट तक का समय सबसे ज्यादा शुभ है। इसके अलावा, एक और मुहूर्त है जिसमें आप रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
शिवलिंग रुद्राभिषेक का दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 15 मिनट से रात 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। इन दोनों मुहूर्तों में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव एवं माता पार्वती की असीम कृपा होगी और आपको अक्षय फल की प्राप्ति भी होगी।
सावन सोमवार पूजा विधि 2025
सावन सोमवार की पूजा विधि बहुत सरल होती है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। फिर घर के मंदिर या किसी शिवालय में जाकर शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और घी मिलाकर पंचामृत से अभिषेक करें।
इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, फल, चंदन और धूप-दीप अर्पित करें। 'ॐ नमः शिवाय' या 'महामृत्युंजय मंत्र' का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं। इस दिन फलाहार करते हुए सात्विक रहें और शाम को पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।
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सावन सोमवार व्रत कथा 2025
सावन सोमवार की व्रत कथा भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
उन्होंने अन्न-जल त्याग कर कई वर्षों तक निराहार रहकर तपस्या की, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। यह तपस्या सावन महीने में ही की गई थी और इसीलिए सावन सोमवार का व्रत इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस व्रत को करने से अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है और सुहागिन महिलाओं के वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है, साथ ही पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद भी मिलता है।
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image credit: herzindagi
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