सावन में रोजाना जरूर करें यह खास पाठ, राहु और केतु दोष से मिल सकता है छुटकारा

हिंदू धर्म में सावन का महीना व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य लेकर आता है। अब ऐसे में अगर आपकी कुंडली में राहु और केतु दोष है तो सावन में एक ऐसा पाठ है। जिसका जाप करने से लाभ हो सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
sawan month 2025 recite shiv rudri path to get rid of rahu and ketu dosha

हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद खास और पवित्र माना जाता है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इस माह में दूर-दूर से भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं। यह व्रत भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें हलाहल विष निकला था. सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे 'नीलकंठ' कहलाए।

इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान शिव पर जल चढ़ाया था, यही कारण है कि सावन में शिव पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। अब ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में राहु और केतु दोष है तो इस दिन शिव रुद्री का पाठ करने का विशेष विधान है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

राहु-केतु दोष से छुटकारा पाने के लिए सावन में करें शिव रुद्री पाठ

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अगर आपकी कुंडली में राहु और केतु दोष है तो सावन के महीने में भगवान शिव का रुद्री पाठ करने से उत्तम परिणाम मिल सकते है। साथ ही जीवन में आ रही कठिन परिस्थितियों से भी छुटकारा मिल सकता है।

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं । विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ॥
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं । चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥1॥
निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं । गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं । गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ॥2॥
तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं । मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ॥
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा । लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥3॥
चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं । प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ॥
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं । प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ॥4॥

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प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं । अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ॥
त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं । भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥5॥
कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी । सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ॥
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी । प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥6॥
न यावद् उमानाथपादारविन्दं । भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं । प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥7॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां । नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ॥
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं । प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ॥8॥

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रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ॥।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥9॥

शिव रुद्री पाठ करने से मिलते हैं ये लाभ

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भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए शिव रुद्री पाठ का विशेष महत्व है। यह पाठ वेदों में वर्णित रुद्राष्टाध्यायी से लिया गया है और इसे भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक अत्यंत प्रभावशाली तरीका माना जाता है। रुद्री पाठ के नियमित जाप से व्यक्ति अपने जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति पाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, रुद्री पाठ नौ ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को शांत करने में सहायक है। जिन जातकों की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, उन्हें इस पाठ से विशेष लाभ मिलता है।

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Image Credit- HerZindagi

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