सावन में पड़ने वाले मंगला गौरी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व है। यह व्रत हर साल सावन महीने के हर मंगलवार को रखा जाता है और यह मुख्य रूप से माता पार्वती को समर्पित है। जो सुहागिन महिलाएं यह व्रत पूरे मन से करती हैं उन्हें माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है जिससे पति की लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य बना रहता है। इस व्रत से वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और प्रेम बढ़ता है और घर में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।
साथ ही, जिन लड़कियों की शादी में देरी हो रही हो या जिन्हें मनचाहा जीवनसाथी चाहिए हो वे भी यह व्रत रखकर मनचाहे वर की प्राप्ति कर सकती हैं। यह व्रत मंगल दोष के बुरे प्रभावों को भी कम करता है और संतान सुख की कामना रखने वालों को भी संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई को रखा जाएगा। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं मंगला गौरी व्रत की संपूर्ण पूजा विधि।
मंगला गौरी व्रत 2025 पूजा सामग्री
चौकी और वस्त्र: एक साफ लकड़ी की चौकी जिस पर माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाएगी। चौकी पर बिछाने के लिए लाल रंग का वस्त्र।
कलश: एक मिट्टी या तांबे का कलश, जिसमें गंगाजल या शुद्ध जल भरा हो। कलश में सिक्का, सुपारी, लौंग, इलायची और हल्दी की गांठ डाली जाती है। कलश के मुख पर आम के पत्ते या पान के पत्ते लगाएं और ऊपर एक नारियल रखें।
माता की मूर्ति या तस्वीर: देवी मंगला गौरी (माता पार्वती) की मूर्ति या तस्वीर।
दीपक: आटे का बना 16 बाती वाला चौमुखी दीपक, जिसे घी से प्रज्वलित किया जाता है। आप सामान्य घी का दीपक भी जला सकते हैं।
फूल और माला: लाल रंग के फूल (जैसे गुड़हल), और फूलों की माला। कुछ लोग 16 प्रकार के फूल भी अर्पित करते हैं।
बेलपत्र: भगवान शिव और पार्वती दोनों को बेलपत्र बहुत प्रिय है।
धूप और दीप: सुगंधित धूप और घी का दीपक।
कुंकुम, रोली, सिंदूर, हल्दी: माता पार्वती को लगाने के लिए।
अक्षत (चावल): टूटे हुए नहीं होने चाहिए।
चंदन: सफेद चंदन भगवान शिव के लिए और लाल चंदन माता पार्वती के लिए।
पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण।
यह भी पढ़ें:क्या इस साल सावन में आप भी रख रही हैं मंगला गौरी व्रत? पूजा-पाठ से लेकर उपवास तक जानें सभी नियम
जल: शुद्ध जल और गंगाजल।
वस्त्र: माता पार्वती को अर्पित करने के लिए लाल रंग की चुनरी या वस्त्र।
सोलह श्रृंगार की सामग्री: इसमें बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, सिंदूर, काजल, साड़ी, पायल, बिछिया, नेलपॉलिश, कंघा, दर्पण, लिपस्टिक आदि शामिल होते हैं। यह सामग्री 16 की संख्या में होनी चाहिए।
फल: मौसम के अनुसार कोई भी फल, खासकर लाल फल।
मिठाई: 16 लड्डू, या अन्य कोई भी मिठाई।
मेवे: 16 बादाम, 16 काजू, 16 मखाने आदि।
अनाज: 7 प्रकार के अनाज (जैसे गेहूं, जौ, चावल, चना, मूंग, उड़द, मसूर)।
पान के पत्ते और सुपारी: 16 पान के पत्ते और 16 सुपारी।
लौंग और इलायची: 16 लौंग और 16 इलायची।
मौली (कलावा): जिसे वस्त्र के रूप में अर्पित किया जाता है।
मंगला गौरी व्रत 2025 पूजा विधि
व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पूजा के लिए घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें। एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। अब माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। चौकी के पास ही एक कलश स्थापित करें, जिसमें जल भरकर सिक्का, सुपारी, लौंग, इलायची और हल्दी की गांठ डालें। कलश के मुख पर आम के पत्ते या पान के पत्ते लगाकर ऊपर एक नारियल रखें। पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना बोलते हुए व्रत का संकल्प लें।
किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है इसलिए सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें। उन्हें जल चढ़ाएं, मोदक या लड्डू का भोग लगाएं और 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें। अब माता मंगला गौरी की पूजा शुरू करें। सबसे पहले माता की मूर्ति या तस्वीर पर जल अर्पित करें। यदि मूर्ति हो तो पंचामृत यानी कि दूध, दही, घी, शहद, चीनी के मिश्रण से अभिषेक करें और फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। माता को लाल रंग की चुनरी या वस्त्र अर्पित करें। उन्हें सोलह श्रृंगार की सभी सामग्री एक-एक करके अर्पित करें।
श्रृंगार सामग्री में सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, काजल, महावर, पायल आदि शामिल होते हैं। माता पार्वती को लाल रंग के फूल जैसे गुड़हल, गुलाब, लाल कनेर आदि चढ़ाएं। माता पार्वती को इन फूलों की माला भी अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद माता पार्वती को कुमकुम, रोली और हल्दी का तिलक लगाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप करें। आटे से बना 16 बाती वाला चौमुखी दीपक जलाना इस पूजा में विशेष शुभ माना जाता है। माता को 16 लड्डू, फल, पान-सुपारी, लौंग और इलायची अर्पित करें।
आप अपनी पसंद की कोई भी मीठी वस्तु भोग में चढ़ा सकते हैं। सात प्रकार के अनाज जैसे गेहूं, जौ, चावल, चना, मूंग, उड़द, मसूर भी अर्पित करें। पूजा के दौरान माता पार्वती के मंत्रों 'ॐ गौरी शंकराय नमः' और 'सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥' का जाप करें। इसके अलावा, मनवांछित वर पाने के लिए माता पार्वती के 'हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्॥' मंत्र का 108 बार जाप करें या फिर 1 माला इस मंत्र की करें।
व्रती महिलाएं या कुंवारी कन्याएं चाहें तो मंगला गौरी व्रत के दिन मंगला गौरी चालीसा और मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करें। पूजा के अंत में माता मंगला गौरी की आरती करें। आरती के बाद हाथ जोड़कर माता से अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें और अपनी मनोकामना मांगें। पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांट दें। जिन महिलाओं ने मंगला गौरी का व्रत रखा है वह महिलाएं अगले दिन यानी बुधवार को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें। मंगला गौरी व्रत का पारण कभी भी उसी दिन यानी कि मंगलवार की शाम को नहीं होता है।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
image credit: herzindagi
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों