auspicious muhurat for shivling puja on 11 july 2025 first day of sawan

Sawan Shivling Puja Muhurat 2025: आज से आरंभ हुआ सावन का महीना, शिवलिंग पूजा के लिए बन रहा है एक घंटे का विशेष मुहूर्त...आप भी जानें

हिंदू धर्म में सावन का महीना सुख-सौभाग्य का कारक माना जाता है। अब ऐसे में अगर आप भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं तो किस मुहूर्त में करें। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-07-11, 05:03 IST

सावन का महीना, जिसे श्रावण भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार पांचवां महीना है। यह आमतौर पर जुलाई-अगस्त के महीनों में पड़ता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला था, तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विष को स्वयं पी लिया था। विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया था।

तभी से सावन के महीने में भगवान शिव पर जल चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सावन में कठोर तपस्या की थी, जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और उन्हें पति के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि सावन में अविवाहित कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए शिव पूजा करती हैं। अब ऐसे में शिवलिंग की पूजा किस मुहूर्त में करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

शिवलिंग पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जान लें

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ब्रह्म मुहूर्त - सुबह लगभग 04:00 बजे से 05:30 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक
संध्या मुहूर्त - शाम 7 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 9 बजकर 21 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 22 मिनट से शाम 07 बजकर 42 मिनट तक

यूं तो सावन में शिवलिंग की पूजा के लिए प्रदोष का मुहूर्त उत्तम माना जाता है, लेकिन सावन के पहले दिन प्रदोष काल का मुहूर्त नही हैं। इसिलए आप अभिजीत मुहूर्त, संध्या मुहूर्त और गोधूलि मुहूर्त में विधिवत रूप से पूजा-पाठ कर सकते हैं। 

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सावन में शिवलिंग पूजा का महत्व क्या है?

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सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान शिवलिंग पूजा का विशेष महत्व है। यह माह शिव भक्तों के लिए बहुत ही पावन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव अपने ससुराल, पृथ्वी पर आते हैं और यहीं निवास करते हैं। इसलिए इस महीने में उनकी पूजा-अर्चना करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

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शिवलिंग को शिव का निराकार स्वरूप माना जाता है। सावन में प्रतिदिन या कम से कम सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शिवजी का अभिषेक होता है, जिसे जलाभिषेक कहते हैं। इसके अलावा, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र और फूल अर्पित किए जाते हैं। ये सभी चीजें भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। सावन में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि ग्रह दोषों से भी मुक्ति मिलती है।

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Image Credit- HerZindagi

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