जुलाई महीने में इन विशेष तिथियों में पड़ेंगे प्रदोष व्रत, भोले बाबा की कृपा पाने के लिए आप भी जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

जुलाई महीने में प्रदोष व्रत की शुभ तिथियों और पूजा के शुभ मुहूर्त की जानकारी प्राप्त करने के लिए, आइए जानते हैं कि इस महीने में कौन सी तिथियां प्रदोष व्रत के लिए उपयुक्त हैं और इनका शुभ मुहूर्त क्या होगा। यह जानकारी आपको भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने में मदद करेगी।
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हिंदू धर्म में किसी भी तिथि का विशेष महत्व होता है और इस दौरान पूजा से भी कई शुभ फल मिलते हैं। इन्हीं में से एक है प्रदोष व्रत। हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और इसकी पूजा द्वादशी या त्रयोदशी में से जिस दिन भी प्रदोष काल शुभ होता है उसमें की जाती है। प्रदोष व्रत पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दिन शव जी का पूजन माता पार्वती समेत करना फलदायी माना जाता है। हर महीने की ही तरह जुलाई में भी दो मुख्य प्रदोष व्रत पड़ेंगे और यदि आप इस व्रत का पालन करती हैं तो आपको इस दिन की सही तिथि और शुभ मुहूर्त की जानकारी भी होनी चाहिए।

जुलाई महीने में प्रदोष व्रत की विशेष तिथियों का महत्व भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत अधिक है क्योंकि इसी दौरान सावन का महीना भी आरंभ हो रहा है। आइए पंडित सौरभ त्रिपाठी से जानते हैं कि जुलाई में प्रदोष व्रत की शुभ तिथियां कब हैं और किस मुहूर्त में पूजन करना लाभदायक हो सकता है।

जुलाई 2025 पहला प्रदोष व्रत कब है?

pradosh vrat tithiyan

जुलाई महीने का पहला प्रदोष व्रत आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी कि 08 जुलाई, मंगलवार को पड़ेगा। चूंकि यह व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे भौम प्रदोष के नाम से जाना जाएगा।

  • आषाढ़ मास की त्रयोदशी तिथि आरंभ - 07 जुलाई, सोमवार, रात्रि-11 बजकर 10 मिनट पर
  • आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि समापन - 08 जुलाई, मंगलवार, मध्य रात्रि 12 बजकर 38 मिनट पर
  • उदया तिथि की मानें और प्रदोष काल का शुभ समय देखें तो यह व्रत 08 जुलाई को करना ही सर्वश्रेष्ठ होगा।
  • प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त - 08 जुलाई सायं 07 बजकर 23 मिनट से रात्रि 09 बजकर 24 मिनट तक है। यदि आप इसी शुभ मुहूर्त में शिव और पार्वती का पूजन करें तो आपके लिए फलदायी हो सकता है।

जुलाई के पहले प्रदोष व्रत का महत्व

significance of pradosh puja

स्कंद पुराण के अनुसार मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से विशेष रूप से शत्रु बाधा, कर्ज, भय और न्यायिक विवादों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं यह मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने का तरीका भी माना जाता है और इस व्रत को करने से मानसिक शांति मिलती है और साहस, ऊर्जा के साथ आत्मबल भी बढ़ता है।
शिवपुराण में कहा गया है-
'मङ्गलवासरे यः प्रदोषं उपोष्य पूजयेत शङ्करं,
तस्य रिपवः नश्यंति, युद्धे विजयः सदा।'
अर्थ - मंगलवार के दिन प्रदोष व्रत करने वाला व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है।
यह व्रत उन लोगों के लिए बहुत ज्यादा शुभ होगा जो कोर्ट-कचहरी में उलझे हुए हैं या रक्षा क्षेत्र में कार्यरत हैं। यही नहीं मानसिक और शारीरिक बल की इच्छा रखने वाले साधकों के लिए भी यह व्रत बहुत शुभ होगा।

जुलाई का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?

july second pradosh vrat

पंचांग के अनुसार जुलाई महीने का दूसरा प्रदोष व्रत सावन के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी कि 22 जुलाई, मंगलवार को पड़ेगा। चूंकि यह प्रदोष व्रत भी मंगलवार के दिन है इसलिए इसे भी भौम प्रदोष के नाम से जाना जाएगा।

  • सावन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ - 22 जुलाई प्रातः 07 बजकर 05 मिनट से
  • सावन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समापन - 23 जुलाई प्रातः 04 बजकर 39 मिनट पर
  • चूंकि प्रदोष काल 22 जुलाई को प्राप्त हो रहा है, इसलिए इसकी पूजा इसी दिन की जाएगी।
  • सावन कृष्ण पक्ष प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त - भगवान शिव की पूजा का शुभ समय 22 जुलाई, शाम 07 बजकर 18 मिनट से लेकर 09 बजकर 22 मिनट तक है।

जुलाई के दूसरे प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?

चूंकि यह प्रदोष व्रत भी मंगलवार को ही पड़ रहा है, लेकिन यह कृष्ण पक्ष में है इसलिए यह व्रत विशेष रूप से पापों के शमन, धन हानि, तनाव और दाम्पत्य जीवन के क्लेश को दूर करने वाला माना जाएगा।
पद्म पुराण के अनुसार, कृष्ण पक्ष के प्रदोष व्रत से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण होते हैं।
पद्म पुराण में उल्लेख:-
'कृष्णे प्रदोषे यः कुर्यात शिवपूजनं स भक्तिमान्,
स याति शिवलोकं ध्यात्वा तं शङ्करं परमं।'
अर्थ: जो कृष्ण पक्ष के प्रदोष में शिवजी का भक्ति से पूजन करता है, वह अंततः शिवलोक को प्राप्त करता है।

यह भौम प्रदोष व्रत मुख्य रूप से गृह क्लेश और पारिवारिक तनाव से पीड़ित लोगों को शांति प्रदान करने वाला हो सकता है। साथ ही, मानसिक अशांति और चिंता में फंसे लोगों के लिए भी यह व्रत करना फलदायी होगा। यही नहीं आध्यात्मिक उन्नति की कामना रखने वाले भक्त भी इस प्रदोष व्रत से शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
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Images: freepik.com

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