प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। किसी भी महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान शिव-पार्वती पूजन विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह अनुष्ठान, प्रत्येक चंद्र पखवाड़े के 13वें दिन पड़ता है।
इस व्रत को शिव भक्त पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाते हैं। इसे हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है, खासतौर पर शिव की कृपा पाने के लिए और उनसे जुड़ने के लिए यह व्रत एक अच्छा माध्यम माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और सायंकाल में भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करने से भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
हर महीने दो प्रदोष व्रत और पूरे साल में 24 व्रत होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यदि इन दिनों में विधि-विधान के साथ शिव जी की आराधना की जाती है तो इसके पूर्ण फल मिलते हैं। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें नवंबर में पड़ने वाले प्रदोष व्रतों की तिथियों, शुभ मुहूर्त और पूजा की सही विधि के बारे में।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अवसर माना जाता है। इस पवित्र व्रत अनुष्ठान में आपको अपने भीतर से जोड़ने की शक्ति है, जिससे आपको खुशी और आध्यात्मिक विकास मिलता है।
प्रदोष व्रत को भगवान शिव की कृपा पाने का एक उत्तम साधन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत से भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं और उनके सभी कष्टों का नाश करते हैं।
जब आप प्रदोष व्रत का पालन करते हैं, तो आपको मन की शांति और मानसिक स्पष्टता मिलती है, जिससे समृद्धि, साहस और भय से मुक्ति मिलती है।
यदि आप जीवन में किसी भी तरह के कठिन समय से गुज़र रहे हैं तो आपको यह व्रत जरूर करना चाहिए। इस व्रत का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और अन्य धर्म ग्रंथों में किया गया है। प्रदोष व्रत का महत्व इस प्रकार बताया जा सकता है कि इस व्रत को करने से आपके जीवन में सदैव भगवान शिव की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति के सभी प्रकार के दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं।
प्रदोष व्रत के प्रकार
प्रदोष व्रत विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें से प्रत्येक का हिंदू परंपराओं में अपना अलग महत्व है। सोमवार को होने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष या प्रदोषम के नाम से जाना जाता है, जो भगवान शिव और पार्वती को समर्पित है।
मंगलवार को यदि प्रदोष व्रत होता है तो इसे भौम प्रदोषम कहा जाता है। यह व्रत शनिवार को पड़ता है तो शनि प्रदोष होता है और रविवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत रवि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इन सभी प्रकार के प्रदोष व्रतों का अपना अलग महत्व होता है और विशेष रूप से शिव पूजन किया जाता है।
नवंबर 2024 में प्रदोष व्रत की तिथियां
नवंबर महीने में दो प्रदोष पड़ेंगे। अगर हम हिन्दू पंचांग की मानें तो नवंबर का पहला प्रदोष व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यानी कि
13 नवंबर, बुधवार, को मनाया जाएगा। वहीं दूसरा प्रदोष व्रत मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी, 28 नवंबर, गुरूवार के दिन पड़ेगा।
13 नवंबर प्रदोष व्रत 2024 का शुभ मुहूर्त- शाम 5 बजकर 52 मिनट से रात्रि 2 बजकर 28 मिनट तक है और इस दिन रेवती नक्षत्र का संयोग भी है। यदि आप शुभ मुहूर्त में शिव पूजन करेंगे तो इसके पूरे लाभ होंगे।
वहीं 28 नवंबर 2024 प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त- इस दिन प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद 6:23 से लेकर रात्रि 8 बजे तक का समय है। यदि आप इस मुहूर्त में शिव पूजन करेंगे तो व्रत का पूर्ण फल मिलेगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है। भक्त इस दिन शिवलिंग की पूजा करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस व्रत की पूजा विधि के बारे में यहां जानें-
- प्रदोष व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें और मन को शांत रखें।
- पूजा स्थल पर शिवलिंग की स्थापना करें और व्रत का संकल्प लें।
- शिवलिंग का अभिषेक पंचामृत से करें। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल को शामिल करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और सफेद फूल अर्पित करें।
- पूजा के समय धूप-दीप जलाकर भगवान शिव की आराधना करें। 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
- पूजा के समापन पर भगवान शिव की आरती करें और शिव जी को सफ़ेद चीजों जैसे खीर का प्रसाद अर्पित करें।
प्रदोष व्रत के नियम
प्रदोष व्रत का पालन करते समय आपको कुछ विशेष नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है। यदि आप इन नियमों का पालन श्रद्धा से करते हैं तो व्रत का पूर्ण फल मिल सकता है।
- यदि आप व्रत का पालन कर रहे हैं तो प्रदोष व्रत के दिन आपको भोजन के स्थान पर फलाहार का सेवन करना चाहिए। यदि आप व्रत न भी रखें तो आपको केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए और तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
- व्रत के दौरान भगवान शिव का ध्यान करें और समय-समय पर मंत्र जाप करें।
- व्रत शुरू करने से पहले शिव जी के समक्ष इसका संकल्प लें।
- व्रत के दौरान आपको किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए और सकारात्मक विचार ही मन में लाने चाहिए।
प्रदोष व्रत रखने के फायदे
प्रदोष व्रत करने से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग श्रद्धा और भक्ति से इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
इस व्रत को करने से स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत आर्थिक समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि का प्रतीक माना गया है। प्रदोष व्रत का पालन करने से परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद मिलता है जो सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करता है।
यदि आप नियम से प्रदोष व्रत का पालन करते हैं तो आपके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है और व्रत का पूर्ण फल भी मिलता है।
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