क्या आपकी कुंडली में भी मंगल है भारी? दोष मुक्ति के लिए इस विधि से घर पर करें शांति हवन

हिंदू धर्म में मंगलदोष तब लगता है, जब आपकी कुंडली में इसकी स्थिति अशुभ स्थान पर होती है। अब ऐसे में इसके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कई तरह के विशेष उपाय किए जाते हैं। जिसमें से एक हवन भी शामिल है। आइए इस लेख में विस्तार से मंगलदोष शांति हवन करने की विधि और नियम के बारे में जानते हैं।
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ज्योतिष के अनुसार, मंगल दोष एक ऐसी स्थिति है जो किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की विशेष स्थिति के कारण उत्पन्न होती है। यदि कुंडली में मंगल ग्रह लग्न पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो इसे मंगल दोष माना जाता है। यह दोष वैवाहिक जीवन में कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है। आपको बता दें, मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने या शांत करने के लिए मंगल दोष शांति हवन कराना एक वैदिक अनुष्ठान है।

यह हवन विशेष मंत्रों और विधि-विधान के साथ किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे कुंडली में स्थित मंगल के अशुभ प्रभावों को कम कर सकते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से मंगलदोष शांति हवन करने की विधि, नियम और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

मंगलदोष शांति हवन करने की विधि क्या है?

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  • सबसे पहले, स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पंडित जी की मदद से हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर अपना नाम, गोत्र, स्थान और हवन का उद्देश्य बोलते हुए संकल्प लें।
  • किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा अनिवार्य है। रिद्धि-सिद्धि के दाता गणेश जी का आह्वान कर उनसे हवन की सफलता के लिए प्रार्थना करें।
  • इसके बाद सभी नवग्रहों का आह्वान किया जाता है, विशेष रूप से मंगल ग्रह का। सभी ग्रहों को शांत करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा की जाती है।
  • उसके बाद अग्निदेव का आह्वान करें।
  • हवन का मुख्य रूप मंगल ग्रह के मंत्रों का जाप है। इसलिए आप 'ऊं क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" या ऊं अंग अंगारकाय नमः जैसे मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।
  • आप पंडित जी के निर्देश के अनुसार इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं या फिर आप खुद ही 108, 1008 बार जाप कर सकते हैं।
  • प्रत्येक मंत्र जाप के साथ 'स्वाहा' बोलकर घी, तिल, जौ और अन्य हवन सामग्री की आहुति अग्नि में दी जाती है।
  • मंगल ग्रह से संबंधित वस्तुओं जैसे लाल चंदन, गुड़हल के फूल की आहुति देना विशेष फलदायी होता है।
  • उसके बाद सभी मंत्र जाप और आहुतियां पूरी होने के बाद, पूर्णाहुति दी जाती है। इसमें एक साबुत नारियल, पान के पत्ते, सुपारी, फल, मिठाई और समस्त हवन सामग्री एक साथ अग्नि को अर्पित की जाती है।
  • हवन संपन्न होने के बाद, अग्निदेव और मंगल ग्रह की आरती की जाती है।
  • मंगलदोष शांति हवन करने के नियम क्या है?

  • मंगलदोष शांति हवन हमेशा किसी शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। इसके लिए आप पंडित जी से बात जरूर करें।
  • यदि आपको मंगलदोष की जानकारी है और आप इस हवन को कराना चाहते हैं, तो किसी अनुभवी पंडित या ज्योतिषी से अवश्य सलाह लें। वे आपकी कुंडली के अनुसार उचित विधि और मंत्रों का निर्धारण कर सकते हैं।
  • मंगलदोष शांति हवन के लिए शुभ दिन के बारे में भी जान लें।

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मंगलदोष शांति हवन करने का महत्व

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मंगल दोष का सबसे प्रमुख प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। इसलिए मंगल दोष शांति हवन इन बाधाओं को दूर करने में शुभ फलदायी साबित हो सकता है। मंगल का सीधा संबंध व्यक्ति के करियर और व्यवसाय से भी है और अगर किसी जातक की कुंडली में मंगलदोष है तो वह शांति हवन जरूर कराएं।

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Image Credit- HerZindagi

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