आत्मा के कारक सूर्य देव, जो सौर मंडल के केंद्र में स्थित हैं, हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करते हैं। इस खगोलीय घटना को ही संक्रांति कहते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस शुभ अवसर पर देश भर में धूमधाम से संक्रांति पर्व मनाया जाता है।
संक्रांति के दिन, लोग पवित्र नदियों जैसे गंगा में स्नान करते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किए गए स्नान और पूजा से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अतिरिक्त, लोग दान-पुण्य भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दान करने से व्यक्ति को पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
सूर्य देव को स्वास्थ्य का देवता भी माना जाता है। इसलिए, सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को स्वस्थ जीवन का वरदान मिलता है। साथ ही, यह मान्यता भी है कि सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्टो से मुक्ति मिलती है। अब ऐसे में इस साल कुंभ संक्रांति कब मनाया जाएगा और शुभ मुहूर्त के साथ-साथ इसका महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कुंभ संक्रांति कब है?
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सूर्य देव 12 फरवरी को रात 09 बजकर 56 मिनट पर मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जिसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। कुंभ राशि में सूर्य देव 13 मार्च तक रहेंगे। इसके बाद, 14 मार्च को सूर्य देव पुनः राशि परिवर्तन करेंगे।
कुंभ संक्रांति शुभ मुहूर्त क्या हैं?
वैदिक पंचांग के अनुसार, कुंभ संक्रांति के दिन विशेष पुण्य काल निर्धारित किया गया है। इस बार कुंभ संक्रांति पर पुण्य काल मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक है और महापुण्य काल शाम 04 बजकर 18 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक है। महा पुण्य काल माना जाता है कि यह समय पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ होता है। इस दौरान गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने, भक्ति भाव से पूजा करने, जप-तप करने और दान-पुण्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
कुंभ संक्रांति शुभ योग क्या है?
कुंभ संक्रांति हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस वर्ष कुंभ संक्रांति पर कई शुभ योगों का संयोग हो रहा है, जो इसे और भी विशेष बना रहा है। आइए इन योगों के बारे में विस्तार से जानते हैं और साथ ही इस दिन की पूजा विधि के बारे में भी चर्चा करते हैं।
सौभाग्य योग - यह योग सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है।
शोभन योग- यह योग सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है।
अश्लेषा और मघा नक्षत्र का संयोग - ये दोनों नक्षत्र शक्तिशाली माने जाते हैं और इनका संयोग किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत शुभ होता है।
शिववास योग - यह योग भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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कुंभ संक्रांति महत्व
कुंभ संक्रांति हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। यह एक ऐसा अवसर है जब लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान करते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है।
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Image Credit- HerZindagi
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