सनातन धर्म में खरमास को विशेष महत्व दिया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार खरमास का महीना आता है। यह अवधि लगभग 30 दिनों की होती है। मान्यता है कि इस दौरान शादी-विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय भगवान सूर्य की उपासना का विशेष विधान है। खरमास में भगवान सूर्य की विधि-विधान से पूजा करने से कई गुना फल मिलता है। इस दौरान सूर्य देव को जल अर्पित करना और वैदिक मंत्रों का जाप करना विशेष लाभदायक होता है। अब ऐसे में दिसंबर में खरमास कब से लग रहा है और इस दौरान सूर्यदेव की पूजा का महत्व क्या है और किन मंत्रों का जाप करने से लाभ हो सकता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
कब से शुरू हो रहा है खरमास?
पंचांग के अनुसार, खरमास 15 दिसंबर, रविवार को रात 10 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगा। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। यह खास समय 14 जनवरी, 2025 को खत्म होगा। इस दौरान शादियां और अन्य शुभ काम नहीं होते हैं। इस दौरान सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए और उनके मंत्रों का जाप विशेष रूप से करनी चाहिए।
खरमास का समापन कब होगा?
सूर्य देव लगभग एक महीने तक धनु राशि में रहते हैं, जिसके कारण खरमास भी एक महीने का होता है। जब सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास समाप्त हो जाता है। 14 जनवरी, 2025 को मंगलवार को सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिस दिन खरमास खत्म होगा और मकर संक्रांति मनाई जाएगी। इसके बाद से मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो सकेंगे।
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खरमास के दौरान सूर्यदेव की पूजा का महत्व
खरमास के दौरान सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। बता दें, सूर्यदेव को ऊर्जा का देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है। सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है। सूर्यदेव को तांबे के लोटे में जल भरकर अर्घ्य देना चाहिए। आपको बता दें, खरमास के दौरान सूर्यदेव कमजोर हो जाते हैं। जिसके कारण शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है। इसलिए इस दौरान उनकी पूजा विधिवत रूप से करें।
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खरमास के दौरान किन मंत्रों का जाप करें?
खरमास के दौरान इ मंत्रों का विशेष रूप से जाप करें। इससे व्यक्ति को उत्तम परिणाम मिल सकते हैं।
- ऊं घृणि सूर्याय नमः
- ऊं सूर्याय नमः
- ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा:
- ऊं नमो भगवते वासुदेवाय:
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Image Credit- HerZindagi
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