भारत के उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जिसे श्रद्धालु श्रद्धा से बाबा केदारनाथ धाम के नाम से जानते हैं। इस मंदिर की धार्मिक मान्यता अत्यंत विशेष है और हर साल करोड़ों श्रद्धालु यहां बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में यह जानना स्वाभाविक है कि इस वर्ष केदारनाथ धाम के कपाट कब खुल रहे हैं। इस विषय में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानकारी प्राप्त करते हैं। साथ ही, यह भी जानते हैं कि केदारनाथ मंदिर के कपाट किस विशेष विधि से खोले जाते हैं और साल में कितनी बार भक्तों को बाबा बर्फानी के दर्शन का अवसर प्राप्त होता है।
केदारनाथ धाम का क्या महत्व है?
केदारनाथ धाम हिंदू धर्म में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यह उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में, हिमालय की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है। केदारनाथ को पंच केदारों में सबसे प्रमुख स्थान प्राप्त है और इसे कलियुग में मोक्ष प्रदान करने वाला धाम कहा जाता है।
मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांडवों ने अपने पापों के प्रायश्चित हेतु भगवान शिव की तपस्या यहीं पर की थी, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और यहीं पर एक विशाल शिवलिंग के रूप में विराजमान हुए। कठोर जलवायु और दुर्गम पर्वतीय मार्ग के बावजूद लाखों श्रद्धालु हर वर्ष कठिन यात्रा कर इस धाम में दर्शन के लिए पहुँचते हैं, जो उनकी आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है। केदारनाथ केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मिक शांति, मोक्ष और दिव्यता का अनुभव कराने वाला एक पावन स्थान है।
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केदारनाथ धाम के कपाट 2025 में कब खुलेंगे?
केदारनाथ मंदिर के कपाट हर वर्ष शीतकाल में भारी बर्फबारी के कारण बंद कर दिए जाते हैं, क्योंकि इस दौरान वहां की जलवायु अत्यंत कठोर हो जाती है। जैसे ही ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है, बाबा केदारनाथ धाम के कपाट एक बार फिर श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोले जाते हैं। इस वर्ष महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर मंदिर के कपाट खुलने की तिथि की घोषणा कर दी गई है। घोषणा के अनुसार, केदारनाथ धाम के कपाट आगामी 2 मई, शुक्रवार को विधिवत रूप से खोले जाएंगे, जिससे एक बार फिर लाखों श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा।
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केदारनाथ धाम के कपाट किस विधि से खोले जाते हैं?
केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि अब निश्चित कर दी गई है और परंपरागत नियमों के अनुसार, इन्हें विधिवत रूप से खोला जाएगा। कपाट खुलने से पहले धार्मिक विधियों का पालन करते हुए कई विशेष आयोजन होते हैं। इसी क्रम में 27 अप्रैल को ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में भैरव पूजा का आयोजन किया जाएगा, जो कपाट खुलने की प्रक्रिया का एक अहम चरण है।
भैरव पूजा के उपरांत, बाबा केदार की डोली ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। 28 अप्रैल को डोली को गुप्तकाशी लाया जाएगा, इसके बाद 29 अप्रैल को फाटा और 30 अप्रैल को गौरीकुंड पहुंचाया जाएगा। फिर 1 मई के दिन बाबा केदार की डोली केदारनाथ पहुंचेगी। इसके ठीक अगले दिन, 2 मई की सुबह 7 बजे, विधिवत मंत्रोच्चारण, वैदिक अनुष्ठान और धार्मिक रीति-रिवाज़ों के साथ मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
कपाट खुलने के इस शुभ अवसर पर केदारनाथ मंदिर प्रांगण जय बाबा केदार के जयघोष से गूंज उठता है। ढोल-नगाड़ों की मधुर ध्वनि और भक्तों की श्रद्धा से वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाता है। कपाट खुलने के पश्चात श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के दिव्य दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में शैव लिंगायत परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की जाती है, जिसमें विशेष विधियों से बाबा केदार की आराधना की जाती है। यह संपूर्ण प्रक्रिया भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और अध्यात्म का गहरा अनुभव प्रदान करती है।
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