Kamika Ekadashi Kab Hai 2025: कब है सावन की कामिका एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Kamika Ekadashi 2025: कामिका एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। इसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने वाली एकादशी भी कहा जाता है। 
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कामिका एकादशी हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है खासकर श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने के कारण इसका विशेष महत्व है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जो लोग पितृ दोष से पीड़ित होते हैं या जिनके पूर्वज शांति में नहीं होते उनके लिए यह व्रत बहुत फलदायी माना जाता है क्योंकि इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। इसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने वाली एकादशी भी कहा जाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि इस साल कब पड़ रही है सावन की कामिका एकादशी, क्या है इस दिन का शुभ मुहूर्त और महत्व।

कामिका एकादशी 2025 कब है?

सावन माह की एकादशी तिथि का आरंभ 20 जुलाई, रविवार के दिन दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से होगा। वहीं, इसका समापन 21 जुलाई, सोमवार के दिन सुबह 9 बजकर 38 मिनट पर होगा।

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ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, कामिका एकादशी का व्रत 21 जुलाई को रखा जाएगा। चूंकि कामिका एकादशी थोड़े समय के लिए बन रही है, ऐसे में इस एकादशी की पूजा सुबह के समय जल्दी की जाएगी।

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कामिका एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त

कामिका एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 14 मिनट से सुबह 4 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। ऐसे में यह समय व्रत का संकल्प लेने एवं स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ है। इसके अलावा, कामिका एकादशी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 3 मिनट से सुबह 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। यानी की कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए कुल अवधि लगभग 1 घंटा रहेगी।

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कामिका एकादशी 2025 महत्व

कामिका एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से कई अद्भुत लाभ मिलते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के साथ-साथ इस जन्म के भी सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत के प्रभाव से पितरों को शांति मिलती है और वे भवसागर से पार हो जाते हैं। जो भक्त यह व्रत श्रद्धापूर्वक करते हैं उनके जीवन में सुख-समृद्धि, धन-धान्य, सौभाग्य, सकारात्मकता और शांति आती है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • एकादशी के दिन क्या दान करें?

    एकादशी के दिन अनाज और वस्त्र का दान करना शुभ होता है।
  • एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाने चाहिए?

    एकादशी के दिन चावल इसलिए नहीं खाने चाहिए क्योंकि चावल को मांस के समान माना गया है।