जुलाई भौम प्रदोष के दिन इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानें सही विधि और नियम

हिंदू धर्म में भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। अब ऐसे में इस दिन भोलेनाथ की पूजा किस विधि से करें और पूजा का नियम क्या है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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हिंदू पंचांग के हिसाब से प्रदोष व्रत बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। वहीं जब प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। 'भौम' शब्द मंगल ग्रह से संबंधित है। मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को भी समर्पित है, जो भगवान शिव के रुद्रावतार माने जाते हैं। इसलिए, भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है, और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। यह व्रत कर्ज से मुक्ति दिलाने और भूमि संबंधी विवादों को सुलझाने में भी सहायक माना जाता है। अब ऐसे में जुलाई महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत के दिन किस विधि से भगवान शिव की पूजा करें और नियम क्या है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

जुलाई भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा किस विधि से करें?

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  • प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. यदि संभव हो तो गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • पूजा शुरू करने से पहले हाथ में जल और चावल लेकर व्रत का संकल्प लें. मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं और भगवान शिव से उसे पूरा करने की प्रार्थना करें।
  • किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश का आवाहन और पूजा करना अनिवार्य है. गणेश जी को दूर्वा और लड्डू अर्पित करें।
  • सबसे पहले शिवलिंग पर जल और फिर गाय का दूध अर्पित करें. इसके बाद गंगाजल से अभिषेक करें. ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें।
  • अभिषेक के बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद फूल, चंदन, अक्षत आदि चढ़ाएं।
  • शिव चालीसा का पाठ करें और ऊं नमः शिवाय मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
  • यदि आप हनुमान जी की कृपा भी चाहते हैं, तो शिव पूजा के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें और उन्हें सिंदूर व बूंदी के लड्डू अर्पित करें। क्यों यह प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है। इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा का भी विधान है।
  • आरती के बाद शिवलिंग की परिक्रमा करें।

जुलाई भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा की पूजा के नियम

  • भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा में शहद जरूर चढ़ाएं।
  • इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव के स्तोत्र का पाठ करने का विधान है।
  • भौम प्रदोष व्रत के दिन आप मंगलदोष से छुटकारा पाने के लिए हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से करें।
  • भौम प्रदोष व्रत के दिन दान-पुण्य विशेष रूप से करें।

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जुलाई भौम प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व

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मंगलवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत भौम प्रदोष कहलाता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी माना जाता है जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर स्थिति में हो या मंगल दोष हो। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा का भी विधान है, जिससे दोगुना फल प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है, भूमि-भवन संबंधी विवाद हल होते हैं और शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।

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Image Credit- HerZindagi

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