(janmashtami puja vidhi) हिंदू पंचांग में हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। यह दिन बहुत खास माना जाता है। क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन सभी भक्त भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की विधिवत पूजा करते हैं और रातभर गीत गाकर, नृत्य कर भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में रात 12 बजे देवकी के आठवीं संतान के रूप में जन्म लिए थे। अब ऐसे में जन्माष्टमी के दिन किस विधि से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करनी है। इसके बारे में जानना बेहद जरूरी है।
आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि जन्माष्टमी की पूजा विधि और पूजा नियम क्या है।
जन्माष्टमी पूजा सामग्री क्या है (Krishna Janmashtami Puja Samagri)
- सबसे पहले कान्हा के लिए झूला, सिंहासन, मोरपंख (मोरपंख उपाय), बांसुरी, वैजयंती माला और गाय की प्रतीमा खरीदें।
- उसके बाद लाल कपड़ा, तुलसी के पत्ते, आभूषण, मोर मुकुट, खीरा, गोपी चंदन और रोली की सामग्री लें।
- इस दिन कुमकुम, हल्दी, इत्र, कलश, दीपक, मौली, रुई, तुलसी की माला, अबीर, छोटी इलाइची, धूपबत्ती, कपूर आदि जरूर रखें।
- केसर, नारियल, खड़ा धनिया की पंजीरी, माखन, मिश्री, शक्कर, शहद, पान, सिंदूर, पंचमेवा, कुशा, दूर्वा, सुपारी, तांबे और चांदी का पात्र, केले के पत्ते, फूल आदि शामिल करें।
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- भगवान गणेश को अर्पित करने के लिए वस्त्र, मोदक जरूर लें।
- भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में माखन, मिश्री, तुलसी पत्ता, वस्त्र, चंदन, फूल, पंचामृत चीजें जरूर शामिल करें। ये बेहद खास माना जाता है।
जन्माष्टमी पूजा विधि (Krishna Janmashtami Puja Vidhi 2023)
- जन्माष्टमी से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और उसके बाद अगले दिन अष्टमी तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान करें
- सभी देवी-देवताओं को प्रणाम कर उत्तर दिशा की तरफ मुख करके बैठ जाएं।
- उसके बाद हाथ में जल और फूल लेकर व्रत संकल्प लें और भगवान श्रीकृष्ण के गोपाल स्वरूप की पूजा करें।
- दोपहर के समय जल में काले तिल मिलाकर दोबारा स्नान करें। साथ ही भगवान के लिए आसन या प्रसूति गृह तैयार करें।
- प्रसूति गृह में एक साफ बिछौना बिछाएं और उसपर कलश स्थापित करें।
- इस दिन मां देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, मां यशोदा और मां लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करें।
- रात्रि में 12 बजने से पहले एक बार फिर स्नान करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसपर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें।
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- भगवान श्रीकृष्ण (श्रीकृष्ण मंत्र)को पंचामृत, गंगाजल से स्नान कराएं। उसके बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाएं और उनका श्रृंगार करें।
- इसके बाद बालगोपाल को धूप और दीप दिखाएं। साथ ही रोली-अक्षत का तिलक लगाकर उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
- इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग जरूर करें और विधिवपूर्क पूजा करने के बाद बाल गोपाल से हुई गलती के लिए क्षमा मांगें।
- आखिर में भगवान श्रीकृष्ण की आरती कर पूजा संपन्न करें।
जन्माष्टमी के दिन इस विधि से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें औरअगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।
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