क्या वाकई भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है काशी?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, काशी को भगवान शिव के त्रिशूल पर बसा हुआ माना जाता है। यह प्राचीन नगरी के महत्व को दर्शाती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
is kashi or varanasi actually located on lord shiva trishul

काशी को वाराणसी या बनारस भी कहते हैं। यह भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। यह नगरी सदियों से आध्यात्मिक, सांस्कृतिक का केंद्र रही है। इस शहर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक सबसे प्रमुख मान्यता यह है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है। यह बात सुनने में भले ही एक पौराणिक कथा लगे, लेकिन इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक अर्थ छिपा है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

काशी की पौराणिक कथा पढ़ें

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हिंदू धर्मग्रंथों में काशी का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है। स्कंद पुराण और काशी खंड में विस्तार से बताया गया है कि कैसे भगवान शिव को यह नगरी इतनी प्रिय है कि उन्होंने इसे अपने निवास स्थान के रूप में चुना। ऐसी मान्यता है कि जब प्रलय आता है और पूरी सृष्टि नष्ट हो जाती है, तब भी काशी अपनी जगह पर अटल रहती है, क्योंकि इसे स्वयं भगवान शिव अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी। इसे भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान माना जाता है, जहां वे बाबा विश्वनाथ के रूप में निवास करते हैं। स्कंद पुराण, रामायण, महाभारत और ऋग्वेद जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी काशी का उल्लेख मिलता है, जो इसकी प्राचीनता और महत्व को दर्शाता है।

काशी है स्थिरता का प्रतीक

त्रिशूल पर काशी का टिका होना उसकी स्थिरता का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि भौतिक दुनिया के उतार-चढ़ाव और विनाश के बावजूद, काशी का आध्यात्मिक महत्व और उसकी ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती है। यह एक ऐसा केंद्र है जहां आध्यात्मिकता हमेशा जीवित रहती है। ऐसी मान्यता काशी पर भगवान शिव के संरक्षण और आशीर्वाद को भी दर्शाती है। जिस तरह एक पिता अपने बच्चे की रक्षा करता है, उसी तरह भगवान शिव काशी और उसमें निवास करने वाले भक्तों की रक्षा करते हैं। त्रिशूल यहां एक रक्षक के रूप में कार्य करता है।

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काशी में है जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्य

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त्रिशूल के तीन शूल सृष्टि, स्थिति और संहार के प्रतीक माने जाते हैं। यह भूत, वर्तमान और भविष्य को भी दर्शाता है। काशी का त्रिशूल पर होना यह भी संकेत देता है कि यह नगरी त्रिकालदर्शी ज्ञान का केंद्र है, जहां जीवन और मृत्यु के गूढ़ रहस्यों को समझा जा सकता है। काशी को मोक्ष की भूमि भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां प्राण त्यागने से व्यक्ति को सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Image Credit- HerZindagi

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