हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और इस दौरान चातुर्मास भी देवशयनी एकादशी के दिन से आरंभ हो चुका है। इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में पूरे चार महीनों के लिए चले जाते हैं। इसलिए इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। साथ ही किसी तरह की कोई विशेष अनुष्ठान भी नहीं की जाती है। अब ऐसे में सवाल है कि अगर इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं करते हैं तो फिर क्या हवन कर सकते हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
क्या चातुर्मास में हवन कर सकते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास में हवन किया जा सकता है। क्योंकि इस दौरान भगवान विष्णु के अलावा भगवान शिव, गणपति बप्पा के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास में हवन करना विशेष फलदायी बताया गया है। चातुर्मास भगवान शिव का काल माना जाता है, इसलिए इस दौरान उनकी उपासना और उनसे संबंधित धार्मिक अनुष्ठान करना अत्यंत शुभ होता है। आप इस दौरान नियमित रूप से सात्विक हवन कर सकते हैं।
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चातुर्मास में हवन करने का महत्व क्या है?
ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार चातुर्मास में हवन का विशेष महत्व है। इस दौरान किए गए हवन से कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति शुभ हो सकती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आप इस दौरान शिव पूजा हवन और ग्रह शांति पूजा करवा सकते हैं, लेकिन अगर अनुष्ठान हवन कराना चाहते हैं तो चातुर्मास खत्म होने क बाद ही कराएं।
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नोट - अगर आप चातुर्मास में हवन कर रहे हैं तो अपने पंडित जी से जानकारी प्राप्त करके ही अनुष्ठान कराएं।
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Image Credit- HerZindagi
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